Laxmikant Dixit: अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले मुख्य आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के निधन हो गया। शनिवार सुबह 6 बजकर 45 मिनट पर वाराणसी में उन्होंने आखिरी सांस ली। आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित काफी समय से बीमार चल रहे थे। 22 जनवरी को लक्ष्मीकांत दीक्षित ने अयोध्या में राम की प्राण प्रतिष्ठा कराई थी। इस दौरान उन्होंने 121 वैदिक ब्राह्मणों को नेतृत्व किया था। इसके अलावा वो दिसंबर 2021 काशी विश्वनाथ धाम लोकार्पण के पूजन में भी शामिल हुए थे। उनके निधन की खबर से देशभर में शोक की लहर फैल गई है। इस दुखद समाचार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। पंडित दीक्षित का निधन भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। कहा जाता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक में भी दीक्षित परिवार के पुरानी पीढ़ियों का योगदान रहा है।
Table of Contents
मणिकर्णिका घाट पर हुआ पूरे रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार
लक्ष्मीकांत दीक्षित काशी के प्रकांड विद्वानों में से एक थे। बताया जा रहा है कि वो यर्जुवेद के अच्छे जानकार थे। वाराणसी के मीरघाट स्थित उनके आवास से सुबह उनकी शवयात्रा निकली। मणिकर्णिका घाट पहुंच पूरे रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनकी अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
लक्ष्मीकांत दीक्षित का निधन समाज के लिए अपूरणीय क्षति : पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्ष्मीकान्त दीक्षित के निधन पर शोक जताया है। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा, देश के मूर्धन्य विद्वान और साङ्गवेद विद्यालय के यजुर्वेदाध्यापक लक्ष्मीकांत दीक्षित के निधन का दुःखद समाचार मिला। दीक्षित काशी की विद्वत् परंपरा के यशपुरुष थे। काशी विश्वनाथ धाम और राम मंदिर के लोकार्पण पर्व पर मुझे उनका सान्निध्य मिला। उनका निधन समाज के लिए अपूरणीय क्षति है।
भारतीय संस्कृति की सेवा में वे सदैव स्मरणीय रहेंगे: सीएम योगी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। सीएम योगी ने लिखा, काशी के प्रकांड विद्वान एवं राम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य पुरोहित, वेदमूर्ति, आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित का गोलोकगमन अध्यात्म व साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति है। संस्कृत भाषा व भारतीय संस्कृति की सेवा हेतु वे सदैव स्मरणीय रहेंगे। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने चरणों में स्थान एवं उनके शिष्यों और अनुयायियों को यह दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
कौन थे आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित
86 वर्षीय आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित पिछले कुछ दिनों से बीमार थे। शनिवार 22 जून, 2024 को उनका निधन हो गया। आज उनका मणिकर्णिका घाट पर दाह संस्कार किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य मंदिर में भगवान श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की गई थी। आचार्य दीक्षित को काशी के वरिष्ठ विद्वानों में गिना जाता था। लक्ष्मीकांत दीक्षित मूल रूप से महाराष्ट्र के शोलापुर जिले के रहने वाले थे। कई पीढ़ियों से उनका परिवार काशी में रह रहा था। उनके पूर्वजों ने नागपुर और नासिक रियासतों में भी धार्मिक अनुष्ठान करवाते थे। लक्ष्मीकांत दीक्षित पूजा पद्धति में सिद्धहस्त और वाराणसी के मीरघाट स्थित सांगवेद महाविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य रहे थे। जनवरी महीने में अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में मुख्य पुजारी की भूमिका के साथ काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण पूजन में भी शामिल थे।
कई नेताओं ने जताया शोक
विहिप नेता मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने पंडित लक्ष्मी कांत दीक्षित के निधन को राष्ट्रीय क्षति बताया है। वहीं, आचार्य लक्ष्मीकांत के निधन पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी दुख जताया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और डिप्टी सीएम दीया कुमारी ने आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के निधन पर शोक जताया है। इनके अलावा देशभर में कई नेताओं और संगठनों ने शोक जताया है।