Petrol Diesel Price: प्रमुख रेटिंग एजेंसी आईसीआरए ने गुरुवार को कहा कि यदि कच्चे तेल की कीमतें स्थिर रहती हैं, तो भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2-3 रुपये प्रति लीटर की कटौती की जा सकती है। हाल के हफ्तों में कच्चे तेल की कीमतों में कमी आई है, जिससे भारतीय तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) के लिए ऑटो ईंधन की खुदरा बिक्री पर मार्केटिंग मार्जिन में सुधार हुआ है। आईसीआरए का अनुमान है कि अगर कच्चे तेल की कीमतें मौजूदा स्तरों पर बनी रहती हैं, तो खुदरा ईंधन की कीमतों में कमी की संभावनाएं हैं। रिफाइनिंग और मार्केटिंग सेक्टर के लिए भविष्य की संभावनाएं भी स्थिर बनी हुई हैं।
Table of Contents
5 अक्टूबर से घट सकते है दाम
आईसीआरए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और समूह प्रमुख (कॉर्पोरेट रेटिंग) गिरीशकुमार कदम ने बताया कि सितंबर 2024 (17 सितंबर तक) में अंतरराष्ट्रीय उत्पाद कीमतों की तुलना में ओएमसी की शुद्ध प्राप्ति पेट्रोल के लिए 15 रुपये प्रति लीटर और डीजल के लिए 12 रुपये प्रति लीटर अधिक रही। इस बीच, एक अन्य प्रमुख रेटिंग एजेंसी सीएलएसए ने भी बुधवार को अनुमान जताया कि 5 अक्टूबर के बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी की जा सकती है।
2-3 रुपये सस्ता होगा पेट्रोल और डीजल
आईसीआरए के अनुसार, पेट्रोल और डीजल के खुदरा बिक्री मूल्य (आरएसपी) मार्च 2024 से अपरिवर्तित बने हुए हैं, जिसमें 15 मार्च को पेट्रोल और डीजल पर 2 रुपये प्रति लीटर की कमी की गई थी। अगर कच्चे तेल की कीमतें इसी तरह स्थिर रहती हैं, तो इन ईंधनों की कीमतों में 2-3 रुपये प्रति लीटर तक कमी की संभावना है। यह स्थिति उपभोक्ताओं के लिए राहत लेकर आ सकती है, खासकर तब जब ऑटो ईंधन की मार्केटिंग मार्जिन में सुधार हो रहा है।
बीते कुछ महीनों से कच्चे तेल में गिरावट
पिछले कुछ महीनों में कच्चे तेल की कीमतों में तेज गिरावट आई है, जो मुख्यतः कमजोर वैश्विक आर्थिक विकास और उच्च अमेरिकी उत्पादन के कारण है। इसके साथ ही, ओपेक+ ने गिरती कीमतों से निपटने के लिए अपने उत्पादन में कटौती को दो महीने के लिए वापस ले लिया है। इस स्थिति का प्रभाव भारतीय तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) की मार्केटिंग मार्जिन पर पड़ा है, जिससे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में संभावित कमी की संभावना बनी है।
इसलिए मांग में आई कमी
कमजोर मांग का मुख्य कारण चीन में बढ़ती इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बिक्री, उद्योग की सुस्त मांग और रियल एस्टेट में मंदी है। इसके अलावा, यूरोप में भी मांग में कमी आई है, जिसका कारण कमजोर औद्योगिक गतिविधि और वाहन बेड़े में ईवी की ओर संरचनात्मक बदलाव है। यह सब मिलकर कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव बना रहा है, जिससे वैश्विक बाजार में सुस्ती देखने को मिल रही है।