Bihar Elections: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में 18 जिलों के 121 विधानसभा क्षेत्रों में मंगलवार (5 नवंबर 2025) की शाम को प्रचार थम गया। 6 नवंबर को मतदान होगा, जहां लाखों मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। इस बीच, दरभंगा जिले की गौराबौराम विधानसभा सीट पर महागठबंधन में उलटफेर ने सबको चौंका दिया। विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के संस्थापक और पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने अपने भाई संतोष सहनी को नाम वापस लेने का ऐलान कर दिया और राजद के निष्कासित प्रत्याशी मोहम्मद अफजल अली खान को समर्थन दे दिया। सहनी ने इसे “गठबंधन धर्म” का पालन बताते हुए कहा कि इससे एनडीए को फायदा मिलने से बचाया जा सकता है। यह फैसला सीट बंटवारे की जटिलताओं के बीच आया है, जहां मुस्लिम वोटों का विभाजन भाजपा को लाभ पहुंचा सकता था।
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Bihar Elections: पहले चरण में 121 सीटों पर सियासी जंग थमी
बिहार चुनाव आयोग के अनुसार, पहले चरण के प्रचार का अंत मंगलवार शाम 5 बजे हो गया। 121 सीटों पर 6 नवंबर को सुबह 7 से शाम 6 बजे तक मतदान होगा। प्रमुख जिलों में पटना, नालंदा, वैशाली, दरभंगा और मधुबनी शामिल हैं। एनडीए (भाजपा-जदयू) और महागठबंधन (राजद-कांग्रेस-वामपंथी-वीआईपी) के बीच कांटे की टक्कर है। विपक्ष ने जातिगत जनगणना और सामाजिक न्याय को मुद्दा बनाया है, जबकि सत्ताधारी गठबंधन ने विकास और कल्याण योजनाओं पर जोर दिया। कुल 1,700 से अधिक उम्मीदवार मैदान में हैं, और सुरक्षा के लिए केंद्रीय बल तैनात हैं। चुनाव आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत वोटर लिस्ट साफ की है।
Bihar Elections: गौराबौराम पर विवाद
गौराबौराम सीट, जो दरभंगा जिले के 79 नंबर विधानसभा क्षेत्र के रूप में जानी जाती है, महागठबंधन के लिए सिरदर्द बनी हुई है। सीट-शेयरिंग एग्रीमेंट के तहत यह वीआईपी को दी गई थी। मुकेश सहनी ने अपने छोटे भाई संतोष सहनी को टिकट दिया, जो मल्लाह समुदाय के प्रभावशाली नेता हैं। लेकिन राजद ने पहले मोहम्मद अफजल अली खान को टिकट दे दिया था, जो नामांकन भर चुके थे। अफजल ने सीट छोड़ने से इनकार कर दिया, जिससे गठबंधन में दरार आ गई। राजद ने इसे “अनुशासनहीनता” बताते हुए अफजल को 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया।
Bihar Elections: राजद का सख्त फैसला
सोमवार को राजद प्रदेश अध्यक्ष मंगनीलाल मंडल ने आदेश जारी कर अफजल अली खान को पार्टी से बर्खास्त किया। आदेश में कहा गया, “लालू प्रसाद यादव के निर्णय के अनुसार, गौराबौराम सीट वीआईपी को आवंटित की गई है। संतोष सहनी महागठबंधन के अधिकृत उम्मीदवार हैं। अफजल ने पार्टी निर्देश की अवहेलना कर नामांकन वापस नहीं लिया, जो एनडीए को फायदा पहुंचाने वाला कदम है। उनकी हठधर्मिता के कारण 6 वर्षों के लिए प्राथमिक सदस्यता समाप्त।” राजद ने अफजल को “गठबंधन धर्म” निभाने की अपील की थी, लेकिन वे नहीं माने। इससे मुस्लिम वोट बैंक में विभाजन की आशंका पैदा हो गई, जो भाजपा के लिए फायदेमंद हो सकता था।
Bihar Elections: मुकेश सहनी का ऐलान: भाई संतोष ने बड़ा दिल दिखाया
मंगलवार को दरभंगा में प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुकेश सहनी ने ट्विस्ट दिया। उन्होंने कहा, “शुरुआत में दोनों प्रत्याशियों ने नामांकन भरा। अफजल को कई बार समझाया, लेकिन वे नहीं माने। अंततः संतोष ने बड़ा दिल दिखाते हुए नाम वापस ले लिया और अफजल को समर्थन दे दिया। अगर दोनों मैदान में रहते, तो वोट बंटते और एनडीए को लाभ मिलता। यह एक विधायक की जीत की लड़ाई नहीं, महागठबंधन सरकार बनाने की जंग है।” सहनी ने जोर दिया कि अफजल की जीत भी गठबंधन की जीत होगी। वीआईपी ने संतोष को तुरंत नाम वापस लेने का फॉर्म भरने का ऐलान किया। सहनी ने अन्य सीटों पर भी समान समझौते की अपील की।
Bihar Elections: एनडीए का दावा, बागी प्रत्याशी से फायदा
भाजपा ने इसे महागठबंधन की कमजोरी बताया। गौराबौराम से भाजपा प्रत्याशी सुजीत कुमार सिंह (पूर्व आईआरएस) ने कहा, “अफजल और संतोष के बीच वोट बंटेंगे, लेकिन अब समर्थन से भी मुस्लिम वोट प्रभावित होगा। हमारा फोकस मल्लाह, यादव और अन्य समुदायों पर है।” सुजीत की पत्नी स्वर्णा सिंह ने 2020 में वीआईपी टिकट पर जीत हासिल की थी, लेकिन बाद में भाजपा में शामिल हो गईं। जन सुराज पार्टी ने मोहम्मद इफ्तिखार आलम को टिकट दिया है। स्थानीय वोटरों का कहना है कि असली मुकाबला अफजल और सुजीत के बीच है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना गठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़ी कर रही है।
Bihar Elections: गठबंधन की मजबूती या दरार?
महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को सीएम फेस और मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम फेस घोषित किया है। लेकिन गौराबौराम जैसी घटनाएं आंतरिक कलह दिखा रही हैं। राजद का कहना है कि संतोष ही आधिकारिक उम्मीदवार हैं, जबकि वीआईपी अब अफजल के साथ है। इससे वोट ट्रांसफर मुश्किल हो सकता है। एनडीए ने इसे “जंगल राज की वापसी” बताकर हमला बोला। पहले चरण में 121 सीटों पर कुल 2.5 करोड़ मतदाता हैं। चुनाव आयोग ने सख्त निगरानी का ऐलान किया है। यह ट्विस्ट बिहार चुनाव को और रोचक बना रहा है, जहां सामाजिक न्याय vs विकास की जंग तेज है।
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