Retail Inflation: भारत की थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति सितंबर माह में 1.84 प्रतिशत पर पहुंच गई है। सरकार ने सोमवार को बताया कि इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण खाद्य वस्तुओं और कुछ विनिर्माण क्षेत्रों की कीमतों में उछाल है। इस तरह की मुद्रास्फीति की वृद्धि आमतौर पर बाजार में कीमतों के बढ़ने का संकेत देती है, जो उपभोक्ताओं पर आर्थिक दबाव डाल सकती है। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में परिवर्तन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह सीधे तौर पर आम लोगों के जीवन स्तर और खर्च करने की क्षमता को प्रभावित करता है। सरकार और संबंधित संस्थाएं इस स्थिति की निगरानी कर रही हैं और आवश्यक कदम उठाने पर विचार कर रही हैं।
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जानिए अगस्त और जुलाई में कितनी थी महंगाई दर
अगस्त में थोक महंगाई दर 1.31 प्रतिशत और जुलाई में 2.04 प्रतिशत थी। सितंबर महीने में थोक महंगाई दर में मासिक आधार पर अगस्त के मुकाबले 0.06 प्रतिशत का बदलाव हुआ है, जो दर्शाता है कि मुद्रास्फीति की दर में थोड़ी वृद्धि हुई है। यह वृद्धि मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति और अर्थव्यवस्था में बदलावों को समझने में महत्वपूर्ण है। खाद्य वस्तुओं और विनिर्माण क्षेत्रों में कीमतों के बदलावों को ध्यान में रखते हुए, सरकार और नीति निर्धारक संभावित उपायों पर विचार कर सकते हैं ताकि आर्थिक स्थिरता बनाए रखी जा सके।
इन कारणों से बढ़े चीजों के दाम
सितंबर में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में वृद्धि का कारण निम्नलिखित क्षेत्रों में कीमतों का बढ़ना है। इन सभी कारकों के कारण, थोक मूल्य सूचकांक में वृद्धि हुई है, जो संकेत देता है कि आर्थिक गतिविधियों में परिवर्तन हो रहा है और यह मुद्रास्फीति के स्तर को प्रभावित कर सकता है।
खाद्य पदार्थ: खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि, जैसे अनाज, फल और सब्जियाँ, जो थोक महंगाई पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं।
अन्य विनिर्माण: विभिन्न उत्पादों के विनिर्माण की लागत में वृद्धि।
मोटर वाहनों का विनिर्माण: वाहनों के उत्पादन में उपयोग होने वाले कच्चे माल और घटकों की कीमतें बढ़ी हैं।
ट्रेलर और अर्ध-ट्रेलर का विनिर्माण: इन परिवहन साधनों की कीमतों में वृद्धि भी थोक मूल्य सूचकांक को प्रभावित कर रही है।
मशीनरी और उपकरणों का विनिर्माण: मशीनरी और उपकरणों की लागत में बढ़ोतरी ने भी WPI में योगदान दिया है।
वस्तुओं की कीमतों में इतना प्रतिशत हुआ इजाफा
सितंबर में प्राथमिक वस्तुओं के लिए थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में वृद्धि का विवरण इस प्रकार है। अगस्त में WPI: 194.9 और सितंबर में WPI: 195.7 दर्ज किया गया। इस दौरान 0.41 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस अवधि के दौरान विभिन्न श्रेणियों में कीमतों में वृद्धि हुई।
- खनिजों की कीमतों में वृद्धि: 1.83 प्रतिशत
- गैर-खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि: 1.31 प्रतिशत
- खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि: 0.86 प्रतिशत
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि प्राथमिक वस्तुओं की कीमतों में एक सामान्य वृद्धि हो रही है, जो थोक महंगाई को प्रभावित कर रही है। यह वृद्धि विभिन्न उद्योगों और उपभोक्ताओं के लिए महंगाई के बढ़ते स्तर को दर्शाती है।
बिजली और खनिज तेल हुए सस्ते
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में विभिन्न वस्तुओं की कीमतों में बदलाव का विवरण निम्नलिखित है। कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की कीमतों में 5.74 प्रतिशत की गिरावट आई। मूल धातुओं का विनिर्माण, वस्त्र, मोटर वाहन, ट्रेलर और अर्ध-ट्रेलर, रसायन और रासायनिक उत्पाद, मशीनरी और उपकरण को छोड़कर निर्मित धातु उत्पाद की कीमतों में कमी दर्ज हुई।
- ईंधन एवं बिजली का सूचकांक: अगस्त: 148.1 और सितंबर: 146.9
- बदलाव: 0.81 प्रतिशत की गिरावट
- बिजली की कीमत में 1.34 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
- खनिज तेलों की कीमत में 1.72 प्रतिशत की कमी आई।
- कोयले का सूचकांक सितंबर में 135.6 पर स्थिर रहा।