Satyendra Das Nidhan: श्रीराम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का बुधवार की सुबह लखनऊ स्थित पीजीआई में 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह कई दिनों से अस्वस्थ थे। पुजारी मधुमेह और उच्च रक्तचाप से भी पीड़ित थे। उनके निधन की खबर से धार्मिक और राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई गणमान्य नेताओं ने गहरा शोक व्यक्त किया। आचार्य सत्येंद्र दास का योगदान अयोध्या और संपूर्ण हिंदू समाज के लिए अविस्मरणीय रहेगा। उनके आध्यात्मिक मार्गदर्शन और सेवा को सदैव याद किया जाएगा।
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पीएम मोदी ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, “राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास जी के देहावसान से अत्यंत दुख हुआ है। धार्मिक अनुष्ठानों और शास्त्रों के ज्ञाता रहे महंत जी का पूरा जीवन भगवान श्रीराम की सेवा में समर्पित रहा। देश के आध्यात्मिक और सामाजिक जीवन में उनके अमूल्य योगदान को हमेशा श्रद्धापूर्वक स्मरण किया जाएगा। ईश्वर से प्रार्थना है कि शोक की इस घड़ी में उनके परिजनों एवं अनुयायियों को संबल प्रदान करे। ओम शांति।” पीएम मोदी ने आचार्य सत्येंद्र दास के साथ एक पुरानी तस्वीर भी साझा की, जिसमें वह रामलला के टेंट में विराजमान रहने के दौरान की है।

मुख्यमंत्री योगी ने जताया दुख
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी शोक प्रकट करते हुए कहा, “परम रामभक्त, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर, श्री अयोध्या धाम के मुख्य पुजारी आचार्य श्री सत्येंद्र कुमार दास जी महाराज का निधन अत्यंत दुःखद एवं आध्यात्मिक जगत की अपूरणीय क्षति है। प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे तथा शोक संतप्त शिष्यों एवं अनुयायियों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।”
रामलला की सेवा में जीवन समर्पित
आचार्य सत्येंद्र दास ने अपना पूरा जीवन रामलला की सेवा में समर्पित किया। वह टेंट में विराजमान रामलला के समय से लेकर भव्य राम मंदिर निर्माण तक के साक्षी बने। भव्य मंदिर में रामलला के विराजमान होने के बाद उन्होंने कार्यमुक्त करने की इच्छा जताई थी, लेकिन राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने उन्हें मुख्य पुजारी के रूप में बनाए रखने का निर्णय लिया। ट्रस्ट ने उन्हें यह छूट दी थी कि जब चाहें, वे रामलला की पूजा कर सकते हैं और उन पर किसी भी तरह की शर्त नहीं होगी।
धार्मिक जगत में शोक की लहर
महंत सत्येंद्र दास के निधन के बाद साधु-संतों और श्रद्धालुओं में गहरा शोक व्याप्त है। उनका जाना धार्मिक जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने अपने ज्ञान, सेवा और समर्पण से अयोध्या और देशभर के भक्तों का मार्गदर्शन किया। उनके निधन के बाद राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में भी शोक की भावना देखी गई।
कौन थे आचार्य सत्येंद्र दास?
अयोध्या राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का 85 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस से पहले से ही राम मंदिर के मुख्य पुजारी थे और निर्वाणी अखाड़े के सदस्य थे। उन्होंने 20 वर्ष की उम्र में संन्यास लेकर अपना जीवन आध्यात्मिक साधना और श्रीराम की सेवा में समर्पित कर दिया।
आचार्य सत्येंद्र दास अयोध्या के सबसे सुलभ संतों में माने जाते थे और अक्सर राम मंदिर से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय रखते थे। हाल ही में उन्होंने रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा समारोह की पहली वर्षगांठ में भाग लिया था और इसे “बहुत सुंदर” बताया था।
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