Earthquake: म्यांमार और थाईलैंड में आए भीषण भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.7 मापी गई, जिसके कारण अब तक 152 लोगों की मौत हो चुकी है और 700 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। भूकंप के तेज झटके भारत सहित कई अन्य देशों में भी महसूस किए गए। इस विनाशकारी भूकंप ने म्यांमार और थाईलैंड में जबरदस्त तबाही मचाई है। मलबे में अभी भी कई लोगों के दबे होने की आशंका है, जिससे मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। राहत और बचाव कार्य जारी है।
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Earthquake: भूकंप के झटकों से म्यांमार में तबाही
म्यांमार की सैन्य सरकार के प्रमुख वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग ने टेलीविजन पर दिए गए एक बयान में कहा कि अब तक 144 लोगों की मौत हो चुकी है और 730 से अधिक लोग घायल हुए हैं। उन्होंने आशंका जताई कि मृतकों और घायलों की संख्या बढ़ सकती है। राजधानी नेपीता में सरकारी कर्मचारियों के आवासीय भवनों सहित कई इमारतें पूरी तरह ध्वस्त हो गईं। राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी है, लेकिन कई लोग अब भी मलबे में दबे हो सकते हैं।

संयुक्त राष्ट्र जुटा रहा राहत सामग्रीसंयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि दक्षिण-पूर्व एशिया में जरूरतमंदों की सहायता के लिए राहत सामग्री जुटाई जा रही है। इसके अलावा, म्यांमार की सैन्य सरकार ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आपातकालीन सहायता की अपील की है।
Earthquake: थाईलैंड में भी भारी नुकसान
भूकंप के झटके पड़ोसी देश थाईलैंड में भी महसूस किए गए, जहां राजधानी बैंकॉक में एक निर्माणाधीन इमारत गिरने से 9 लोगों की मौत हो गई। रिपोर्ट के अनुसार, मृतकों में 8 लोग निर्माणाधीन इमारत के गिरने से मारे गए, जबकि एक अन्य व्यक्ति की मौत किसी अन्य कारण से हुई।

Earthquake: भारत में महसूस किए गए झटके
भूकंप के झटके भारत के कई राज्यों में भी महसूस किए गए। हालांकि, अब तक किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं आई है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर इस तीव्रता का भूकंप भारत के किसी घनी आबादी वाले शहर जैसे दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु या चेन्नई में आता, तो वहां भारी तबाही मच सकती थी।
Earthquake: म्यांमार में बार-बार क्यों आते हैं भूकंप?
म्यांमार भूकंप के लिहाज से दुनिया के सबसे संवेदनशील देशों में शामिल है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह इलाका ‘रिंग ऑफ फायर’ के करीब स्थित है, जहां दुनिया के 81% भूकंप आते हैं। इसके अलावा, यह क्षेत्र इंडियन प्लेट और सुंडा प्लेट के बीच स्थित है। जब ये टेक्टोनिक प्लेट्स आपस में टकराती हैं, तो भूकंप आते हैं। इस विशेष भूगर्भीय दोष को ‘सागाइंग फॉल्ट’ कहा जाता है।
Earthquake: भूकंप से जुड़ी बड़ी चिंताएं
विशेषज्ञों के अनुसार, अगर इसी तीव्रता का भूकंप भारत के किसी प्रमुख शहर में आता, तो भारी तबाही हो सकती थी। रिपोर्ट्स बताती हैं कि भारत के कई शहरों में 70-80% इमारतें इतने शक्तिशाली भूकंप को सहन नहीं कर सकतीं।
Earthquake: 1950 में असम में 5000 लोगों की हुई थी मौत
1950 में असम में आए 8.6 तीव्रता के भूकंप में करीब 5,000 लोगों की मौत हुई थी। वैज्ञानिकों के अनुसार, 7.7 तीव्रता का भूकंप हिरोशिमा पर गिराए गए 700 परमाणु बमों के बराबर ऊर्जा छोड़ता है।
Earthquake: भारत को उठाने चाहिए ये कदम
भारत को इस आपदा से सीख लेनी चाहिए और अपने शहरों को भूकंप के लिहाज से अधिक सुरक्षित बनाना चाहिए। इसके लिए:
- अवैध निर्माणों को रोकने के लिए सख्त नियम लागू किए जाएं।
- इमारतों की मजबूती को लेकर सख्त मानक तय किए जाएं।
- भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में विशेष आपातकालीन प्रबंधन योजना तैयार की जाए।
- लोगों को जागरूक करने के लिए बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाएं।
Earthquake: भारतीय दूतावास ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर
थाईलैंड में आए भूकंप के बाद बैंकॉक स्थित भारतीय दूतावास ने वहां रह रहे भारतीय नागरिकों के लिए आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। भारतीय नागरिक किसी भी आपात स्थिति में +66 618819218 पर संपर्क कर सकते हैं। भारतीय दूतावास ने बताया कि अभी तक किसी भी भारतीय नागरिक के हताहत होने की सूचना नहीं है।
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