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Maha Kumbh 2025: महाकुंभ में स्नानार्थियों की संख्या 46 करोड़ के पार, माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि पर बनेगा नया रिकॉर्ड

Maha Kumbh 2025: विश्व के सबसे बड़े धार्मिक सांस्कृतिक समागम 'महाकुंभ 2025' ने दुनिया को अचंभित कर रखा है। दुनियाभर के बड़े धार्मिक आयोजनों में यह अपनी विशेष पहचान बना चुका है।

Maha Kumbh 2025: दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक समागम महाकुंभ 2025 में आस्था का महासागर उमड़ पड़ा है। मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम में अब तक 46.25 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। माघ पूर्णिमा और महाशिवरात्रि पर इस संख्या में और वृद्धि होने की संभावना है। आगामी स्नान पर्वों के साथ यह आयोजन और भव्यता की ओर बढ़ता दिख रहा है। प्रशासन और सरकार के प्रयासों से श्रद्धालुओं को सुविधाजनक, सुरक्षित और दिव्य महाकुंभ का अनुभव मिल रहा है।

महाकुंभ में श्रद्धालुओं की रिकॉर्ड संख्या का पूर्वानुमान

बीते 30 दिनों से प्रयागराज में देश-विदेश से श्रद्धालुओं, साधु-संतों, कल्पवासियों और गृहस्थों का तांता लगा हुआ है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ में श्रद्धालुओं की रिकॉर्ड संख्या का पूर्वानुमान लगाया था, जो अब सच साबित होता दिख रहा है। बुधवार सुबह 8 बजे तक ही 92.13 लाख से अधिक लोग प्रयागराज पहुंच चुके थे, जबकि 1.02 करोड़ श्रद्धालु संगम में स्नान कर चुके थे।

महाकुंभ में पहुंचे राजनेता और गणमान्य व्यक्ति

महाकुंभ में आस्था का रंग केवल आम श्रद्धालुओं तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि इसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई केंद्रीय मंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्री भी संगम में पवित्र स्नान कर चुके हैं। इसके अलावा, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल, हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी, मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल समेत कई नेता इस महाकुंभ के साक्षी बने। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और यूपी विधानसभा में विपक्ष के नेता माता प्रसाद पांडे ने भी संगम में आस्था की डुबकी लगाई।

माघ पूर्णिमा पर उमड़ा जनसैलाब

महाकुंभ 2025 में बुधवार को माघ पूर्णिमा के अवसर पर करोड़ों श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई। इस पावन अवसर को और भव्य बनाने के लिए योगी सरकार ने हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा कर श्रद्धालुओं का स्वागत किया। सुबह 8 बजे से ही विभिन्न घाटों पर स्नान कर रहे श्रद्धालुओं, साधु-संतों और कल्पवासियों पर गुलाब की पंखुड़ियों की बारिश की गई।

योगी सरकार ने की पुष्पवर्षा

हेलीकॉप्टर से होते पुष्पवर्षा को देखकर श्रद्धालु अभिभूत हो उठे और हर-हर महादेव, जय श्रीराम और गंगा मइया की जय के जयकारों से तीर्थराज प्रयाग गूंज उठा। जब आसमान में हेलीकॉप्टर की गड़गड़ाहट सुनाई दी, तो श्रद्धालुओं को आभास हो गया कि उन पर पुष्पवर्षा की जाएगी।

20 क्विंटल गुलाब की पंखुड़ियों से हुई बारिश

महाकुंभ में स्नान पर्वों पर श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा की परंपरा रही है। इसी क्रम में माघ पूर्णिमा के स्नान पर्व पर भी योगी सरकार ने इस परंपरा को कायम रखा। सीएम योगी के निर्देश पर उद्यान विभाग ने पुष्पवर्षा की विशेष तैयारी की थी। इसके लिए 20 क्विंटल गुलाब की पंखुड़ियों की व्यवस्था की गई थी, जबकि 5 क्विंटल फूल रिजर्व रखे गए थे। इससे पहले भी 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा, 15 जनवरी को मकर संक्रांति, 8 फरवरी को बसंत पंचमी और 21 जनवरी को मौनी अमावस्या के स्नान पर्व पर श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा की गई थी।

महाशिवरात्रि पर बनेगा नया रिकॉर्ड

अब श्रद्धालुओं को महाशिवरात्रि (8 मार्च) के स्नान पर्व का इंतजार है। इस दिन संगम में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटने की संभावना है। प्रशासन द्वारा सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। महाकुंभ 2025 ने पहले ही कई रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, और अनुमान लगाया जा रहा है कि महाशिवरात्रि पर यह संख्या और बढ़ सकती है।

सुरक्षा और व्यवस्थाएं चाक-चौबंद

महाकुंभ में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए सुरक्षा और सुविधाओं को लेकर विशेष प्रबंध किए गए हैं। सीसीटीवी कैमरों, ड्रोन निगरानी, दमकल दल और एनडीआरएफ की टीमें 24 घंटे तैनात हैं। स्वच्छता व्यवस्था बनाए रखने के लिए सैकड़ों सफाईकर्मी कार्यरत हैं। श्रद्धालुओं को किसी भी असुविधा से बचाने के लिए प्रशासन पूरी मुस्तैदी से कार्य कर रहा है।

महाकुंभ 2025: आस्था और संस्कृति का अद्भुत संगम

महाकुंभ 2025 न केवल आस्था का पर्व है, बल्कि यह भारतीय सनातन संस्कृति की अनंत धारा को विश्व पटल पर गौरवान्वित करने वाला आयोजन भी है। प्रयागराज का यह कुंभ विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में अपनी अलग पहचान बना चुका है। यह आयोजन श्रद्धालुओं की धार्मिक भावना, सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बनकर उभरा है।

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