Naxalites Surrender: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सल उन्मूलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल हुई है। रविवार को 68 लाख रुपये के इनाम की घोषणा वाले 13 नक्सलियों समेत कुल 50 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। आत्मसमर्पण करने वालों में पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) बटालियन और अन्य माओवादी संगठनों के सदस्य शामिल थे। छत्तीसगढ़ और अन्य नक्सल प्रभावित राज्यों में नक्सली गतिविधियों में गिरावट साफ दिखाई दे रही है। सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे अभियान और सरकार की विकास योजनाएं इन क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव ला रही हैं।
Table of Contents
Naxalites Surrender: पुलिस और सुरक्षा बलों की बड़ी सफलता
बीजापुर पुलिस अधीक्षक डॉ. जीतेन्द्र यादव और डीआईजी सीआरपीएफ देवेंद्र सिंह नेगी ने इस आत्मसमर्पण की पुष्टि करते हुए कहा कि यह घटना नक्सल संगठन से बढ़ते मोहभंग को दर्शाती है। आत्मसमर्पण करने वालों में दो प्लाटून सदस्य, मिलिशिया सदस्य और अन्य प्रमुख माओवादी संगठन के सदस्य थे। इसमें पीएलजीए के सदस्य, जनताना सरकार के अध्यक्ष, केएएमएस अध्यक्ष, सीएनएम सदस्य और अन्य महत्वपूर्ण नेता भी शामिल रहे।
डॉ. यादव ने इस सफलता का श्रेय बीजापुर पुलिस, डीआरजी, सीआरपीएफ, एसटीएफ और अन्य सुरक्षा बलों को दिया। उन्होंने कहा कि लगातार हो रहे नक्सल विरोधी अभियानों और ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की विकास योजनाओं के प्रभाव से माओवादी संगठनों का मनोबल गिरा है। यही कारण है कि अब बड़ी संख्या में नक्सली मुख्यधारा में लौट रहे हैं।
Naxalites Surrender: नक्सल विरोधी अभियानों का असर
डॉ. यादव ने बताया कि 1 जनवरी 2024 से अब तक छत्तीसगढ़ में कुल 656 माओवादी गिरफ्तार किए गए हैं, 346 ने आत्मसमर्पण किया है, और 141 माओवादी मुठभेड़ों में मारे गए हैं। 2025 में अब तक 157 माओवादी गिरफ्तार हुए हैं, 157 ने आत्मसमर्पण किया और 83 माओवादी मुठभेड़ में मारे गए। यह दर्शाता है कि नक्सल उन्मूलन की दिशा में सुरक्षा बल लगातार सफलता प्राप्त कर रहे हैं।
डीआईजी सीआरपीएफ देवेंद्र सिंह नेगी ने भी इस घटनाक्रम को सुरक्षा बलों के अथक प्रयासों का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है, जिससे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लोगों का सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा है और वे माओवादी संगठनों से दूर हो रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि चाहे राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र हो, इंद्रावती पार्क क्षेत्र हो या अन्य कोई इलाका, सुरक्षा बल लगातार माओवादी गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं और नक्सल विरोधी अभियान बिना रुके जारी रहेगा।
Naxalites Surrender: सरकार का आत्मसमर्पण नीति पर जोर
आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों को सरकार की पुनर्वास योजना के तहत 25-25 हजार रुपये का चेक प्रदान किया गया। यह योजना राज्य में नक्सलवाद को समाप्त करने की दिशा में सरकार द्वारा उठाए जा रहे प्रभावी कदमों को दर्शाती है। पुलिस और प्रशासन ने बाकी नक्सलियों से भी अपील की है कि वे हिंसा का रास्ता छोड़कर सरकार की आत्मसमर्पण योजना का लाभ उठाएं।
अमित शाह का बयान: 2026 के बाद नक्सलवाद इतिहास बन जाएगा
इस बड़े आत्मसमर्पण पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने नक्सलियों के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीति स्पष्ट है कि जो भी नक्सली हथियार छोड़कर विकास का मार्ग अपनाएंगे, उन्हें सरकार पुनर्वास कर मुख्यधारा में जोड़ेगी।
अमित शाह ने कहा, 31 मार्च 2026 के बाद देश में नक्सलवाद इतिहास बनकर रह जाएगा, यह हमारा संकल्प है।” उन्होंने आगे कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सरकार द्वारा किए जा रहे विकास कार्यों और सुरक्षा बलों की रणनीति के कारण नक्सलियों का मनोबल टूटा है और वे आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
नक्सलवाद के खात्मे की ओर बढ़ता भारत
नक्सलवाद के खिलाफ सरकार और सुरक्षा बलों की यह रणनीति अब रंग ला रही है। पिछले कुछ वर्षों में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आत्मसमर्पण की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। सरकार की आत्मसमर्पण नीति और पुनर्वास योजनाएं नक्सलियों को हिंसा छोड़कर शांति की राह पर लौटने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
यह भी पढ़ें:-
Rajasthan: सीएम-डिप्टी सीएम को मिली धमकी के बाद बड़ी कार्रवाई, जेलर समेत 11 अधिकारी-कर्मचारी निलंबित