Ram Rahim: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राह रहीम को डेरा मैनेजर रंजीत सिंह की हत्या के मामले में बरी कर दिया है। हाईकोर्ट ने सीबीआई के फैसले को रद्द करते हुए यह फैसला सुनाया है। दरअसल, सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में राम रहीम को दोषी करार दिया था। इसके बाद राम रहीम ने सीबीआई के इस फैसले को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
दरअसल, सीबीआई कोर्ट ने 2021 में रेप केस और दो हत्याओं के मामले में गुरमीत राम रहीम सहित कुछ अन्य लोगों को दोषी करार दिया था। इसके बाद अक्टूबर 2021 को रंजीत सिंह की हत्या के मामले में सीबीआई कोर्ट ने राम रहीम व अन्य लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
चार अन्य दोषी भी हुए बरी:
सीबीआई कोर्ट के फैसले को बदलते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने आज मंगलवार 28 मई को रंजीत सिंह हत्या मामले में गुरमीत राम रहीम व चार अन्य दोषियों को बरी कर दिया है। इस मामले में अन्य आरोपी अवतार सिंह, कृष्णलाल, जसबीर सिंह और सबदिल सिंह था।
वहीं ट्रायल के दौरान एक आरोपी की मौत हो गई थी। हालांकि पत्रकार की हत्या और रेप के मामले में राम रहीम की अपील अभी हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है। बता दें कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम अभी सुनारिया जेल में बंद है। दरअसल, डेरा मैनेजर रंजीत सिंह की 10 जुलाई 2002 को कुरुक्षेत्र के खानपुर कोलियां में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्या का आरोप राम रहीम व कुछ अन्य लोगों पर लगा था।
जेल से नहीं आ पाएगा बाहर:
रंजीत सिंह हत्या मामले में हाईकोर्ट ने भले ही गुरमीत राम रहीम और अन्य दोषियों को बरी कर दिया लेकिन इसके बाद भी डेरा सच्चा सौदा प्रमुख जेल से बाहर नहीं आ पाएगा। दरअसल, राम रहीम एक रेप केस में और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में भी दोषी हैं।
ये दोनों मामले फिलहाल कोर्ट में लंबिति हैं। इसके अलावा भी कई अन्य केस राम रहीम के खिलाफ लंबित हैं। रेप केस और पत्रकार हत्याकांड मामले में भी निचली अदालत के फैसले को राम रहीम ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है लेकिन फिलहाल हाईकोर्ट में ये दोनों मामले लंबित हैं। ऐसे में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम फिलहाल जेल से बाहर नहीं आ सकते।
फैसले में सीबीआई कोर्ट ने क्या कहा था?
पंचकुला की विशेष सीबीआई कोर्ट ने 18 अक्टूबर 2021 को रंजीत सिंह हत्याकांड में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम और चार अन्य आरोपियों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। वहीं एक आरोपी की केस की सुनवाई के दौरान ही मौत हो गई थी।
सीबीआई कोर्ट ने सजा सुनाने के साथ राम रहीम पर 31 लाख रुपये, सबदिल पर 1.50 लाख रुपये, जसबीर और कृष्ण पर 1.25-1.25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। फैसला सुनाते हुए सीबीआई कोर्ट ने कहा था कि इसमें कोई शक नहीं है कि गुमनाम पत्र के प्रसार से गुरमीत राम रहीम व्यथित महसूस कर रहे थे।
उस पत्र में डेरा की साध्वियों के यौन शोषण के गंभीर आरोप थे। साथ ही कोर्ट ने कहा था कि गुमनाम पत्र को सार्वजनिक करने में रंजीत सिंह की संदिग्ध भूमिका के बाद डेरा से उसे हटा दिया गया था। उस गुमनाम पत्र में बताया गया था कि कैसे डेरा प्रमुख वहां महिलाओं से यौन शोषण करते थे।
2002 का है मामला:
दरअसल, डेरा की प्रबंधन समिति के सदस्य रंजीत सिंह की 2002 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। डेरा प्रबंधन को शक था कि गुमनाम चिट्ठी जिसमें साध्वी के यौन शोषण की बात कही गई थी, वह रंजीत सिंह ने अपनी बहन से लिखवाई थी।
पहले पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी लेकिन वर्ष 2003 में रंजीत सिंह के बेटे ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पुलिस जांच से असंतुष्टि जताते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी। इसके बाद इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई। सीबीआई कोर्ट ने 2021 में राम रहीम सहित पांच आरोपियों को दोषी करार दिया गया।