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सब्जियों और दालों की कीमतों में गिरावट से अगस्त में थाली सस्ती, 8 प्रतिशत तक गिरे दाम

Thali Price: भारत में कमोडिटी की कीमतों में नरमी के बीच, अगस्त में घर में पकाई जाने वाली शाकाहारी और मांसाहारी थाली की कीमतों में सालाना आधार पर क्रमशः 7 प्रतिशत और 8 प्रतिशत की गिरावट आई।

Thali Price: सोमवार को जारी क्रिसिल इंटेलिजेंस की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त माह में घर पर पकाई जाने वाली शाकाहारी और मांसाहारी थाली की कीमतों में सालाना आधार पर क्रमशः 7 प्रतिशत और 8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। यह राहत उपभोक्ताओं के लिए खास है क्योंकि बीते कुछ महीनों से खाद्य मुद्रास्फीति आम आदमी की जेब पर बोझ डाल रही थी।

Thali Price: आलू-प्याज की कीमतों में भारी गिरावट का असर

रिपोर्ट में बताया गया है कि शाकाहारी थाली की लागत में आई गिरावट का सबसे बड़ा कारण आलू और प्याज की कीमतों में आई नरमी है। आलू की कीमतें सालाना आधार पर 31 प्रतिशत तक कम हुई हैं। प्याज की कीमतों में 37 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। दरअसल, पिछले वर्ष झुलसा रोग और मौसम में उतार-चढ़ाव के कारण आलू का उत्पादन 5-7 प्रतिशत घटा था, जिससे कीमतें बढ़ गई थीं। इस बार उत्पादन 3-5 प्रतिशत अधिक होने का अनुमान है। इसी तरह प्याज के वार्षिक उत्पादन में 18-20 प्रतिशत वृद्धि हुई है, जिससे बाजार में आपूर्ति बढ़ी और कीमतों में कमी आई।

Thali Price: दालों में 14 प्रतिशत की गिरावट

क्रिसिल इंटेलिजेंस के अनुसार, पिछले वर्ष की तुलना में अधिक उत्पादन और बेहतर स्टॉक पोजिशन के कारण दालों की कीमतों में 14 प्रतिशत की कमी आई है। क्रिसिल इंटेलिजेंस के निदेशक पुशन शर्मा ने कहा, आलू और प्याज की कीमतों में गिरावट उच्च आधार पर हुई, जबकि अधिक उत्पादन के कारण दालों की कीमतों में नरमी आई। हालांकि, टमाटर और वनस्पति तेल की कीमतों में बढ़ोतरी ने थाली की लागत में समग्र गिरावट को सीमित किया है।

Thali Price: टमाटर और तेल ने सीमित की राहत

जहां एक ओर आलू, प्याज और दालों ने थाली को सस्ता किया, वहीं टमाटर और वनस्पति तेल की कीमतों में वृद्धि ने उपभोक्ताओं को मिली राहत को थोड़ा कम कर दिया। इसके बावजूद समग्र रूप से शाकाहारी थाली की कीमतें पिछले वर्ष के मुकाबले नीचे बनी हुई हैं।

सरकार के फैसले का असर

निकट भविष्य में भी थाली की कीमतें पिछले वर्ष की तुलना में कम रहने की संभावना जताई गई है। सरकार द्वारा पीली मटर और काले चने के मुफ्त आयात की अनुमति दिए जाने से दालों की कीमतों पर और दबाव बनेगा, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।

मांसाहारी थाली भी सस्ती

रिपोर्ट में कहा गया कि मांसाहारी थाली की कीमतों में गिरावट का प्रमुख कारण ब्रॉयलर की कीमतों में आई कमी है। ब्रॉयलर की कीमतें सालाना आधार पर 10 प्रतिशत कम हुई हैं। ब्रॉयलर लागत का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा होता है। इसके साथ ही सब्जियों और दालों की कम कीमतों ने मांसाहारी थाली को भी सस्ता किया है।

आम आदमी के खर्च पर असर

क्रिसिल की रिपोर्ट बताती है कि घर पर थाली बनाने की औसत लागत उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत में प्रचलित लागत के आधार पर निर्धारित की जाती है। इसमें हर महीने होने वाला बदलाव सीधे तौर पर आम आदमी के खर्च और उसकी रसोई पर पड़ने वाले असर को दर्शाता है।

कुल मिलाकर, अगस्त में थाली की कीमतों में आई गिरावट ने उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दी है। जहां शाकाहारी थाली 7 प्रतिशत सस्ती हुई है, वहीं मांसाहारी थाली 8 प्रतिशत कम लागत में तैयार हो रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि सब्जियों और दालों के बेहतर उत्पादन और सरकारी नीतियों के चलते आने वाले महीनों में भी थाली की कीमतें स्थिर और उपभोक्ता के पक्ष में रहने की संभावना है।

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