Operation Sindoor: 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारतीय वायुसेना ने मंगलवार तड़के ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के 7 शहरों में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। इस दौरान कुल 24 मिसाइलें दागी गईं, जिनसे जैश और लश्कर के मुख्य ट्रेनिंग कैंप और कमांड सेंटर्स पूरी तरह तबाह हो गए।
खुफिया सूत्रों के मुताबिक, इस कार्रवाई में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए, जिनमें कई शीर्ष आतंकी कमांडर भी शामिल थे। भारत सरकार ने इस ऑपरेशन का नाम “सिंदूर” रखा है, जो शहीद सैनिकों की पत्नियों के सम्मान में एक भावनात्मक श्रद्धांजलि है।
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Operation Sindoor: पीएम मोदी ने रातभर की निगरानी
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऑपरेशन की रातभर निगरानी की और सेना के शीर्ष अधिकारियों से लगातार संपर्क में रहे। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी इस पूरे अभियान के रणनीतिक केंद्र में थे।
Operation Sindoor: पाकिस्तानी सेना की पुष्टि, लेकिन चुप्पी भी
पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) के डायरेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने पुष्टि की कि भारत ने 24 मिसाइलें दागीं हैं। हालांकि पाकिस्तान की तरफ से अभी तक आधिकारिक हताहतों की संख्या नहीं बताई गई है।
Operation Sindoor: किन ठिकानों और संगठनों को निशाना बनाया गया?
क्रम | स्थान | आतंकी संगठन |
---|---|---|
1 | बहावलपुर – मरकज़ सुब्हान अल्लाह | जैश-ए-मोहम्मद |
2 | मुरिदके – मरकज़ तैयबा | लश्कर-ए-तैयबा |
3 | सर्जल, तेरा कलों | जैश-ए-मोहम्मद |
4 | मेहमूदा जोया, सियालकोट | हिजबुल मुजाहिदीन |
5 | मरकज़ हाफिज हाफ़िज़, बरनाला | लश्कर-ए-तैयबा |
6 | मरकज़ अब्बास, कोटली | जैश-ए-मोहम्मद |
7 | मरकज़ रहील शहीद, कोटली | हिजबुल मुजाहिदीन |
8 | शरीफ नगर कैंप, मुज़फ़्फराबाद | लश्कर-ए-तैयबा |
9 | सईदन बिलाल कैंप, मुज़फ़्फराबाद | जैश-ए-मोहम्मद |
सोर्स: पीटीआई

पाकिस्तान की दोहरी बात!
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने जिओ टीवी पर बयान दिया कि भारत ने अपनी वायु सीमा से मिसाइलें दागीं जो पाकिस्तानी इलाकों में civilian इलाकों पर गिरीं। वहीं दूसरी ओर, पाकिस्तानी मीडिया ने दावा किया कि उनकी सेना ने भारत के 6 फाइटर जेट्स गिरा दिए, जिनमें तीन राफेल, दो मिग-29 और एक सुखोई शामिल हैं। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि भारत की कई चौकियों को भी निशाना बनाया गया।
हालांकि शुरू में पाकिस्तान ने 2 बजे रात कहा कि हमला 5 स्थानों पर हुआ जिसमें 3 नागरिक मारे गए, लेकिन सुबह 5 बजे ISPR ने बयान बदलते हुए बताया कि हमला 6 स्थानों पर हुआ, जिसमें 8 नागरिक मारे गए, 35 घायल हुए और 2 लापता हैं।
Operation Sindoor: सैन्य ठिकानों को नहीं बनाया गया निशाना – भारतीय सेना
भारतीय सेना ने साफ किया कि किसी भी पाकिस्तानी सैन्य ठिकाने पर हमला नहीं किया गया। समाचार एजेंसी एएनआई के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, हमले सिर्फ आतंकी ठिकानों पर केंद्रित थे, जिनका संबंध जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों से था।
पहलगाम आतंकी हमला: 26 पर्यटकों की निर्मम हत्या

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की जान चली गई, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था। चश्मदीदों के अनुसार, हमलावरों ने पहले लोगों से उनका धर्म पूछा और फिर गोलियां चला दीं।
पहले इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के फ्रंट ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली थी, लेकिन बाद में TRF ने इससे इनकार कर दिया।
भारत की पहले की जवाबी कार्रवाइयाँ:
हमला | तारीख | भारत की जवाबी कार्रवाई | दिन |
---|---|---|---|
उरी हमला | 18 सितंबर 2016 | 29 सितंबर को सर्जिकल स्ट्राइक | 11 दिन |
पुलवामा हमला | 14 फरवरी 2019 | 26 फरवरी को बालाकोट एयर स्ट्राइक | 12 दिन |
पहलगाम हमला | 22 अप्रैल 2025 | 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर | 15 दिन |
Operation Sindoor:
जानिए कैसे बनी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की योजना और इसे कैसे क्रियान्वित किया गया?
पहलगाम हमले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय आपातकालीन बैठक बुलाई गई। कुछ ही घंटों में भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा मशीनरी सक्रिय हो गई। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल को पूरे ऑपरेशन की कमान सौंपी गई। उनका मिशन स्पष्ट था: पाकिस्तान के भीतर, चाहे वह कहीं भी हो — आतंकवाद के मुख्य अड्डों की पहचान करना और उन्हें समाप्त करना।

खुफिया एजेंसियों का समन्वय
NSA अजीत डोभाल ने देश की शीर्ष खुफिया एजेंसियों जैसे रॉ (RAW), नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (NTRO), और सेना, वायुसेना और नौसेना के साथ मिलकर समन्वय किया। उद्देश्य था—ऐसे हाई-वैल्यू टारगेट्स की सूची तैयार करना जो सीमा पार आतंकवाद की योजना, प्रशिक्षण या मदद में शामिल थे।
कई दिनों की सैटेलाइट निगरानी, मानव स्रोतों और तकनीकी विश्लेषण के बाद 9 ठिकानों को अंतिम रूप दिया गया। ये ठिकाने पाकिस्तान की सरजमीं पर गहरे स्थित थे, जिनमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के इलाके भी शामिल थे। ये लक्ष्य केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से बेहद अहम थे—आतंकी संगठनों की ऑपरेशनल क्षमताओं को खत्म करना ही असली उद्देश्य था।
डोभाल की ‘कोर स्ट्राइक टीम’
गुप्तता और समन्वय सुनिश्चित करने के लिए NSA अजीत डोभाल ने तीनों सेनाओं के चुनिंदा अधिकारियों की एक छोटी लेकिन कुशल कोर स्ट्राइक टीम गठित की। इस टीम की जिम्मेदारी थी – रियल टाइम इंटेलिजेंस एनालिसिस, सैटेलाइट और UAV के ज़रिए निगरानी की पुष्टि, और स्ट्राइक के लिए लॉजिस्टिक्स प्लानिंग।
हमले से पहले इन नौ स्थानों की 24 घंटे निगरानी की गई। इसके लिए सैटेलाइट फीड, ड्रोन (UAV), और सिग्नल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल हुआ। हर छोटी-बड़ी जानकारी जैसे इमारतों का नक्शा, आवा-जाही का पैटर्न, और वहां मौजूद लोगों की गतिविधियाँ—इन सबका बार-बार विश्लेषण किया गया ताकि नागरिकों को कोई नुकसान न हो और आतंकी ठिकानों पर सटीक हमला हो।
पीएम मोदी से मिला ‘ग्रीन सिग्नल’
जब ऑपरेशन का पूरा खाका तैयार हो गया, तो NSA डोभाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फाइनल स्ट्राइक प्लान प्रस्तुत किया। पीएम मोदी ने बिना किसी देरी के मिशन को मंजूरी दी। उन्होंने दो टूक कहा—आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और भारत की प्रतिक्रिया इतनी निर्णायक होनी चाहिए कि पूरी दुनिया को संदेश जाए।
ऑपरेशन के दौरान भी प्रधानमंत्री मोदी और NSA डोभाल लगातार इसकी रियल टाइम मॉनिटरिंग करते रहे—यहां तक कि जब मिसाइलें हवा में थीं, तब भी।
सटीक हमला और पाकिस्तानी फाइटर जेट ढेर
7 मई 2025 की सुबह ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया गया। भारत ने पाकिस्तान और POK में गहराई तक स्थित 9 आतंकी अड्डों पर हमले किए। हमले में हाई-प्रिसीजन एयर-लॉन्च्ड मिसाइलें और गाइडेड ड्रोन इस्तेमाल किए गए। शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार, दर्जनों आतंकवादी मारे गए, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के कई शीर्ष कमांडर शामिल थे।
ऑपरेशन के दौरान एक बड़ा मोड़ तब आया, जब एक पाकिस्तानी फाइटर जेट भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश करने लगा। भारतीय सेना ने तुरंत कार्रवाई की और उस जेट को मार गिराया, जिससे किसी तरह की क्षति नहीं होने दी गई।

ऑपरेशन सिंदूर
अब भारत चुप नहीं रहेगा—हर आतंकी वार का जवाब तय है।
ये सिर्फ हमला नहीं, आतंक के खिलाफ भारत की नई ‘लक्ष्मण रेखा’ है।
पढ़ें वरिष्ठ पत्रकार गिरिराज शर्मा की खास टिप्पणी
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