India Justice Report 2025: सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट द्वारा जारी की गई ‘इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025‘ में देश के पुलिस और न्याय व्यवस्था की गंभीर स्थिति सामने आई है। खास बात यह है कि इस रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल को पुलिस और न्यायपालिका दोनों में सबसे निचले पायदान पर रखा गया है, जबकि टॉप-5 राज्यों में एक भी भाजपा शासित राज्य शामिल नहीं है। यह रिपोर्ट पुलिस, जेल, न्यायपालिका और कानूनी सहायता के चार प्रमुख स्तंभों पर राज्यों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करती है।
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India Justice Report 2025: कुल प्रदर्शन में भाजपा शासित राज्य बाहर
- रिपोर्ट में 18 बड़े राज्यों का 100 से अधिक मानकों पर मूल्यांकन किया गया।
- केरल, तमिलनाडु, पंजाब, महाराष्ट्र और कर्नाटक टॉप-5 में शामिल हैं।
- उत्तर प्रदेश 18 में से 17वें स्थान पर है।
India Justice Report 2025: पुलिस व्यवस्था में तेलंगाना अव्वल, बंगाल सबसे नीचे
पुलिस को 32 पैरामीटर जैसे बजट, महिला भागीदारी, एससी/एसटी/ओबीसी प्रतिनिधित्व, अवसंरचना और नियुक्तियों के आधार पर आंकलन किया गया।
स्थान | राज्य | बेस्ट पैमानों में | सबसे कमजोर पैमानों में |
---|---|---|---|
1 | तेलंगाना | बजट, महिला अधिकारी | |
2 | केरल | भर्ती प्रक्रिया | |
3 | तमिलनाडु | ट्रेनिंग मानक | |
4 | पंजाब | प्रति व्यक्ति स्टाफ अनुपात | |
5 | कर्नाटक | बुनियादी ढांचा | |
6 | महाराष्ट्र | साइबर अपराध तैयारी | |
7 | आंध्र प्रदेश | पुलिस कल्याण कार्यक्रम | |
8 | गुजरात | फील्ड ऑफिसर अनुपात | |
9 | हरियाणा | महिला सिपाही अनुपात | |
18 | पश्चिम बंगाल | स्टाफिंग, बजट में सबसे कम |
पुलिस व्यवस्था की गंभीर चुनौतियाँ:
- देश में 20 लाख पुलिसकर्मी हैं, जिनमें से 2.42 लाख महिलाएँ हैं और उनमें से 90% केवल कांस्टेबल हैं।
- कुल 5047 आईपीएस अधिकारियों में से सिर्फ 960 महिलाएं हैं।
- एक पुलिसकर्मी औसतन 831 लोगों की सेवा करता है, जबकि बिहार में यह अनुपात 1522 का है।
- 64,000 पदों को मंजूरी मिली, लेकिन केवल 44,000 पदों पर ही भर्ती हुई।
राज्य | प्रति पुलिसकर्मी जनसंख्या |
---|---|
बिहार | 1522 |
ओडिशा | 1298 |
पश्चिम बंगाल | 1277 |
झारखंड | 1185 |
छत्तीसगढ़ | 1122 |
मध्य प्रदेश | 1054 |
राजस्थान | 976 |
असम | 930 |
उत्तर प्रदेश | 860 |
पंजाब (सर्वश्रेष्ठ) | 504 |

India Justice Report 2025: न्याय व्यवस्था में केरल सबसे बेहतर, बंगाल फिर सबसे नीचे
25 मानकों पर राज्यों की न्यायपालिका का आंकलन किया गया जैसे कि रिक्त पद, प्रति लाख जनसंख्या पर जज, विविधता और केस निपटान दर।
स्थान | राज्य | सर्वोत्तम प्रदर्शन | सबसे कमजोर पहलू |
---|---|---|---|
1 | केरल | केस निपटान दर | |
2 | महाराष्ट्र | निपटान दक्षता | |
3 | तमिलनाडु | निचली अदालतों की गति | |
4 | कर्नाटक | जज नियुक्ति | |
5 | गुजरात | लैंगिक प्रतिनिधित्व | |
6 | आंध्र प्रदेश | एससी/एसटी कोटा | |
7 | तेलंगाना | तकनीकी एकीकरण | |
8 | हरियाणा | बजट उपयोग | |
9 | राजस्थान | लंबित मामलों का प्रबंधन | |
18 | पश्चिम बंगाल | सबसे ज्यादा लंबित, रिक्तियाँ |
न्याय व्यवस्था की महत्वपूर्ण जानकारी:
- देश में कुल 21,285 न्यायाधीश हैं, लेकिन हाई कोर्ट में 33% और निचली अदालतों में 21% पद रिक्त हैं।
- लंबित मामलों की संख्या 2024 के अंत तक 5 करोड़ तक पहुंच गई।
- 17 राज्यों की निचली अदालतों में 25% से अधिक मामले 3 साल से लंबित हैं।
- महिला जजों की भागीदारी: निचली अदालतों में 38% और हाई कोर्ट में केवल 14%।
- केवल कर्नाटक ऐसा राज्य है जहां एससी/एसटी कोटा पूरी तरह भरा गया है।
पैरामीटर | स्थिति |
---|---|
प्रति 10 लाख जनसंख्या पर जज (वर्तमान) | 15 |
यदि सभी पद भरें जाएँ तो | 19 |
सिफारिश (कानून आयोग 1987) | 50 |
भारत में कुल जज | 21,285 |
हाई कोर्ट रिक्त पद प्रतिशत | 33% |
निचली अदालत रिक्त पद प्रतिशत | 21% |
हाई कोर्ट में महिला जज | 14% |
निचली अदालतों में महिला जज | 38% |
80% कोटा पूरा करने वाले राज्य | 6 |
पूरा कोटा भरने वाला राज्य | कर्नाटक |
India Justice Report 2025: न्यायपालिका पर केस लोड का दबाव
- मध्य प्रदेश और इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्रति जज पर औसतन 15,000 मामले लंबित हैं।
- जिला अदालतों में राष्ट्रीय औसत 500+ लंबित मामले प्रति जज।
- कर्नाटक: 1750, केरल: 3800 और उत्तर प्रदेश: 4300 केस प्रति जज लंबित।
राज्य | प्रति जज लंबित केस |
---|---|
मध्य प्रदेश | 15,000 |
इलाहाबाद (UP) | 15,000 |
उत्तर प्रदेश | 4300 |
केरल | 3800 |
कर्नाटक | 1750 |
बिहार | 1600 |
पश्चिम बंगाल | 1550 |
महाराष्ट्र | 1400 |
ओडिशा | 1250 |
तमिलनाडु | 1000 |
India Justice Report 2025: विविधता और प्रतिनिधित्व
वर्ग | प्रतिनिधित्व |
---|---|
पुलिस में महिलाएं | 12% |
न्यायपालिका में महिलाएं | 38% (निचली), 14% (HC) |
पुलिस में अनुसूचित जातियाँ | 17% |
पुलिस में अनुसूचित जनजातियाँ | 12% |
महिला आईपीएस अधिकारी | 960 (कुल 5047 में) |
वरिष्ठ महिला पुलिस अधिकारी | <1000 |
एससी/एसटी कोटा पूरा करने वाले राज्य | 6 |
पूरी तरह अनुपालक राज्य | कर्नाटक |
50% से कम कोटा भरने वाले राज्य | 12 |
महिला कांस्टेबलों का अनुपात | 90% महिला बल का हिस्सा |

India Justice Report 2025: राजनीतिक असर
- केंद्र में सत्ता में होने के बावजूद कोई भाजपा शासित राज्य टॉप-5 में नहीं।
- पश्चिम बंगाल (टीएमसी) और बिहार (राजद गठबंधन) जैसे राज्य भी न्याय व्यवस्था में पिछड़े हुए हैं।
- बड़ा सवाल: क्या न्याय में देरी के साथ ‘सुशासन’ का दावा किया जा सकता है?
ByNews-Views: न्याय सुधार समय की मांग
India Justice Report 2025 (इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025) देश की न्याय प्रणाली को आईना दिखा रही है। चाहे पुलिस की स्टाफिंग हो या जजों की भारी कमी, या लंबित मामलों का बोझ—सभी संकेत करते हैं कि सुधार की आवश्यकता अब टाली नहीं जा सकती। आने वाले चुनावों और पारदर्शिता की बढ़ती मांग के बीच केंद्र और राज्यों को न्याय प्रणाली को प्राथमिकता देनी ही होगी।
सच्चा सुशासन वहीं संभव है जहाँ न्याय सुलभ और समय पर मिले।
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