Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आम आदमी को बड़ी राहत देते हुए रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती का ऐलान किया है। बुधवार को आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद द्विमासिक नीति की घोषणा की। नई दर के अनुसार, रेपो रेट अब 6.25% से घटकर 6% हो गई है। इसका सीधा फायदा बैंक ग्राहकों को होगा, क्योंकि इससे लोन की ब्याज दरें घटेंगी और ईएमआई में राहत मिलेगी। यह वर्ष 2025 में लगातार दूसरी बार है जब आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती की है। इससे पहले फरवरी 2025 में भी केंद्रीय बैंक ने 25 आधार अंकों की कटौती की थी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम वर्तमान आर्थिक स्थिति और महंगाई की घटती प्रवृत्ति को देखते हुए उठाया गया है।
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Repo Rate: क्या होता है रेपो रेट और क्यों है यह अहम?
रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। जब रेपो रेट घटता है, तो बैंकों के लिए कर्ज लेना सस्ता हो जाता है, जिससे वे अपने ग्राहकों को सस्ते दर पर लोन उपलब्ध करा सकते हैं। इसका फायदा होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन लेने वालों को मिलता है। रेपो रेट में कटौती का मतलब है कि अब आम आदमी को EMI में कमी देखने को मिलेगी। वहीं, लोन लेना भी सस्ता हो जाएगा, जिससे मांग में बढ़ोतरी और आर्थिक गतिविधियों को बल मिलेगा।
Repo Rate: मौद्रिक नीति रुख में बदलाव
रेपो रेट में कटौती के साथ-साथ आरबीआई ने मौद्रिक नीति के रुख को ‘न्यूट्रल’ से बदलकर ‘अकोमोडेटिव’ (सहज) कर दिया है। इसका मतलब है कि आने वाले समय में भी केंद्रीय बैंक नीतिगत दरों में नरमी बरकरार रख सकता है, जिससे बाजार में लिक्विडिटी बनी रहेगी और निवेश को बढ़ावा मिलेगा। आरबीआई गवर्नर ने कहा, देश में निवेश गतिविधियों में तेजी जारी है और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर भी रफ्तार पकड़ रहा है। शहरी उपभोग में सुधार के संकेत हैं, जो आर्थिक वृद्धि को सहारा दे सकते हैं।
Repo Rate: GDP और महंगाई दर के अनुमान
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए GDP वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.5% कर दिया है, जो पहले 6.7% था। गवर्नर मल्होत्रा के अनुसार…
- Q1: 6.5%
- Q2: 6.7%
- Q3: 6.6%
- Q4: 6.3%
वहीं, मुद्रास्फीति (महंगाई दर) के मोर्चे पर भी राहत की उम्मीद जताई गई है। RBI का मानना है कि वित्त वर्ष 2025-26 में महंगाई दर औसतन 4% के आस-पास बनी रहेगी।
- Q1: 3.6%
- Q2: 3.9%
- Q3: 3.8%
- Q4: 4.4%
गवर्नर के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी के चलते महंगाई लक्ष्य से नीचे बनी हुई है। आने वाले महीनों में भी यही प्रवृत्ति बनी रहने की संभावना है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: मूडीज ने सराहा फैसला
अंतरराष्ट्रीय एजेंसी मूडीज एनालिटिक्स ने आरबीआई के इस फैसले की सराहना की है। मूडीज की इकोनॉमिक रिसर्च डायरेक्टर कैटरीना एल्ल ने कहा कि “आरबीआई ने कठिन समय में सही कदम उठाया है। इस समय लोग नीतियों में स्थायित्व और स्पष्टता की उम्मीद कर रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा कि यह निर्णय न केवल बाजार की उम्मीदों के अनुरूप है बल्कि निवेशकों में विश्वास भी बढ़ाएगा।
रेपो रेट में कटौती और ‘अकोमोडेटिव’ रुख अपनाना यह दर्शाता है कि आरबीआई देश की आर्थिक गतिविधियों को गति देने के लिए तैयार है। इससे जहां लोन लेने वालों को राहत मिलेगी, वहीं उद्योगों को भी निवेश के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
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