Ghaziabad News: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में बारिश के बाद जलभराव ने एक बड़े विवाद को जन्म दे दिया है। जिले के कारोबारी अमित किशोर की मर्सिडीज कार बारिश के कारण हुए जलभराव में फंसकर खराब हो गई। अब उन्होंने नगर निगम की लापरवाही के खिलाफ आवाज उठाते हुए नगर आयुक्त को लीगल नोटिस भेजा है और 5 लाख रुपये की मानसिक क्षतिपूर्ति तथा कार की मरम्मत का खर्च मांगा है। इस नोटिस को अधिवक्ता प्रेम प्रकाश ने जारी किया। उन्होंने कहा, यह केवल एक वाहन की क्षति का मामला नहीं है, यह जिले की नागरिक व्यवस्था की गहराई से जांच का विषय है।
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Ghaziabad News: कार को क्रेन की मदद से निकाला
यह मामला 23 जुलाई का है, जब अमित किशोर साहिबाबाद के लाजपत नगर से वसुंधरा जा रहे थे। रास्ते में हुई भारी बारिश के चलते सड़क पर जलभराव हो गया और उनकी लग्जरी मर्सिडीज कार पूरी तरह पानी में डूब गई। कार को क्रेन की मदद से निकालकर नोएडा के सर्विस सेंटर ले जाया गया, जहां से 5 लाख रुपये की मरम्मत का बिल सामने आया।
Ghaziabad News: जनता टैक्स देती है तो जवाबदेही भी होनी चाहिए
अमित किशोर ने कहा, यह केवल एक व्यक्ति का नुकसान नहीं है। नगर निगम की लापरवाही, भ्रष्टाचार और निकासी व्यवस्था की विफलता के कारण लोगों की संपत्ति और जीवन खतरे में है। जब हम टैक्स देते हैं, तो हमें जवाबदेही भी चाहिए। यह मेरी नहीं, पूरे गाजियाबाद की लड़ाई है। उन्होंने आगे कहा कि नगर निगम को पहले से ही जल निकासी की व्यवस्था दुरुस्त करनी चाहिए थी। बारिश कोई नई बात नहीं है, लेकिन हर साल जलभराव से लोगों की गाड़ियां खराब होती हैं और उनका कोई सुनने वाला नहीं होता।
Ghaziabad News: कानूनी कार्रवाई की चेतावनी
इस पूरे मामले में कारोबारी अमित किशोर की ओर से अधिवक्ता प्रेम प्रकाश ने नगर आयुक्त को कानूनी नोटिस भेजा है। नोटिस में कहा गया है कि यदि 15 दिनों के भीतर नगर निगम इस लापरवाही पर संतोषजनक उत्तर नहीं देता या उचित कार्रवाई नहीं करता, तो पीड़ित पक्ष उच्च न्यायालय, लोकायुक्त और अन्य कानूनी मंचों पर शिकायत दर्ज कराएगा।
गहराई से जांच का विषय
अधिवक्ता प्रेम प्रकाश ने कहा, यह केवल एक वाहन की क्षति का मामला नहीं है, बल्कि यह नागरिक व्यवस्था की गहराई से जांच का विषय है। नगर निगम का कर्तव्य है कि वह नागरिकों की सुरक्षा और उनकी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति सुनिश्चित करे।
सोशल मीडिया पर भी छाया मामला
यह मामला जैसे ही सामने आया, सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। कई लोगों ने नगर निगम की लापरवाही को आड़े हाथों लेते हुए सवाल उठाए कि हर साल यही स्थिति क्यों बनती है और अब तक इसके समाधान के लिए कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया गया।
गाजियाबाद का यह मामला केवल एक हाई-एंड कार के नुकसान का नहीं, बल्कि एक बड़े नागरिक सवाल का प्रतीक बन गया है। जब देश के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल गाजियाबाद जैसे शहरों में भी बुनियादी जलनिकासी की व्यवस्था नहीं हो पाती, तो यह शासन-प्रशासन की जिम्मेदारी पर बड़ा सवाल उठाता है। अब देखना यह है कि नगर निगम इस कानूनी चेतावनी के बाद क्या रुख अपनाता है।
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