Himachal Pradesh : हिमाचल प्रदेश में जारी सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच कांग्रेस के छह बागी विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए है। इन विधायकों ने स्पीकर के अयोग्य करार देने के फैसले को चुनौती दी है। बता दें कि अध्यक्ष ने विधानसभा बजट के दौरान मौजूद नहीं थे, ऐसे में इन विधायकों को अयोग्य करार दिया था। अब इन बागी विधायकों ने स्पीकर के फैसले को रद्द करने की मांग की है।
छह विधायकों ने की क्रॉस वोटिंग
बीते दिनों हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के इन छह विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी। इसके बाद बीजेपी के हर्ष महाजन जीत मिली थी। वहीं, कांग्रेस के उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को हार का मुंह देखना पड़ा था। इसके बाद राज्य की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे थे। इन विधायकों को बीजेपी के समर्थन में बयानबाजी भी की।
बीजेपी MLAs के खिलाफ कार्यवाही
बीते दिनों कांग्रेस के भीतर ही बागी विधायकों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने की मांग उठने लगी है। दूसरी तरफ, बीजेपी के उन विधायकों के खिलाफ कार्यवाही शुरू की जिन पर 28 फरवरी को विधानसभा में बजट पारित होने से पहले हंगामा करने के आरोप लगा। मामला विशेषाधिकार समिति के पास भेजा गया है।
हाईकोर्ट का सुक्खू सरकार को झटका
हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार को मंगलवार को बड़ा झटका लगा है। हिमाचल हाईकोर्ट ने वॉटर सेस अधिनियम को खारिज करते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया है। सुक्खू सरकार द्वारा बनाए गए इस अधिनियम के विरोध में 40 विद्युत कंपनियों का कोर्ट पहुंचे थे। हिमाचल हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अब राज्य सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना को खारिज हो गई। न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार वाटर सेस पर अलग से कानून नहीं बना सकती।