Nitish Kumar Mental Health: बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार की हालिया हरकतों ने उनकी मानसिक सेहत को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। 20 मार्च को पटना में एक कार्यक्रम के दौरान उन्हें राष्ट्रगान के समय हंसते और मजाक करते देखा गया। जब प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने उन्हें सावधान की स्थिति में खड़े होने का इशारा किया, तो नितीश पत्रकारों का अभिवादन करने लगे। इस घटना ने बिहार की राजनीति में भूचाल ला दिया है।
लेकिन क्या ये सारी घटनाएं सिर्फ संयोग हैं या फिर इसके पीछे कोई गंभीर समस्या छिपी है? क्या बीजेपी जानबूझकर इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है? आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।
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Nitish Kumar Mental Health: नितीश कुमार की अजीब हरकतें
20 मार्च को पटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में जब राष्ट्रगान शुरू होने वाला था, तब नितीश कुमार ने मंच से इशारा किया कि पहले स्टेडियम का एक राउंड ले लिया जाए और फिर राष्ट्रगान शुरू किया जाए। उनके इस इशारे पर मंत्री विजय चौधरी ने राष्ट्रगान रुकवा दिया। जब राष्ट्रगान दोबारा शुरू हुआ, तब भी नितीश अजीब हरकतें करते रहे।



लेकिन ये पहली बार नहीं है जब नितीश कुमार की हरकतें चर्चा में आई हैं:
- 15 मार्च 2025 को पटना में होली मिलन समारोह के दौरान नितीश कुमार ने भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद के पैर छूने की कोशिश की। हालांकि, रविशंकर प्रसाद ने उन्हें रोक लिया और जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने भी मुख्यमंत्री का हाथ पकड़ लिया।
- 7 जून 2024 और 13 नवंबर 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पैर छूने की कोशिश करना।
- 30 जनवरी 2025 को महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के बाद ताली बजाना।
- विधानसभा सत्र के दौरान मंत्री अशोक चौधरी की कंगन से खेलना।
- 15 अक्टूबर 2024 को गांधी मैदान में रावण वध के दौरान दिए गए तीर-धनुष को फेंक देना।
- 21 सितंबर 2024 को मंत्री अशोक चौधरी को गले लगाकर कहना कि ‘हम उन्हें बहुत प्यार करते हैं।’
Nitish Kumar Mental Health: विपक्ष का हमला और BJP की चुप्पी
इन घटनाओं के बाद विपक्ष ने नितीश कुमार की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाए और उनके इस्तीफे की मांग की।
- लालू यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा कि भारत राष्ट्रगान का अपमान सहन नहीं करेगा।
- राबड़ी देवी ने विधान सभा में कहा कि अगर नितीश कुमार मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं, तो उन्हें गद्दी छोड़कर अपने बेटे को मुख्यमंत्री बना देना चाहिए।
- तेजस्वी यादव ने कहा कि ये बिहार के लिए काला दिन था और BJP और जदयू दोनों इस मामले में चुप हैं।
- प्रशांत किशोर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को नितीश कुमार की मानसिक स्थिति के बारे में पता है, लेकिन वोटों के लालच में वे चुप हैं।
Nitish Kumar Mental Health: BJP की चुप्पी का कारण
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि BJP की चुप्पी का कारण यह है कि उसे बिहार में सत्ता में बने रहने के लिए नितीश कुमार का साथ चाहिए। BJP नहीं चाहती कि नितीश कुमार की सेहत पर टिप्पणी कर के जदयू के वोट बैंक को नुकसान हो। इसके अलावा, अगर BJP इस मामले को उठाती है तो इसका फायदा विपक्षी दलों को हो सकता है।

अगर नितीश कुमार राजनीति से अलग हो गए तो?
अगर नितीश कुमार राजनीति से दूर होते हैं तो यह बिहार की राजनीति में बड़ा मोड़ साबित हो सकता है।
- BJP को यह तय करना होगा कि अगले चुनाव नितीश कुमार के नेतृत्व में लड़े जाएं या नहीं।
- जदयू को अपने नेतृत्व के लिए कोई और विकल्प ढूंढना होगा।
- नितीश कुमार के बेटे निशांत को राजनीति में उतारा जा सकता है, लेकिन BJP इससे खुश नहीं है।
- कुर्मी वोट बैंक भी संकट में आ सकता है क्योंकि नितीश कुमार इसी जाति से आते हैं।
नेताओं के लिए कोई रिटायरमेंट उम्र क्यों नहीं है?
भारतीय संविधान में राजनेताओं के लिए कोई अधिकतम उम्र सीमा निर्धारित नहीं है। सांसद या विधायक बनने के लिए न्यूनतम उम्र 25 या 30 साल हो सकती है, लेकिन रिटायरमेंट उम्र का कोई प्रावधान नहीं है। राजनीति को एक सेवा माना जाता है, न कि नौकरी, जिसमें रिटायरमेंट का नियम हो।
क्या मानसिक रूप से अस्वस्थ नेता सत्ता में रह सकते हैं?
- Representation of the People Act 1950 के तहत अगर कोई व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ साबित होता है तो उसका नाम वोटर लिस्ट में शामिल नहीं किया जाता।
- Representation of the People Act 1951 के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति का नाम वोटर लिस्ट में नहीं है तो वह चुनाव नहीं लड़ सकता।
- Article 191 के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति की मानसिक स्थिति खराब होने का प्रमाण मिल जाता है तो उसकी विधानसभा की सदस्यता भी जा सकती है।
क्या BJP की चुप्पी लंबे समय तक बनी रहेगी? या वो इस मुद्दे पर खुलकर बोलेंगे? क्या नितीश कुमार की सेहत वाकई एक गंभीर मसला है? ये सवाल आने वाले समय में बिहार की राजनीति को और रोचक बना सकते हैं।
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