Road Accident: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में बुधवार सुबह एक भीषण सड़क हादसे ने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया। पानीपत-खटीमा राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-58) पर थाना तितावी क्षेत्र में एक तेज रफ्तार कार के ट्रक से जोरदार टक्कर मारने से 6 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। यह हादसा हरियाणा के फरीदपुर से हरिद्वार जा रहे परिवार के साथ हुआ, जिसमें तीन महिलाएं और तीन पुरुष शामिल थे। राज्य में हाल के दिनों में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है, जो चिंता का विषय बन गया है।
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Road Accident: तेज रफ्तार बनी काल
जानकारी के मुताबिक, सुबह करीब 5 बजे कार में सवार 8 लोग हरिद्वार की ओर प्रस्थान कर चुके थे। हाईवे पर अंधेरा और घना कोहरा होने के बावजूद ड्राइवर ने रफ्तार काबू न रखी। अचानक कार अनियंत्रित हो गई और सड़क किनारे खड़े ट्रक से जा धुंसा। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि कार के परखच्चे उड़ गए और वह बुरी तरह मलबे में बदल गई। राहगीरों ने हादसे की सूचना मिलते ही घटनास्थल पर पहुंचकर घायलों को बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन मलबे में फंसे लोगों को बचाना मुश्किल साबित हुआ।
Road Accident: इस प्रकार हुई पीड़ितों की पहचान
पुलिस और स्थानीय प्रशासन की टीमों ने तुरंत मौके पर पहुंचकर बचाव कार्य शुरू किया। घायलों को नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने 5 लोगों को मृत घोषित कर दिया। शेष दो गंभीर रूप से घायलों को मेरठ के ट्रॉमा सेंटर रेफर किया गया, लेकिन इलाज के दौरान एक की मौत हो गई। मृतकों में परिवार के प्रमुख सदस्य शामिल हैं, जिनकी पहचान हरियाणा के फरीदपुर जिले के निवासी के रूप में हुई है। पुलिस ने मृतकों के शवों का पंचनामा भरने के बाद पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है और परिजनों को सूचना दे दी गई है।
Road Accident: NH-58: मौत का सैलाब, आंकड़े चिंताजनक
यह हादसा NH-58 पर पहला नहीं है। यह राजमार्ग मुजफ्फरनगर के 78 किलोमीटर लंबे हिस्से में पिछले कुछ वर्षों से दुर्घटनाओं का केंद्र बन चुका है। एनएचएआई की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2018 से अक्टूबर 2022 तक इस मार्ग पर 2,633 हादसे हो चुके हैं, जिसमें 59 से अधिक मौतें हुईं। 2021 में अकेले 540 दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि 2022 के पहले 10 महीनों में 512 मामले सामने आए। ओवरस्पीड, अंधेरा, कोहरा और खराब सड़क की स्थिति मुख्य कारण बताए जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि पुलिस की लापरवाही और ट्रैफिक नियमों का पालन न होने से ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं।
हालिया उन्नाव हादसा: श्रमिकों पर कहर
यह घटना हाल ही में 27 सितंबर को उन्नाव में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर हुए हादसे की याद दिला रही है। बेहटा मुजावर थाना क्षेत्र के माइलस्टोन 258 पर सुबह साढ़े 11 बजे हरियाणा नंबर की आर्टिगा कार अनियंत्रित हो गई। डिवाइडर क्रॉस करते हुए वह दूसरी लेन में घुस गई और मेंटेनेंस कार्य कर रहे यूपीडा (उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण) के छह श्रमिकों को रौंद दिया। इस भीषण टक्कर में चार श्रमिकों की मौके पर मौत हो गई, जबकि दो गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों को लखनऊ के ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया।हादसे के बाद गुस्साए ग्रामीणों और परिजनों ने एक्सप्रेसवे जाम कर दिया, जिससे घंटों ट्रैफिक ठप हो गया। पुलिस ने किसी तरह समझाकर जाम खुलवाया। जांच में पता चला कि कार चालक की लापरवाही और तेज गति मुख्य वजह थी। यूपीडा ने मृतक श्रमिकों के परिवारों को सहायता राशि देने का ऐलान किया। यह हादसा एक्सप्रेसवे पर सुरक्षा मानकों की कमी को उजागर करता है।
सड़क सुरक्षा पर सवाल: क्या हो समाधान?
उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। राज्य परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में ही 20,000 से अधिक दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें 10,000 से ज्यादा मौतें दर्ज की गईं। विशेषज्ञों का मानना है कि ओवरस्पीडिंग, नशे के सेवन और वाहनों की खराब हालत मुख्य कारक हैं। NH-58 और एक्सप्रेसवे जैसे व्यस्त मार्गों पर स्पीड कैमरे, बेहतर लाइटिंग और नियमित पैट्रोलिंग की जरूरत है। सरकार ने ‘सुरक्षित भारत’ अभियान के तहत जागरूकता कैंप लगाने का वादा किया है, लेकिन क्रियान्वयन में कमी दिख रही है।
परिजनों का दर्द देखते ही आंसू छलक पड़ते हैं। मृतकों के परिवारों ने मुआवजे और दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। यह हादसे राज्य सरकार के लिए सड़क सुरक्षा नीति पर पुनर्विचार करने का संकेत हैं।
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