DA Hike: केंद्र सरकार के कदम की तर्ज पर बिहार सरकार ने अपने राज्य कर्मचारियों, पेंशनभोगियों और पारिवारिक पेंशनभोगियों को बड़ी आर्थिक सौगात दी है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने शुक्रवार को घोषणा की कि महंगाई भत्ता (डीए) और महंगाई राहत (डीआर) में 3 फीसदी की बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई है। इससे डीए दर 55% से बढ़कर 58% हो जाएगी, जो 1 जुलाई 2025 से प्रभावी होगी। यह फैसला दिवाली और छठ जैसे प्रमुख त्योहारों से ठीक पहले आया है, जो लाखों परिवारों के लिए राहत लेकर आया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने 129 एजेंडों पर मुहर लगाते हुए इस निर्णय को प्राथमिकता दी, जिससे वित्तीय वर्ष 2025-26 में राज्य पर 917.78 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
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DA Hike: 1 जुलाई से लागू, बकाया अक्टूबर वेतन के साथ
उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि जनवरी 2025 से 55% डीए दिया जा रहा था, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा जुलाई 2025 से 58% दर स्वीकृत करने के बाद बिहार ने भी तत्काल कदम उठाया। यह बढ़ोतरी 7वें वेतन आयोग के तहत लागू होगी। कर्मचारियों को जुलाई से सितंबर तक का बकाया अक्टूबर 2025 के वेतन के साथ नकद मिलेगा, जबकि पेंशनभोगियों को 1 जुलाई से संशोधित डीआर का भुगतान सीधे किया जाएगा। चौधरी ने जोर देकर कहा, लाखों कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की जीवनयापन महंगाई से प्रभावित न हो, इसके लिए सरकार प्रतिबद्ध है। यह तोहफा दिवाली-छठ की खुशियां दोगुना करेगा।
DA Hike: 5 लाख कर्मचारियों और 6 लाख पेंशनभोगियों को लाभ
इस फैसले से राज्य के 5 लाख से अधिक कर्मचारियों और 6 लाख से ज्यादा पेंशनभोगियों को सीधा लाभ मिलेगा। कुल 11 लाख से अधिक लोगों की मासिक आय में वृद्धि होगी, जो महंगाई के दौर में बड़ी राहत साबित होगी। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि यह वृद्धि बेसिक पे के 58% पर आधारित है, जो कर्मचारियों की क्रय शक्ति को मजबूत करेगी।
DA Hike: नीतीश सरकार की प्रतिबद्धता: कर्मचारी हितों को प्राथमिकता
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने बार-बार कर्मचारी कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता बताई है। उपमुख्यमंत्री ने कहा, नीतीश कुमार जी की सरकार बढ़ती महंगाई और आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद कर्मचारियों को सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करने के लिए कटिबद्ध है। केंद्र के फैसले का अनुसरण कर हमने समय पर राहत प्रदान की। यह घोषणा राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि बिहार में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घोषणाएं एनडीए की लोकप्रियता बढ़ाएंगी।
कैबिनेट बैठक में कुल 129 प्रस्तावों पर चर्चा हुई, जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास से जुड़े कई निर्णय शामिल थे। कैबिनेट सचिवालय के अतिरिक्त मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने बताया कि डीए वृद्धि का निर्णय महंगाई नियंत्रण के लिए आवश्यक था। उन्होंने कहा, कर्मचारी राज्य की रीढ़ हैं, उनकी संतुष्टि से प्रशासनिक दक्षता बढ़ेगी।
कर्मचारी संगठनों का स्वागत, मांगे और बढ़ीं
बिहार राज्य कर्मचारी संघ ने इस फैसले का जोरदार स्वागत किया। संघ के अध्यक्ष सुनील कुमार ने कहा, यह वृद्धि स्वागतयोग्य है, लेकिन पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाल करने और प्रमोशन में पारदर्शिता की मांग बरकरार है। वहीं, पेंशनर्स एसोसिएशन की अध्यक्षा रमा देवी ने बताया कि एक औसत पेंशनभोगी को मासिक 1,000-1,500 रुपये की अतिरिक्त राशि मिलेगी, जो दवाइयों और घरेलू खर्चों में मददगार होगी। एक रिटायर्ड शिक्षक ने खुशी जताते हुए कहा, महंगाई ने सब कुछ महंगा कर दिया था, यह बढ़ोतरी त्योहारों को रंगीन बनाएगी।
आर्थिक प्रभाव: 917 करोड़ का बोझ
इस वृद्धि से राज्य के खजाने पर 917.78 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा, लेकिन सरकार इसे विकास योजनाओं के साथ जोड़ रही है। अर्थशास्त्री डॉ. राकेश सिंह ने कहा, यह फैसला उपभोक्ता खर्च बढ़ाएगा, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देगा। त्योहारी सीजन में बाजार फल-फूलेंगे। हालांकि, विपक्ष ने इसे चुनावी स्टंट बताया। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा, वोट के लिए आखिरी मौके पर घोषणा, लेकिन पिछले तीन सालों की उपेक्षा भूल गए।
एनडीए की रणनीति
बिहार विधानसभा चुनावों के नजदीक आते ही सरकार की यह घोषणा रणनीतिक मानी जा रही है। पिछले महीनों में कई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा हो चुकी है, जो कर्मचारी वोट बैंक को मजबूत करने का प्रयास दर्शाती है। राजनीतिक विश्लेषक प्रो. संजय कुमार ने कहा, कर्मचारी और पेंशनभोगी वोटर बेस मजबूत हैं। यह कदम एनडीए को फायदा पहुंचा सकता है। दूसरी ओर, सरकार इसे सामाजिक न्याय का हिस्सा बता रही है।
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