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Nalanda University: PM मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का किया उद्घाटन, बोले- पुस्तकें भले ही जल जाएं, लेकिन ज्ञान को नहीं मिटा सकती

Nalanda University: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को बिहार के राजगीर में अंतर्राष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय परिसर का उद्घाटन कर दिया है।

Nalanda University: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को बिहार के राजगीर में अंतर्राष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय परिसर का उद्घाटन कर दिया है। इस मौके पर पीएम मोदी ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने सदियों तक निरंतरता को एक मॉडल के रूप में जीकर दिखाया है। अपने उन्हीं अनुभवों के आधार पर भारत ने विश्व को ‘मिशन लाइफ’ जैसा मानवीय विजन दिया है। इस महत्वपूर्ण अवसर पर उन्होंने एक गहन संदेश दिया, ‘पुस्तकें भले ही जल जाएं, लेकिन ज्ञान को नहीं मिटा सकती।’

‘आग की लपटों में पुस्तकें भले ही जल जाएं, लेकिन ज्ञान को नहीं मिटा सकती’

ज्ञान के महत्व के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आग की लपटों में पुस्तकें भले ही जल जाएं, लेकिन ज्ञान को मिटा नहीं सकते। उन्होंने कहा कि यह नया कैंपस, विश्व को भारत के सामर्थ्य का परिचय देगा। नालंदा बताएगा जो राष्ट्र, मजबूत मानवीय मूल्यों पर खड़े होते हैं। वो राष्ट्र इतिहास को पुनर्जीवित कर बेहतर भविष्य की नींव रखना जानते हैं। पीएम मोदी के इस वक्तव्य का मुख्य संदेश यह है कि ज्ञान एक अमर तत्व है। भले ही पुस्तकें जल जाएं, लेकिन ज्ञान हमेशा सुरक्षित रहता है और अगली पीढ़ियों को स्थानांतरित होता रहता है।

20 से ज्यादा देशों छात्र कर रहे हैं पढ़ाई

पीएम मोदी ने कहा कि यहां दुनिया के कई देशों से छात्र आने लगे हैं। मौजूदा समय में नालंदा में 20 से ज्यादा देशों के छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। ये वसुधैव कुटुंबकम की भावना का कितना सुंदर प्रतीक है। बता दें कि लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार बिहार दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी राजगीर स्थित अंतर्राष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय परिसर पहुंचे और नए परिसर का उद्घाटन किया। इस मौके पर बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भी उपस्थित रहे।

नालंदा विश्वविद्यालय का ऐतिहासिक महत्व:

प्राचीन गौरव: नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 5वीं शताब्दी में गुप्त वंश के दौरान हुई थी और यह प्राचीन भारत का सबसे प्रमुख शिक्षा केंद्र था। यहां पर विभिन्न विषयों में पढ़ाई होती थी, जैसे कि बौद्ध धर्म, चिकित्सा, गणित, खगोल विज्ञान, और साहित्य।

विनाश और पुनरुद्धार: 12वीं शताब्दी में तुर्की आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने इस विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया, जिससे यहां का सारा साहित्य और ज्ञान भंडार जलकर खाक हो गया। इसके बावजूद, नालंदा विश्वविद्यालय का ज्ञान और उसकी शिक्षण परंपरा आज भी जीवित है और इसका पुनरुद्धार हो रहा है।

नालंदा विश्वविद्यालय उद्घाटन का महत्व:

शिक्षा का पुनर्जन्म: नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का उद्घाटन शिक्षा और ज्ञान के पुनर्जन्म का प्रतीक है। यह उद्घाटन भारत के गौरवशाली शैक्षिक इतिहास को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

वैश्विक शैक्षिक केंद्र: नालंदा विश्वविद्यालय को एक वैश्विक शैक्षिक केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहां विभिन्न देशों के छात्र और विद्वान अध्ययन और शोध करेंगे।
यह ज्ञान और संस्कृति के आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा।

नालंदा विश्वविद्यालय शैक्षिक इतिहास का पुनर्जीवित प्रतीक

नालंदा विश्वविद्यालय का नया कैंपस न केवल भारत के शैक्षिक इतिहास का पुनर्जीवित प्रतीक है, बल्कि यह ज्ञान और शिक्षा के प्रसार के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश हमें यह याद दिलाता है कि भले ही भौतिक पुस्तकें नष्ट हो सकती हैं, लेकिन ज्ञान की ज्योति हमेशा प्रज्वलित रहती है। नालंदा विश्वविद्यालय का पुनरुद्धार इस बात का प्रमाण है कि शिक्षा और ज्ञान की शक्ति अमर है और यह समाज को एक उज्जवल भविष्य की ओर ले जाती है।

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