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Kejriwal Scheme FRAUD! महिलाओं के लिए केजरीवाल की ₹2100 योजना: कल्याण सुधार, रणनीति, या चुनावी नौटंकी? अफसर और भाजपा बोले, ‘धोखा’ – जरूर पढ़ें

Kejriwal Scheme FRAUD: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा महिलाओं को हर महीने 2,100 रुपये देने के वादे ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। हालांकि इसे एक महत्वपूर्ण कल्याणकारी योजना के रूप में पेश किया गया था, लेकिन आधिकारिक दस्तावेज़ कार्यक्रम के क्रियान्वयन और वित्त पोषण में विसंगतियों का संकेत देते हुए इसे सीधे तौर पर धोखा करार दे रहे हैं। आइए समझते हैं वस्तुस्थिति -

Kejriwal Scheme FRAUD: दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले, अरविंद केजरीवाल ने महिलाओं को लक्षित करते हुए एक वित्तीय सहायता योजना की घोषणा की। इस वादे के तहत, दिल्ली में 18 वर्ष से अधिक आयु की प्रत्येक महिला को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता के रूप में 2,100 रुपये मासिक मिलेंगे। इस घोषणा ने लोगों में काफी दिलचस्पी पैदा की, कई लोगों ने इसे महिला सशक्तिकरण के लिए एक गेम-चेंजर के रूप में देखा। हालाँकि, हाल की रिपोर्टों ने इस प्रतिबद्धता की व्यवहार्यता और ईमानदारी पर संदेह जताया है। आधिकारिक दस्तावेज़ कार्यक्रम के क्रियान्वयन और वित्त पोषण में विसंगतियों का संकेत देते हुए इसे सीधे तौर पर धोखा करार दे रहे हैं। दिल्ली सरकार के सम्बंधित अधिकारियों ने इस आशय के विज्ञापन छपवाएं हैं। भाजपा ने इसे ‘धोखाधड़ी’ बताया है।

देखें सरकारी अधिकारियों द्वारा दिए गए विज्ञापन

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Kejriwal Scheme FRAUD: ₹2100 Promise to Women Exposed! Officers’ Ads in Newspapers Unveil the Deception – Must Read

इन विज्ञापनों ने ‘आप’ सरकार की योजनाओं की घोषणाओं पर विवाद खड़ा कर दिया है। विज्ञापनों के अनुसार मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना और संजीवनी योजना, ये दोनों ही योजनाएं दिल्ली सरकार के कार्यक्रमों में शामिल नहीं हैं।

आरोप

क्या यह योजना कभी वित्तीय रूप से व्यवहार्य थी? हाल ही में हुए खुलासों के अनुसार, केजरीवाल के प्रशासन के अधिकारियों ने इस वादे को अवास्तविक करार दिया। कथित तौर पर सरकारी अधिकारियों ने ऐसी योजना की वित्तीय अव्यवहारिकता को उजागर करने वाली आंतरिक रिपोर्ट जारी की। ये रिपोर्ट बाद में सार्वजनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित हुईं, जिससे विवाद और बढ़ गया।

प्राथमिक आरोप निम्नलिखित पर केन्द्रित हैं:

  1. बजट आवंटन का अभाव : दस्तावेजों से पता चलता है कि इस योजना के समर्थन के लिए कोई ठोस वित्तीय योजना नहीं बनाई गई है।
  2. राज्य के वित्त पर प्रभाव : विशेषज्ञों के अनुमान के अनुसार, क्या इस योजना पर सालाना 12,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च आएगा? क्या अतिरिक्त राजस्व स्रोतों के बिना दिल्ली का खजाना इतना बोझ उठा सकता है?
  3. राजनीतिक स्टंट के आरोप : क्या यह चुनावी लाभ के लिए खोखले वादे करने का एक और मामला है?

रिपोर्ट क्या कहती है?

वरिष्ठ नौकरशाहों द्वारा जारी एक आधिकारिक रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि दिल्ली की वित्तीय सेहत पहले से ही दबाव में है। राज्य को भारी कर्ज और आवर्ती खर्चों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे पर्याप्त बाहरी फंडिंग या बढ़े हुए कराधान के बिना अतिरिक्त कल्याणकारी कार्यक्रमों के लिए बहुत कम गुंजाइश बचती है।

रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि इस योजना को लागू करने से या तो:

  • स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों से धन की कटौती की आवश्यकता है।
  • इससे राज्य करों में तीव्र वृद्धि होगी, जिससे नागरिकों पर बोझ बढ़ेगा।

केजरीवाल का बचाव

अरविंद केजरीवाल इस वादे को कैसे सही ठहराते हैं? आलोचना का जवाब देते हुए केजरीवाल ने जन कल्याण के प्रति अपनी सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए अपने वादे का बचाव किया। उनके अनुसार, उनके प्रशासन ने इसी तरह की योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया है, और महिलाओं के लिए वित्तीय सहायता कार्यक्रम उन प्रयासों का तार्किक विस्तार होगा।

केजरीवाल ने तर्क दिया कि:

  • इस योजना का वित्तपोषण दिल्ली में भ्रष्टाचार को कम करके और राजस्व संग्रह बढ़ाकर किया जाएगा।
  • उनकी सरकार के पास वादों को पूरा करने का सिद्ध रिकॉर्ड है, जिसमें मुफ्त बिजली और पानी की योजनाएं पहले से ही लागू हैं।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

क्या विपक्ष, मुख्य रूप से भाजपा के पास इसे धोखाधड़ी कहने का कोई कारण है? विपक्षी नेताओं ने इस योजना को “धोखाधड़ी” और “चुनावी नौटंकी” करार दिया है। उनका दावा है कि केजरीवाल के वादे मतदाताओं को गुमराह करने के लिए हैं, बिना इस बात पर विचार किए कि राज्य की अर्थव्यवस्था पर इनका दीर्घकालिक प्रभाव क्या होगा।

आलोचकों ने केजरीवाल के बयानों में विसंगतियों की ओर भी ध्यान दिलाया है तथा उन पर आर्थिक सलाहकारों से परामर्श किए बिना या जमीनी हकीकत को समझे बिना ऐसी घोषणाएं करने का आरोप लगाया है।

दिल्ली के लिए इसका क्या मतलब है?

क्या यह योजना दिल्ली की अर्थव्यवस्था और राजनीति को नया रूप दे सकती है? अगर इसे लागू किया गया तो इसके व्यापक परिणाम हो सकते हैं:

  • आर्थिक तनाव : क्या कार्यक्रम को जारी रखने के लिए धन का दुरुपयोग अन्य विकास परियोजनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है?
  • जन अपेक्षाएं : क्या ऐसे वादों को पूरा करने में विफलता से शासन में जनता का विश्वास खत्म हो जाएगा?
  • राजनीतिक परिणाम : क्या यह विवाद दिल्ली में राजनीतिक कथानक को आकार दे सकता है, तथा आगामी चुनावों में मतदाताओं की भावनाओं को प्रभावित कर सकता है?

महिलाओं के लिए वित्तीय सहायता के अरविंद केजरीवाल के वादे को शुरू में व्यापक प्रशंसा मिली थी, लेकिन क्या इस विवाद के कारण इसकी व्यवहार्यता और मंशा पर गंभीर सवाल उठते हैं? जैसे-जैसे बहस जारी रहेगी, क्या आम आदमी पार्टी इन चिंताओं को पारदर्शी तरीके से संबोधित करेगी और योजना के वित्तपोषण और क्रियान्वयन पर स्पष्टता प्रदान करेगी? इस बीच, दिल्ली के मतदाताओं को चुनाव प्रचार के दौरान किए गए वादों के मुकाबले राज्य की वित्तीय सेहत की वास्तविकताओं को तौलना चाहिए।

वहीं दूसरी ओर…

विवाद के बीच राजनीतिक परिदृश्य

क्या यह विवाद चुनावों को प्रभावित करेगा? जबकि केजरीवाल की सरकार जांच का सामना कर रही है, भाजपा की आप को एक मजबूत सीएम उम्मीदवार के साथ चुनौती देने में असमर्थता और मोदी और शाह जैसे केंद्रीय नेताओं पर निर्भरता पार्टी को दिल्ली में संघर्ष करने पर मजबूर कर सकती है। आप की रणनीति अब अलग-अलग चुनावों में आप, भाजपा और कांग्रेस के बीच शिफ्ट होने वाले अस्थिर मतदाताओं को आकर्षित करने पर टिकी है। 2025 में जीतने के लिए, आप ने मतदाताओं की अपील बनाए रखने के लिए चार नई योजनाओं का प्रस्ताव रखा है, लेकिन उनमें से दो पर विवाद इसकी योजनाओं को कमजोर करने का जोखिम उठाते हैं।

क्या सीएम आतिशी विज्ञापन प्रकाशित करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई कर सकती हैं?

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने बयान जारी कर इन दोनों नोटिसों को झूठा बताया है। सीएम आतिशी ने कहा, ‘आज छपे नोटिस गलत हैं। बीजेपी ने कुछ अफसरों पर गलत जानकारी छपवाने का दबाव बनाया है। अफसरों के खिलाफ प्रशासनिक और पुलिस कार्रवाई की जाएगी। कैबिनेट का नोटिफिकेशन जनता के सामने आ चुका है।’

केजरीवाल योजना का पर्दाफाश: महिलाओं के लिए केजरीवाल की ₹2100 योजना: कल्याण या राजनीतिक नौटंकी?
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी, आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल बुधवार (25 दिसंबर, 2024) को पार्टी कार्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश, 2023 के अनुसार, दिल्ली की सीएम आतिशी सीधे तौर पर अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकती हैं। अधिकारियों पर तबादले, निलंबन या किसी भी तरह की कार्रवाई के लिए उन्हें राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण के समक्ष मामला ले जाना होगा। जहां दिल्ली के मुख्य सचिव और गृह प्रमुख सचिव उनसे इस मामले पर चर्चा करेंगे।

दिल्ली के मुख्य सचिव और गृह प्रमुख सचिव की नियुक्ति केंद्र सरकार करती है, इसलिए वे किसी भी कार्रवाई का समर्थन नहीं करेंगे। फिर भी अगर प्राधिकरण कोई कार्रवाई करने का फैसला करता है, तो इस मामले में अंतिम फैसला दिल्ली के उपराज्यपाल का होगा।

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Giriraj Sharma
Giriraj Sharmahttp://hindi.bynewsindia.com
ढाई दशक से सक्रिय पत्रकारिता में। राजनीतिक व सामाजिक विषयों पर लेखन, पर्यावरण, नगरीय विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि विषयों में रूचि। [ पूर्व संपादक (एम एंड सी) ज़ी रीजनल चैनल्स | कोऑर्डिनेटिंग एडिटर, ईटीवी न्यूज़ नेटवर्क/न्यूज़18 रीजनल चैनल्स | स्टेट एडिटर, पत्रिका छत्तीसगढ़ | डिजिटल कंटेंट हेड, पत्रिका.कॉम | मीडिया कंसलटेंट | पर्सोना डिज़ाइनर ]
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