Artificially Ripened Mangoes: भारत आम के सबसे बड़े उत्पादक देशों में पहले स्थान पर है। भारत में कई प्रकार के आम पाए जाते हैं, जैसे गुजरात का केसर आम, लखनऊ का दशेरी आम, कर्नाटक का बादामी आम और रत्नागिरी का अल्फांसो। आम खाने में स्वादिष्ट और शरीर के लिए स्वास्थ्यप्रद होते हैं। इसमें बहुत सारे फाइबर, विटामिन, मिनरल और एंटीऑक्सिडेंट, जैसे मैंगिफ़ेरिन और ग्लूकोसिल ज़ैथोन पाए जाते हैं।
आम सभी को बेहद पसंद होता है खासकर गर्मियों में ठंडा-ठंडा आम बड़ा ही स्वादिष्ट लगता है| आम कई प्रकार के आते है और गर्मी में इनकी की मांग भी अधिक हो जाती है| लेकिन आजकल ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए कुछ व्यापारी केमिकल का उपयोग करके फलों और सब्जियों को जल्दी पकाते हैं ताकि वे जल्द ही बाजार में लाकर बेच सकें।
ऐसे में केमिकल युक्त आम बाजार में आसानी से बिकते हैं। टॉक्सिक आम खाना आपकी सेहत को खराब कर सकता है। इसलिए आम खरीदने से पहले आपको यह जानना बेहद जरूरी है कि जो आम आप खरीद रहे है वो प्राकृतिक है या उसे किसी केमिकल द्वारा तैयार किया गया है|
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इन घातक केमिकल से पकाया जाता है:
मुनाफा कमाने और मांग पूरी करने के लिए कई व्यापारी केमिकल और कार्बाइड का इस्तेमाल करते हैं। इसे खाने से आपके शरीर के नर्वस सिस्टम पर असर पड़ता है, जिससे आपकी सेहत को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए सामान्य भोजन खतरनाक हो सकता है।
आज आम को जल्दी पका कर तैयार करने के लिए इसमें कार्बन मोनोऑक्साइड, एसिटिलीन और कार्बाइड जैसे केमिकल का प्रयोग किया जाता है और इस तरह के आम खाना बेहद हानिकारक हो सकता है। यह आपकी सेहत के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है।
ऐसी घातक बीमारियां हो सकती हैं:
नर्वस सिस्टम को केमिकल युक्त खाना खाने से नुकसान पहुंचाता है। इससे ब्रेन डैमेज जैसी जानलेवा बीमारी भी हो सकती है| इसके अलावा, स्किन कैंसर, कोलन कैंसर, नर्वस तंत्र, ब्रेन डैमेज और सर्वाइकल कैंसर जैसे खतरनाक रोग भी हो सकते हैं।
शरीर में ऐसी समस्याएं भी हो सकती हैं:
रसायन में आर्सेनिक और फॉस्फोरस हाइड्राइड के निशान भी विषाक्त हो सकते हैं। इसकी वजह से उल्टी, दस्त, कमजोरी, त्वचा पर अल्सर, आंखों की स्थायी चोट और सांस की समस्या हो सकती है। यह आपके मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता है।
इससे सिरदर्द, चक्कर आना, नींद न आना, मानसिक भ्रम, स्मृति की कमी, सेरेब्रल एडिमा आदि हो सकते हैं। कैल्शियम कार्बाइड के अलावा, एथिलीन पाउडर जैसे कई अन्य रसायन भी इसी काम के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं।
कैल्शियम कार्बाइड है बैन:
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम के नियमों और खाद्य सुरक्षा और मानक विनियमों के तहत कैल्शियम कार्बाइड का उपयोग करने पर प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि इससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
FSSAI के अनुसार, कैल्शियम कार्बाइड अक्सर वेल्डिंग में प्रयोग किया जाता है क्योंकि इसमें कार्सिनोजेनिक गुण पाए जाते हैं। यह सस्ता और आसानी से पाया जा सकने वाला प्रदार्थ है, इसलिए इसका व्यापक उपयोग किया जाता है।
केमिकल से पके आमों की पहचान ऐसे करें:
रसायन द्वारा पकाए जाने वाले आमों को आप आसानी से पहचान सकते हैं । जहां प्राकृतिक रूप से पके हुए आमों पर कोई हरे धब्बे नहीं होते वहीं केमिकल से पके हुए आम का रंग पीला या हरा हो सकता है। इसलिए हरे धब्बे वाले फलों से दूर रहें।
केमिकल से पकाया गया आम काटने पर अंदर कही से पीला और सफेद दिखाई देता है। जबकि अंदर से, प्राकृतिक रूप से पके आम बिल्कुल पीले दिखते हैं। केमिकल से भरे फल खाने से मुंह में हल्की जलन और कसैला स्वाद आता है। यही कारण है कि महंगे आम खरीदते समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
पानी की बाल्टी में आम डालें और देखें कि सतह पर हैं या डूब रहे हैं। अगर आम पानी में डूब जाता है इसका मतलब वह प्राकृतिक रूप से पके हुए होते हैं। वहीं, ऊपर तैरने वाले आमों का अर्थ है कि वे आर्टिफिशियल रूप से उगाए गए हैं।
Disclaimer: उपर्युक्त खबर में उल्लेखित जानकारी विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स और परसेप्शन पर आधारित है। आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ अथवा अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।