IIFA 2025 Jaipur Failure: हाल ही में जयपुर में आयोजित इंटरनेशनल इंडियन फिल्म एकेडमी अवार्ड्स (IIFA) 2025 को भारतीय सिनेमा का एक शानदार उत्सव माना जा रहा था, जो पिंक सिटी को पर्यटन, संस्कृति और विरासत के लिए वैश्विक नक्शे पर रखता। लेकिन इसके विपरीत, जो हुआ वह एक घटिया तरीके से आयोजित कार्यक्रम था, जो आईफा के साथ जुड़े भव्यता के स्तर को छू भी नहीं सका। बहुप्रतीक्षित यह कार्यक्रम सिर्फ एक खराब तरीके से आयोजित, जिला-स्तरीय आयोजन बनकर रह गया जिसने आगंतुकों और बॉलीवुड सितारों दोनों को निराश कर दिया।
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प्रबंधन की नाकामी और दूरदृष्टि की कमी
राजस्थान सरकार का इस आयोजन के प्रति उदासीन रवैया पहले ही दिन से स्पष्ट हो गया था। न्यूयॉर्क, बैंकॉक और अबू धाबी जैसे जीवंत स्थलों में आयोजित आईफा संस्करणों की तुलना में, जहां उत्कृष्ट स्टेज सेटअप, विश्व-स्तरीय आतिथ्य और बेहतरीन प्रबंधन देखने को मिला था, जयपुर का संस्करण सिर्फ एक साधारण, स्थानीय प्रबंधन वाला कार्यक्रम लग रहा था।
अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ प्रचार और व्यवस्थाओं के लिए उचित तालमेल न होने के कारण पूरा आयोजन गड़बड़ हो गया। वहां का वेन्यू भीड़ संभालने के लिए तैयार नहीं था और विभिन्न विभागों के बीच कोई समन्वय नहीं था। आगंतुकों ने खराब बैठने की व्यवस्था, औसत से भी बदतर खानपान सेवाओं और उस प्रबंधन की कमी की शिकायत की जो आईफा जैसे बड़े स्तर के कार्यक्रम से उम्मीद की जाती है।
राजस्थान के लिए खोया हुआ मौका
आईफा 2025 सिर्फ एक बॉलीवुड इवेंट नहीं था; यह राजस्थान के लिए अपनी विरासत और आतिथ्य को दुनिया के सामने दिखाने का एक सुनहरा मौका था। यह आयोजन राज्य के पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने का एक बड़ा अवसर हो सकता था, जिससे जयपुर, उदयपुर, जोधपुर और जैसलमेर जैसे गंतव्यों का वैश्विक स्तर पर प्रचार होता। लेकिन राजस्थान सरकार की योजना और क्रियान्वयन के प्रति उदासीनता ने इस मौके को पूरी तरह बर्बाद कर दिया।
इसके अलावा, सरकार इस कार्यक्रम को सही तरीके से प्रचारित करने में भी असफल रही। आईफा 2025 के इर्द-गिर्द कोई खास प्रचार नहीं हुआ, न ही ऑनलाइन और न ही ऑफलाइन। यहां तक कि स्थानीय मीडिया कवरेज भी अधूरी लग रही थी, जो यह दर्शाता है कि आयोजकों में खुद ही उत्साह की कमी थी।
सितारों की निराशा
कई बॉलीवुड हस्तियां जिन्होंने इस कार्यक्रम में भाग लिया, उन्होंने इस घटिया प्रबंधन को लेकर अपनी निराशा व्यक्त की। रेड कार्पेट, जिसे आमतौर पर एक ग्लैमरस, सितारों से सजी शाम के रूप में देखा जाता है, एक घटिया योजना और अव्यवस्था का शो बनकर रह गया। स्टेज सेटअप साधारण था, ध्वनि गुणवत्ता खराब थी और दर्शकों की व्यवस्था भी बहुत ही लचर थी।
मुंबई और विदेशों से आए कई ए-लिस्ट सेलेब्रिटी इस बात से हैरान थे कि इस कार्यक्रम में आतिथ्य और प्रोफेशनलिज्म का पूरी तरह से अभाव था। यहां तक कि अवार्ड सेरेमनी, जो आमतौर पर बेहतरीन परफॉरमेंस और सम्मान की झलक होती है, एक बेस्वाद, जल्दबाजी में तैयार किए गए शो की तरह लग रही थी।
न आर्थिक लाभ, न सांस्कृतिक प्रदर्शन
आईफा 2025 का सबसे निराशाजनक पहलू यह था कि यह राज्य को अपेक्षित आर्थिक लाभ देने में पूरी तरह असफल रहा। होटल और स्थानीय व्यवसाय एक बड़े पैमाने पर पर्यटकों और राजस्व की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन खराब प्रचार और गलत प्रबंधन की वजह से उम्मीद के मुताबिक भीड़ नहीं आई।
इसके अलावा, राजस्थान की सांस्कृतिक प्रदर्शनी, जो इस आयोजन का मुख्य आकर्षण हो सकती थी, उसे पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर दिया गया। बॉलीवुड ग्लैमर और राजस्थान की समृद्ध विरासत को जोड़ने के बजाय, यह आयोजन एक बेतरतीब शो बनकर रह गया जिसमें कोई स्थानीय रंग नज़र नहीं आया।
गलती कहां हुई?
यह स्पष्ट है कि राजस्थान सरकार की सुस्ती और उचित योजना की कमी के कारण आईफा 2025 असफल रहा। अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरने की बजाय, अधिकारियों ने इसे एक मामूली स्थानीय कार्यक्रम की तरह माना।
विभिन्न विभागों के बीच तालमेल की पूरी तरह से कमी, और साथ ही एक खराब प्रचार अभियान ने यह सुनिश्चित कर दिया कि जो एक प्रतिष्ठित आयोजन हो सकता था वह एक भुला देने लायक शर्मिंदगी बनकर रह गया।
राजस्थान सरकार के लिए एक सबक
आईफा 2025 की असफलता राजस्थान सरकार के लिए एक चेतावनी है। यह समय है कि वे इस मामले में अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करें और यह समझें कि जिस आयोजन को दुनिया भर में सराहा जाना चाहिए था, वह कैसे बर्बाद हो गया। अगर सरकार भविष्य में इस स्तर के अंतरराष्ट्रीय आयोजन की मेज़बानी करना चाहती है, तो उसे अपने पिछले अनुभव से सबक लेना चाहिए और सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए।
जयपुर की एक विश्व-स्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में छवि को आईफा 2025 की खराब मेजबानी ने बड़ा नुकसान पहुंचाया है। अब समय आ गया है कि सरकार अपनी विफलताओं को स्वीकार करे और अंतरराष्ट्रीय मंच पर राज्य की छवि को फिर से स्थापित करने के लिए सही कदम उठाए।
सबसे बड़ा सवाल अब भी बना हुआ है—क्या पर्यटन मंत्री दीया कुमारी इस असफलता की जिम्मेदारी लेंगी?

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