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Sunday, November 24, 2024
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Delhi Liquor Policy Scam: केजरीवाल की जमानत पर नहीं हुआ फैसला, बिना आदेश दिए उठी बेंच, अब 9 मई को होगा फैसला

Delhi Liquor Policy Scam: रिपोर्ट्स के अनुसार, समय की कमी के कारण अंतरिम जमानत पर सुनवाई पूरी नहीं हो पाई। अब इस मामले में कोर्ट ने अगली तारीख 9 मई तय की है। केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर सुप्रीम कोर्ट में लंबी बहस हुई। सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि दिल्ली में चुनाव होने वाले हैं और केजरीवाल चुने हुए सीएम हैं। ऐसे में उन्हें प्रचार करने देने में कोई हर्ज नहीं है। साथ ही बेंच ने स्पष्ट किया कि वे अंतरित जमानत पर बात कर रहे हैं।

Delhi Liquor Policy Scam: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई लेकिन कोर्ट ने कोई निर्णय नहीं सुनाया। दरअसल, सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, समय की कमी के कारण अंतरिम जमानत पर सुनवाई पूरी नहीं हो पाई।

अब इस मामले में कोर्ट ने अगली तारीख 9 मई तय की है। केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर सुप्रीम कोर्ट में लंबी बहस हुई। सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि दिल्ली में चुनाव होने वाले हैं और केजरीवाल चुने हुए सीएम हैं। ऐसे में उन्हें प्रचार करने देने में कोई हर्ज नहीं है। साथ ही बेंच ने स्पष्ट किया कि वे अंतरित जमानत पर बात कर रहे हैं।

ईडी ने किया जमानत का विरोध:

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया कि अगर अरविंद केजरीवाल अंतरिम जमानत पर रिहा हो भी जाते हैं तो वे आधिकारिक कर्तव्यों का पालन नहीं कर पाएंगे। कोर्ट ने कहा कि इससे व्यापाक असर हो सकता है। वहीं सुनवाई के दौरान ईडी ने केजरीवाल की जमानत का कड़ा विरोध किया। ईडी का कहना है कि केजरीवाल को जमानत देने से लोगों में गलत संदेश जाएगा और हर कोई जमानत मांगने लगेगा।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान बेंच ने केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पूछा कि अंतरिम जमानत पर रिहा होने के बाद क्या केजरीवाल सीएम ऑफिस में उपस्थित होंगे, फाइलों पर साइन करेंगे और दूसरों को निर्देश देंगे। इसके जवाब में अधिवक्ता सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल आबकारी मामले नहीं देखेंगे।

​अंंतरिम जमानत पर रिहा होने पर ये काम नही कर पाएंगे:

इस पर सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का निर्णय लिया जाता है तो केजरीवाल अपनी आधिकारिक जिम्मेदारियों को नहीं निभाएंगे, क्योंकि इसका व्यापक असर हो सकता है।

इसके साथ ही बेंच ने कहा कि यह आपका निर्णय है कि आप सीएम बने रहना चाहते हैं लेकिन कोर्ट नहीं चाहती कि अंतरिम जमानत मिलने के बाद वह सरकार के काम में हस्तक्षेप करें। कोर्ट ने कहा कि वह सिर्फ चुनाव की वजह से अंतरिम जमानत पर विचार कर रही है, अन्यथा हम इसे बिल्कुल नहीं सोचेंगे।

पांच साल में एक बार होता है चुनाव-कोर्ट:

सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से कहा कि केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं और लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने की जरूरत है, इसलिए वह जमानत संबंधी दलीलें सुनेगी। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि यह एक असाधारण स्थिति है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह आदतन अपराधी हैं।

पांच साल में एक बार चुनाव होता है। यह चार से छह महीने में होने वाली फसल की कटाई की तरह नहीं है। साथ ही कोर्ट ने जॉर्ज फर्नांडिस का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने जेल में रहते हुए चुनाव लड़ा और इतने बड़े अंतर से जीता कि यह भारतीय चुनावों में सबसे बड़ा अंतर था। ऐसे में केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए या नहीं इस पर प्राथमिकता से विचार करना चाहिए।

इससे गलत धारणा बनेगी-ईडी:

ईडी ने यह कहते हुए कोर्ट के सुझाव को खारिज कर दिया कि इससे गलत मिसाल कायम होगी। साथ ही प्रर्वतन निदेशालय ने कोर्ट से पूछा कि क्या एक राजनेता के पास आम नागरिकों की तुलना में कोई विशेषाधिकार नहीं है। जो विधायक और सांसद अभियोजन का सामना कर रहे हैं क्या उन सभी को जमानत मिलनी चाहिए।

साथ ही ईडी ने प्रश्न किया कि आम आदमी की तुलना में क्या एक राजनेता को स्पेशल ट्रीटमेंट मिल सकता है। ईडी ने कहा कि करीब 5000 लोग जो अभियोजन का सामना कर रहे हैं अगर वे सभी प्रचार के लिए जमानत मांगने लगे तो क्या होगा? ईडी ने बताया कि 9 समन देने के बाद भी केजरीवाल पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं हुए।

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