Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सल विरोधी अभियान को एक बड़ी सफलता मिली है। लंबे समय से सुरक्षाबलों की निगरानी में रहे चार खूंखार नक्सलियों ने आखिरकार हथियार डाल दिए हैं। इन नक्सलियों में दो महिलाएं और दो पुरुष शामिल हैं, जिन पर राज्य सरकार ने कुल 20 लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था। यह आत्मसमर्पण नक्सलवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों की रणनीतिक बढ़त और सरकार की पुनर्वास नीति की बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
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Chhattisgarh: संयुक्त ऑपरेशन की सफलता
यह ऑपरेशन केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 131वीं बटालियन और छत्तीसगढ़ पुलिस की नक्सल विरोधी इकाई की संयुक्त कार्रवाई के तहत अंजाम दिया गया। सुरक्षा एजेंसियों ने इस ऑपरेशन को गोपनीयता के साथ अंजाम दिया, जिससे नक्सलियों को आत्मसमर्पण के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित किया जा सके। अधिकारियों के अनुसार, यह आत्मसमर्पण नक्सल विरोधी अभियानों की एक अहम कड़ी है, जिससे क्षेत्र में शांति स्थापित करने में मदद मिलेगी।
Chhattisgarh: नक्सलियों की आपबीती
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने स्वीकार किया कि वे वर्षों से सुकमा और आस-पास के क्षेत्रों में कई हिंसक घटनाओं में शामिल थे। जंगल में कठिन जीवन, हिंसा की मानसिक थकान और लगातार सुरक्षाबलों के दबाव ने उन्हें आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि वे अब मुख्यधारा में लौटकर शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहते हैं और समाज का उपयोगी हिस्सा बनना चाहते हैं।
Chhattisgarh: सरकार की आत्मसमर्पण नीति का असर
छत्तीसगढ़ सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति का असर अब जमीन पर स्पष्ट दिख रहा है। राज्य सरकार ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए पुनर्वास, शिक्षा, रोजगार और सामाजिक पुनर्वास की विशेष योजनाएं बनाई हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य हिंसा छोड़ चुके नक्सलियों को समाज में सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर देना है। बीते कुछ महीनों में राज्य में कई नक्सलियों ने इसी नीति के तहत आत्मसमर्पण किया है।
अमित शाह का बयान और केंद्र की नीति
इस घटनाक्रम पर राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिक्रिया सामने आई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा था कि नक्सलवाद अब देश के 12 जिलों से घटकर मात्र छह जिलों तक सिमट गया है। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करने के लिए कटिबद्ध है और 31 मार्च 2026 के बाद नक्सलवाद केवल इतिहास का हिस्सा बनकर रह जाएगा। शाह ने नक्सलवाद को लोकतंत्र का सबसे बड़ा दुश्मन बताते हुए कहा था कि यह राष्ट्र की शांति, विकास और लोकतंत्र के खिलाफ एक गहरी साजिश है।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास का जोर
मोदी सरकार द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे के विकास पर विशेष जोर दिया जा रहा है। सड़कों, स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसका परिणाम यह है कि अब नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लोग भी मुख्यधारा की ओर आकर्षित हो रहे हैं और हिंसा का मार्ग त्याग रहे हैं।
नक्सलमुक्त भारत की दिशा में कदम तेज़ी
सुरक्षा बलों और सरकार के लिए यह आत्मसमर्पण एक मनोबल बढ़ाने वाली घटना है, लेकिन चुनौतियां अब भी शेष हैं। शेष बचे नक्सलियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित करना और आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों का सफल पुनर्वास एक लंबी प्रक्रिया है, जिसमें संवेदनशीलता और रणनीतिक सोच की जरूरत है। फिर भी, सुकमा की यह घटना साबित करती है कि संयुक्त प्रयासों, रणनीतिक दबाव और विकास के रास्ते से नक्सलवाद को जड़ से खत्म किया जा सकता है। यह न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश के लिए एक सकारात्मक संकेत है कि “नक्सलमुक्त भारत” की दिशा में कदम तेज़ी से बढ़ रहे हैं।
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