29.1 C
New Delhi
Thursday, March 13, 2025
Homeज्योतिषHoli 2025: ब्रज के फालैन गांव में होली का अनूठा चमत्कार, जलती...

Holi 2025: ब्रज के फालैन गांव में होली का अनूठा चमत्कार, जलती अग्नि से सुरक्षित निकलता है पुजारी

Holi 2025: होली का पर्व भारत में रंगों, उमंग और उत्साह का प्रतीक है, लेकिन ब्रज के फालैन गांव में यह त्योहार एक अनोखे चमत्कार के साथ मनाया जाता है।

Holi 2025: भारत में होली का त्योहार उमंग, उत्साह और रंगों का पर्व माना जाता है, लेकिन ब्रज क्षेत्र के फालैन गांव में होली केवल रंगों का नहीं, बल्कि आस्था और चमत्कार का त्योहार है। यह गांव होलिका दहन के दौरान होने वाली एक अनोखी परंपरा के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें एक पुजारी धधकती आग के बीच से गुजरता है और फिर भी सुरक्षित रहता है। यह परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है और हर साल हजारों श्रद्धालु इसे देखने के लिए यहां आते हैं।

Holi 2025: प्रह्लाद की भक्ति से जुड़ी है परंपरा

फालैन गांव की इस अद्भुत परंपरा की जड़ें पौराणिक कथा से जुड़ी हैं। कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति के कारण मारने की कोशिश की थी। उसकी बहन होलिका, जिसे अग्नि से न जलने का वरदान प्राप्त था, प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जलकर भस्म हो गई। इस घटना की याद में पूरे देश में होलिका दहन का आयोजन किया जाता है, लेकिन फालैन गांव में यह त्योहार एक विशेष रूप ले लेता है।

Holi 2025: होलिका दहन में जलते अंगारों पर चलता है पुजारी

फालैन गांव में होली से एक दिन पहले विशाल गोबर के उपलों (कंडों) का ढेर लगाया जाता है, जिसे ‘उपलों का पहाड़’ कहा जाता है। होली की रात इस ढेर में आग लगाई जाती है, जो देर रात तक जलती रहती है। अगले दिन प्रातः काल, जब आग पूरी तरह धधक रही होती है, तभी एक विशेष पूजा-अर्चना के बाद पुजारी इस आग के बीच से गुजरता है। आश्चर्यजनक रूप से, वह बिना किसी जलन या क्षति के आग से बाहर आ जाता है।

Holi 2025: सख्त नियमों का पालन करते हैं पुजारी

होलिका दहन के दौरान जलती आग से गुजरने वाले पुजारी के लिए कठोर नियम बनाए गए हैं।

  • पुजारी को इस अनुष्ठान से पहले 40-45 दिनों तक ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है।
  • इस दौरान वह केवल सात्विक भोजन ग्रहण करता है और मंदिर में विशेष पूजा करता है।
  • होलिका दहन के दिन, सुबह स्नान करने के बाद, वह केवल एक पीला गमछा धारण करता है।
  • माना जाता है कि इस कठिन तपस्या और भगवान प्रह्लाद की कृपा से पुजारी को अग्नि कोई नुकसान नहीं पहुंचाती।

Holi 2025: मंदिर और कुंड का महत्व

फालैन गांव में स्थित प्रह्लाद मंदिर और उसके समीप एक पवित्र कुंड इस परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। कहा जाता है कि इसी कुंड से भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद की मूर्ति और माला प्रकट हुई थी। होलिका दहन से पहले पुजारी इसी माला को धारण करता है और फिर जलती आग के बीच से गुजरता है। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि प्रह्लाद की भक्ति और भगवान विष्णु की कृपा के कारण पुजारी को आग कोई हानि नहीं पहुंचाती।

Holi 2025: श्रद्धालुओं का अपार उत्साह

इस अनोखी परंपरा को देखने के लिए हर साल हजारों श्रद्धालु और पर्यटक फालैन गांव आते हैं। गांव के निवासी इस त्योहार को अपनी संस्कृति और आस्था का प्रतीक मानते हैं। स्थानीय लोग इसे भगवान की शक्ति का प्रमाण मानते हैं और कहते हैं कि जब तक प्रह्लाद की भक्ति है, तब तक यह चमत्कार जारी रहेगा।

Holi 2025: फालैन की होली, आस्था और चमत्कार का संगम

फालैन में होली केवल रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि आस्था और विश्वास की परीक्षा भी है। पुजारी का अग्नि से सुरक्षित निकलना भक्तों के लिए भगवान की कृपा का प्रमाण है। यह परंपरा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पूरे भारत में फालैन गांव को एक विशिष्ट पहचान भी दिलाती है। हर साल इस अलौकिक घटना को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं, और यह परंपरा न केवल पौराणिक कथा को जीवित रखती है, बल्कि भगवान विष्णु और भक्त प्रह्लाद की अमर भक्ति को भी स्मरण कराती है।

यह भी पढ़ें:-

IIFA 2025 Scam Exposed: दीया कुमारी ने खुद की ब्रांडिंग पर किए 100 करोड़ बर्बाद! आखिर सरकार ने 2000 करोड़ कमाने वाले इवेंट को फंड क्यों दिया? जनता में आक्रोश!

RELATED ARTICLES
New Delhi
haze
29.1 ° C
29.1 °
29.1 °
42 %
1.5kmh
75 %
Thu
36 °
Fri
33 °
Sat
34 °
Sun
36 °
Mon
33 °

Most Popular