RBI: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने डिजिटल भुगतान से जुड़े धोखाधड़ी और साइबर अपराधों को रोकने के लिए एक अहम कदम उठाया है। आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को घोषणा की कि केंद्रीय बैंक ‘बैंकडॉटइन’ (bank.in) और ‘फिनडॉटइन’ (fin.in) नामक दो विशेष इंटरनेट डोमेन लॉन्च करेगा। इस नई पहल के तहत, ‘बैंकडॉटइन’ भारतीय बैंकों के लिए एक एक्सक्लूसिव इंटरनेट डोमेन होगा, जबकि ‘फिनडॉटइन’ वित्तीय क्षेत्र में कार्यरत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के लिए उपलब्ध होगा। इस कदम का मुख्य उद्देश्य साइबर सुरक्षा खतरों और ऑनलाइन फ्रॉड को कम करना और डिजिटल बैंकिंग सेवाओं को सुरक्षित बनाना है।
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डिजिटल फ्रॉड रोकने की दिशा में बड़ा कदम
आरबीआई ने इस कदम को उठाने के पीछे मुख्य वजह तेजी से बढ़ते ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी और फिशिंग हमलों को बताया है। बीते कुछ वर्षों में डिजिटल भुगतान में जबरदस्त वृद्धि हुई है, लेकिन इसके साथ ही साइबर अपराधियों द्वारा आम लोगों को ठगने के मामलों में भी तेजी आई है।
‘बैंकडॉटइन’ और ‘फिनडॉटइन’ डोमेन का उपयोग सुनिश्चित करेगा कि ग्राहकों को केवल अधिकृत बैंकों और वित्तीय संस्थानों की वेबसाइटों तक पहुंच मिले। इससे नकली वेबसाइटों के जरिए होने वाले साइबर फ्रॉड पर लगाम लगेगी और डिजिटल भुगतान सेवाओं को ज्यादा सुरक्षित बनाया जा सकेगा।
पंजीकरण अप्रैल 2025 से होगा शुरू
आरबीआई गवर्नर ने बताया कि इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोलॉजी (IDRBT) को विशेष रजिस्ट्रार नियुक्त किया गया है। यह संस्थान इन डोमेन के पंजीकरण की प्रक्रिया को देखेगा और उन्हें मैनेज करेगा।
इसके तहत वास्तविक पंजीकरण प्रक्रिया अप्रैल 2025 से शुरू होगी। आरबीआई द्वारा बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए विस्तृत दिशानिर्देश भी अलग से जारी किए जाएंगे, जिससे इन डोमेन के उचित उपयोग और कार्यान्वयन को सुनिश्चित किया जा सके।
एडिशनल फैक्टर ऑफ ऑथेंटिकेशन (AFA) को किया अनिवार्य
डिजिटल फ्रॉड को रोकने और सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए आरबीआई ने क्रॉस-बॉर्डर कार्ड नॉट प्रेजेंट (CNP) लेन-देन में एडिशनल फैक्टर ऑफ ऑथेंटिकेशन (AFA) को अनिवार्य कर दिया है।
AFA का महत्व और नया दिशानिर्देश
AFA डिजिटल भुगतान को सुरक्षित करने के लिए एक अतिरिक्त सत्यापन प्रक्रिया है। जब कोई ग्राहक डिजिटल लेन-देन करता है, तो उसे पासवर्ड, OTP (वन टाइम पासवर्ड) या बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन के माध्यम से अपनी पहचान की पुष्टि करनी होती है।
आरबीआई के नए नियमों के तहत:
- अब क्रॉस-बॉर्डर कार्ड नॉट प्रेजेंट ट्रांजैक्शन में भी AFA की जरूरत होगी, ठीक वैसे ही जैसे घरेलू लेन-देन में होता है।
- यह बदलाव डिजिटल भुगतान में धोखाधड़ी को रोकने और सुरक्षा को बढ़ाने के लिए किया गया है।
- बैंक और वित्तीय संस्थान अब AFA के तहत एक रिस्क-बेस्ड अप्रूवल सिस्टम लागू करेंगे, जिससे लेन-देन की सुरक्षा बढ़ेगी।
AFA से ग्राहकों को क्या फायदा होगा?
- डिजिटल भुगतान में धोखाधड़ी के मामलों में कमी आएगी।
- लेन-देन की सुरक्षा और पारदर्शिता बढ़ेगी।
- ग्राहकों को अधिक भरोसेमंद और सुरक्षित डिजिटल बैंकिंग अनुभव मिलेगा।
डिजिटल फ्रॉड से बचने के लिए क्या करें?
आरबीआई ने ग्राहकों को भी कुछ अहम सुझाव दिए हैं ताकि वे डिजिटल धोखाधड़ी से बच सकें:
- हमेशा बैंक या वित्तीय संस्थान की आधिकारिक वेबसाइट से ही ट्रांजैक्शन करें।
- संदिग्ध लिंक या ईमेल से बचें और किसी अनजान व्यक्ति को बैंकिंग डिटेल न दें।
- सिर्फ अधिकृत ऐप और पोर्टल्स का उपयोग करें।
- यदि कोई संदिग्ध गतिविधि दिखाई दे तो तुरंत बैंक और साइबर सेल में शिकायत करें।
आरबीआई की यह नई पहल डिजिटल बैंकिंग को अधिक सुरक्षित और भरोसेमंद बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ‘बैंकडॉटइन’ और ‘फिनडॉटइन’ डोमेन शुरू करने से ग्राहकों को केवल अधिकृत वित्तीय संस्थानों की सेवाओं तक पहुंच मिलेगी, जिससे फर्जी वेबसाइटों और फिशिंग हमलों को रोकने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही, एडिशनल फैक्टर ऑफ ऑथेंटिकेशन (AFA) को अनिवार्य बनाने से डिजिटल लेन-देन की सुरक्षा और मजबूत होगी। यह सभी ग्राहकों के लिए एक राहत की खबर है, क्योंकि इससे वे अधिक सुरक्षित तरीके से ऑनलाइन लेन-देन कर सकेंगे।
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