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बांग्लादेश में सत्यजीत रे से जुड़े 200 साल पुराने पुश्तैनी घर को गिराने पर विवाद, भारत ने जताई आपत्ति

Satyajit Ray: बांग्लादेश में फिल्मकार सत्यजीत रे से जुड़े 200 साल पुराने पुश्तैनी घर को गिराने की जमकर आलोचना हो रही है, जिसके बाद स्थानीय अधिकारियों को काम अस्थायी रूप से रोकना पड़ा है।

Satyajit Ray: बांग्लादेश में फिल्मकार सत्यजीत रे से जुड़े 200 साल पुराने पुश्तैनी घर को गिराने के फैसले पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। भारी विरोध और भारत की आपत्ति के बाद प्रशासन ने विध्वंस कार्य को फिलहाल रोक दिया है। मयमनसिंह जिले में हरिकिशोर रॉय रोड पर स्थित यह एक मंजिला ऐतिहासिक इमारत, सत्यजीत रे के दादा उपेंद्रकिशोर रे चौधरी से जुड़ी रही है। जिला बाल अकादमी इस स्थल पर नई इमारत बनाने के लिए इसे गिरा रही थी। जैसे ही सोशल मीडिया और हेरिटेज कार्यकर्ताओं ने विरोध दर्ज कराया, मामला अंतरराष्ट्रीय चर्चा में आ गया।

Satyajit Ray: विरोध और ऐतिहासिक महत्व

भारत सरकार ने भी बांग्लादेश को पत्र लिखकर विध्वंस रोकने और जीर्णोद्धार में सहयोग की पेशकश की। सोशल मीडिया पर विरोध की बाढ़ आ गई। साहित्यकारों, इतिहास प्रेमियों और स्थानीय निवासियों ने इस विध्वंस को रे परिवार की विरासत मिटाने की कोशिश बताया।

पुरातत्व विभाग की फील्ड ऑफिसर सबीना यास्मीन ने बाल अकादमी से विवरण मांगा है। उन्होंने कहा, “यह भवन अभी तक पुरातात्विक स्थल के रूप में सूचीबद्ध नहीं है, लेकिन इसका ऐतिहासिक महत्व स्पष्ट है।” स्थानीय लोगों ने दावा किया कि यह घर उपेंद्रकिशोर रे और उनके परिवार की विरासत का हिस्सा है। उपेंद्रकिशोर ने यहां अपनी शिक्षा शुरू की थी और यहीं से छात्रवृत्ति लेकर आगे बढ़े थे।

Satyajit Ray: विध्वंस का कारण और विवाद

बाल मामलों के अधिकारी मोहम्मद मेहदी जमान ने कहा कि यह इमारत वर्षों से अनुपयोगी और खतरनाक स्थिति में थी। मरम्मत की कोशिशें विफल रहीं और सरकार को किराए पर भवन लेकर काम करना पड़ रहा था, जिससे आर्थिक बोझ बढ़ रहा था।

उन्होंने बताया कि मेसर्स मयूर बिल्डर्स ने विध्वंस शुरू किया था ताकि भविष्य में यहां पांच मंजिला इमारत बनाई जा सके। मंगलवार को जब स्थल का दौरा किया गया, तब बढ़ते विरोध के कारण मजदूर काम करते नहीं दिखे।

Satyajit Ray: स्थानीय प्रशासन की सफाई

एडिशनल डिप्टी कमिश्नर रेजा मोहम्मद गुलाम मासूम प्रोधान ने कहा कि प्रशासन ने विध्वंस कार्य की अनुमति मिलने की प्रक्रिया की जांच शुरू कर दी है। चिल्ड्रन्स अकादमी को दस्तावेजों के साथ बुलाया गया है ताकि आगे की कार्रवाई तय की जा सके।

जिला प्रशासन ने इस घर को सत्यजीत रे से सीधे जोड़ने के दावों से असहमति जताई और कहा कि यह भवन जमींदार शशिकांत आचार्य का था। हालांकि, स्थानीय लोग इस तर्क को नकार रहे हैं और इसे बंगाल-बांग्लादेश साझा विरासत मिटाने की साजिश बता रहे हैं।

भारत की प्रतिक्रिया और विरासत बचाने की अपील

भारत सरकार ने बांग्लादेश से विध्वंस रोकने और ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने का अनुरोध किया है। भारतीय सांस्कृतिक मंत्रालय ने कहा कि सत्यजीत रे भारत और बांग्लादेश की साझा विरासत हैं और उनका घर गिराना दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंधों को नुकसान पहुंचा सकता है।

फिलहाल अस्थायी रोक

स्थानीय प्रशासन ने बढ़ते विरोध को देखते हुए फिलहाल विध्वंस पर रोक लगा दी है। आधे हिस्से को पहले ही गिराया जा चुका है और मलबा अभी भी पड़ा हुआ है। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे बंगबंधु के आवास जैसे मामलों से जोड़ते हुए ऐतिहासिक स्थलों की रक्षा की मांग की है।

यह मामला अब केवल एक भवन के विध्वंस तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह भारत-बांग्लादेश सांस्कृतिक रिश्तों और ऐतिहासिक विरासत की रक्षा का बड़ा मुद्दा बन गया है।

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