Trump India Tariff Cuts: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर उसके ऊँचे टैरिफ को लेकर सवाल उठाए हैं। उनका दावा है कि भारत अब अमेरिकी दबाव के चलते अपने टैरिफ को कम करने के लिए तैयार है। लेकिन क्या वास्तव में भारत टैरिफ घटाने के लिए राजी है? और अगर ऐसा होता है, तो इससे भारतीय अर्थव्यवस्था और आम लोगों पर क्या प्रभाव पड़ेगा? आइए जानते हैं।
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टैरिफ क्या होता है और इसका व्यापार पर प्रभाव
टैरिफ वह कर (Tax) होता है, जो किसी देश में आयातित वस्तुओं पर लगाया जाता है। इसका उद्देश्य स्थानीय उद्योगों को सुरक्षा देना और सरकार के लिए राजस्व अर्जित करना होता है। जब किसी देश में बाहर से आने वाले उत्पादों पर टैरिफ लगाया जाता है, तो वे महंगे हो जाते हैं और स्थानीय उत्पाद सस्ते लगने लगते हैं। इससे घरेलू कंपनियों को लाभ होता है।
इसके अलावा, टैरिफ वैश्विक व्यापार नीतियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। हर देश अपनी अर्थव्यवस्था को सुरक्षित करने के लिए टैरिफ का उपयोग करता है, लेकिन जब कोई बड़ी अर्थव्यवस्था, जैसे अमेरिका, किसी देश पर टैरिफ कम करने का दबाव डालती है, तो इसके व्यापक प्रभाव हो सकते हैं। भारत के लिए यह स्थिति जटिल है क्योंकि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदारों में से एक है।
ट्रम्प की ‘रिसिप्रोकल टैरिफ’ की धमकी
ट्रम्प ने यह साफ कर दिया है कि अगर भारत ने अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ कम नहीं किया, तो अमेरिका भी भारतीय उत्पादों पर समान दर का टैरिफ लगाएगा। उदाहरण के तौर पर, अगर भारत अमेरिकी जूतों पर 26% का टैरिफ लगाता है, तो अमेरिका भी भारतीय जूतों पर उतना ही शुल्क लगाएगा।

क्या भारत टैरिफ में कटौती के लिए तैयार है?
मोदी सरकार ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन हाल ही के बजट में कुछ अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ में कमी की गई है, जैसे:
- मोटरसाइकिल (1600cc से कम इंजन)
- सिंथेटिक फ्लेवरिंग एसेंस
- लिथियम आयन बैटरी
इससे यह संकेत मिलता है कि भारत टैरिफ में कटौती को लेकर विचार कर रहा है, लेकिन इसकी पुष्टि अभी नहीं हुई है। भारत की ओर से वाणिज्य मंत्री और अन्य अधिकारी अमेरिका के साथ लगातार बातचीत कर रहे हैं।
टैरिफ कटौती से भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
अगर भारत टैरिफ में कटौती करता है, तो इसके निम्नलिखित प्रभाव हो सकते हैं:
1- भारतीय उद्योगों के लिए खतरा: सस्ते अमेरिकी उत्पादों के आने से भारतीय कंपनियों को कठिन प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है, जिससे कई उद्योग प्रभावित हो सकते हैं।
2- आयात में बढ़ोतरी: अमेरिकी सामान सस्ते होने से भारत में आयात बढ़ेगा, जिससे व्यापार घाटा बढ़ सकता है।
3- रुपये का अवमूल्यन: जब भारत ज्यादा डॉलर में सामान खरीदेगा, तो रुपये की कीमत गिर सकती है, जिससे महंगाई बढ़ेगी।
4- एफडीआई पर असर: अगर भारत अमेरिकी कंपनियों के लिए टैरिफ कम कर देगा, तो वे भारत में उत्पादन करने के बजाय सीधे सामान आयात कर सकते हैं। इससे विदेशी निवेश (FDI) घट सकता है।
5- स्थानीय उत्पादकों के लिए संकट: कई छोटे और मध्यम उद्योग जो घरेलू बाजार पर निर्भर हैं, उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है। उदाहरण के तौर पर, भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल सेक्टर पर इसका नकारात्मक असर हो सकता है।
आम नागरिकों पर असर
1- सस्ते आयातित उत्पाद: उपभोक्ताओं के लिए अमेरिका के इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े और अन्य वस्तुएं सस्ती हो सकती हैं।
2- स्थानीय किसानों और उद्यमियों को नुकसान: भारतीय किसानों और छोटे व्यापारियों के उत्पादों की मांग घट सकती है।
3- रोजगार संकट: सस्ते विदेशी उत्पादों की वजह से कई भारतीय कंपनियों को नुकसान हो सकता है, जिससे नौकरियां जा सकती हैं।
4- घरेलू बाजार पर असर: भारतीय कंपनियों के लिए यह मुश्किल समय हो सकता है क्योंकि वे अमेरिकी कंपनियों की तुलना में कम प्रतिस्पर्धी हो सकती हैं।
अगर भारत टैरिफ में कटौती नहीं करता तो क्या होगा?
अगर भारत टैरिफ में कटौती नहीं करता, तो अमेरिका जवाबी टैरिफ लगा सकता है, जिससे:
- भारतीय उत्पाद अमेरिका में महंगे हो जाएंगे और निर्यात प्रभावित होगा।
- अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष (Trade Surplus) कम हो सकता है।
- हालांकि, इससे अमेरिकी कंपनियों को भारत में उत्पादन बढ़ाने का मौका मिल सकता है।
- इससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ सकता है और भविष्य में द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ सकता है।
ByNews-Views: भारत को क्या करना चाहिए?
भारत को अपने टैरिफ नीति पर संतुलन बनाना होगा। जरूरत से ज्यादा टैरिफ कटौती भारतीय उद्योगों के लिए घातक हो सकती है, जबकि अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव भी भारत के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। सरकार को ऐसा रास्ता अपनाना होगा जिससे व्यापारिक संबंध मजबूत हों और घरेलू अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिले।
भारत को अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने, निर्यात को प्रोत्साहित करने और वैश्विक व्यापार नियमों का लाभ उठाने की जरूरत है। ऐसे में समझदारी यही होगी कि भारत अपनी व्यापारिक रणनीति को इस प्रकार बनाए जिससे देश को दीर्घकालिक फायदा हो और स्थानीय उद्योग भी सुरक्षित रहें।
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