By-Election: भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने तीन राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में खाली हुई विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कराने की घोषणा की है। झारखंड, मिजोरम और जम्मू-कश्मीर की विधानसभा की कुछ सीटें विधायकों के निधन के कारण रिक्त हो गई हैं। आयोग ने इन सीटों को भरने के लिए चुनावी कार्यक्रम जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि सभी उपचुनाव 16 नवंबर, 2025 तक पूरे कर लिए जाएंगे। यह कदम लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत निष्पक्षता सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया है। आयोग ने सात राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में कुल आठ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखें तय की हैं, लेकिन झारखंड, मिजोरम और जम्मू-कश्मीर पर फोकस करते हुए यहां विस्तार से जानकारी दी जा रही है।
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By-Election: झारखंड की घाटशिला (एसटी) सीट: राम दास सोरेन के निधन से रिक्त
झारखंड की 45-घाटशिला (अनुसूचित जनजाति) विधानसभा सीट विधायक राम दास सोरेन के निधन के कारण 15 अगस्त, 2025 को खाली हो गई थी। पूर्वी सिंहभूम जिले में स्थित यह सीट आदिवासी बहुल क्षेत्र है, जहां झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) का पारंपरिक प्रभाव रहा है। चुनाव आयोग ने इस सीट पर उपचुनाव की पूरी प्रक्रिया तय की है। नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अक्टूबर, 2025 रहेगी। 22 अक्टूबर को नामांकन की जांच होगी, जबकि उम्मीदवार 24 अक्टूबर तक अपने नाम वापस ले सकेंगे। मतदान 11 नवंबर को सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक होगा। मतगणना 14 नवंबर को निर्धारित है, जिससे नया विधायक 16 नवंबर तक शपथ ले सकेगा।
यह सीट झारखंड की राजनीति में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह आदिवासी मुद्दों और खनन क्षेत्र की समस्याओं से जुड़ी हुई है। जेएमएम और बीजेपी के बीच यहां कड़ा मुकाबला अपेक्षित है। आयोग ने मतदाता सूची के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (एसएसआर) के तहत 1 जुलाई, 2025 को योग्यता तिथि मानते हुए मतदाता पंजीकरण को अपडेट किया है, ताकि अधिक से अधिक मतदाता भाग ले सकें।
By-Election: मिजोरम की डांपा (एसटी) सीट: लालरिंतलुआंगा सैलो की मृत्यु से खाली
मिजोरम की 2-डांपा (एसटी) विधानसभा सीट के विधायक लालरिंतलुआंगा सैलो का निधन 21 जुलाई, 2025 को होने से यह सीट रिक्त हो गई। मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के इस विधायक की मृत्यु ने पार्टी को झटका दिया है। आयोग ने यहां भी उपचुनाव कार्यक्रम घोषित किया है। नामांकन की अंतिम तिथि 21 अक्टूबर है, जांच 22 अक्टूबर को होगी और नाम वापसी 24 अक्टूबर तक संभव रहेगी। मतदान 11 नवंबर को सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक निर्धारित किया गया है।
डांपा सीट मिजोरम के लुशाई पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है, जहां स्थानीय भाषा, संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण प्रमुख मुद्दे हैं। मिजोरम की 40 सदस्यीय विधानसभा में यह सीट विपक्षी दलों के लिए रणनीतिक महत्व रखती है। आयोग ने यहां भी मतदाता सूची को अपडेट करने पर जोर दिया है, ताकि युवा और महिला मतदाताओं की भागीदारी बढ़े। यह उपचुनाव मिजोरम की सत्ताधारी जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन की मजबूती की परीक्षा लेगा।
By-Election: जम्मू-कश्मीर की नागरोटा सीट: देवेंद्र सिंह राणा के निधन से रिक्त
जम्मू-कश्मीर के नागरोटा विधानसभा क्षेत्र (सीट नंबर 77) के विधायक देवेंद्र सिंह राणा का निधन 31 अक्टूबर, 2024 को हुआ था, जिससे यह सीट खाली हो गई। भाजपा के इस विधायक की मृत्यु ने जम्मू क्षेत्र की राजनीति को प्रभावित किया। चुनाव आयोग ने यहां उपचुनाव की तारीखें थोड़ी अलग तय की हैं। नामांकन की अंतिम तिथि 20 अक्टूबर, 2025 है, जबकि जांच 22 अक्टूबर को होगी। नाम वापसी 24 अक्टूबर तक की अनुमति है। मतदान 11 नवंबर को सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक चलेगा।
नागरोटा जम्मू जिले में स्थित है, जहां हिंदू बहुल आबादी है और विकास, सुरक्षा तथा केंद्र-राज्य संबंध प्रमुख मुद्दे हैं। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 के बाद यह पहला बड़ा उपचुनाव है, जो अनुच्छेद 370 हटाने के बाद की राजनीतिक स्थिरता का संकेत देगा। आयोग ने यहां मतदाता सूची के लिए अलग से प्रावधान किए हैं, क्योंकि केंद्र शासित प्रदेश होने के कारण कुछ नियम भिन्न हैं।
उपचुनाव प्रक्रिया: निष्पक्षता और पारदर्शिता पर जोर
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि ये सभी उपचुनाव जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधानों के तहत संपन्न होंगे। प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी और समयबद्ध होगी। आयोग ने 470 अधिकारियों (आईएएस, आईपीएस और आईआरएस) को सामान्य, पुलिस और व्यय पर्यवेक्षक के रूप में तैनात किया है। मतदान के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वीवीपैट का उपयोग होगा, साथ ही वेबकास्टिंग सुनिश्चित की जाएगी।
ये उपचुनाव राष्ट्रीय स्तर पर आठ सीटों (जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, झारखंड, तेलंगाना, पंजाब, मिजोरम, ओडिशा) पर हो रहे हैं, लेकिन झारखंड, मिजोरम और जम्मू-कश्मीर की सीटें विशेष रूप से संवेदनशील हैं। आयोग का मानना है कि ये चुनाव लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक होंगे। राजनीतिक दलों ने तैयारियां तेज कर दी हैं, जबकि मतदाता जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।
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