Paris Paralympics 2024: भारत के प्रवीण कुमार ने पैरालंपिक खेलों में पुरुषों की ऊंची कूद टी64 स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन करते हुए 2.08 मीटर की ऊंचाई के साथ एशियाई रिकॉर्ड बनाया और स्वर्ण पदक अपने नाम किया। यह भारत का पैरालंपिक खेलों में छठा स्वर्ण पदक है, जिससे देश की कुल पदक संख्या 26 हो गई है। इन पदकों में 9 रजत और 11 कांस्य पदक शामिल हैं। प्रवीण कुमार की इस ऐतिहासिक जीत ने भारत के पैरालंपिक अभियान को और भी सफल बना दिया है।
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तीन साल पहले की थी करियर की शुरुआत
प्रवीण कुमार ने तीन साल पहले टोक्यो में अपने पैरालंपिक डेब्यू में रजत पदक जीतकर अपने करियर की शानदार शुरुआत की थी, और इस बार उन्होंने पैरालंपिक खेलों में न केवल लगातार दूसरा पदक जीता, बल्कि 2.08 मीटर की छलांग के साथ एक नया एशियाई रिकॉर्ड भी स्थापित किया। उनके इस प्रदर्शन ने उन्हें स्वर्ण पदक दिलाया।
2.06 मीटर की छलांग के साथ जीता था कांस्य
यूएसए के डेरेक लोकिडेंट ने 2.06 मीटर की छलांग के साथ कांस्य पदक जीता, जो एक पैरालंपिक रिकॉर्ड भी था। उज्बेकिस्तान के टेमुरबेक जियाज़ोव ने 2.03 मीटर के अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ कांस्य पदक हासिल किया। प्रवीण की यह उपलब्धि भारतीय पैरालंपिक इतिहास में एक और गौरवशाली क्षण है।
एशियाई रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण जीता
प्रवीण कुमार ने फाइनल में अपने अभियान की शुरुआत 1.89 मीटर से की और इसके बाद लगातार 2.08 मीटर तक सफल छलांग लगाकर स्वर्ण पदक की दिशा में अग्रसर रहे। उन्होंने 1.80 मीटर और 1.85 मीटर के पिछले प्रयासों को छोड़ते हुए, 2.08 मीटर की ऊंचाई तक अपने सभी प्रयासों को एक ही बार में पूरा कर लिया। हालांकि, वह 2.10 मीटर की ऊँचाई को पार करने में विफल रहे, लेकिन उनके द्वारा उठाए गए अन्य प्रयासों ने उन्हें स्वर्ण पदक दिलाने में कोई बाधा नहीं डाली। प्रवीण की इस शानदार प्रदर्शन ने उन्हें शीर्ष पर पहुँचाया और भारतीय पैरालंपिक खेलों में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की।
चुनौतियों से भरा था पैरा-एथलीट बनने का सफर
प्रवीण कुमार का पैरा-एथलीट बनने का सफर वास्तव में प्रेरणादायक है। जन्म के समय छोटे पैर के साथ उन्हें अपने साथियों से पीछे रहने की भावना का सामना करना पड़ा। अपनी असुरक्षाओं को दूर करने के लिए, उन्होंने खेलों में भाग लेना शुरू किया और वॉलीबॉल के प्रति एक गहरी रुचि विकसित की। हालांकि, उनका जीवन तब बदल गया जब उन्होंने एक एथलेटिक्स प्रतियोगिता में ऊंची कूद की प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। इस प्रतियोगिता ने उन्हें विकलांग एथलीटों के लिए उपलब्ध अवसरों की एक नई दुनिया से परिचित कराया। इस अनुभव ने उन्हें एक नई दिशा दी और उनके पैरा-एथलेटिक्स के करियर की नींव रखी। प्रवीण की मेहनत और लगन ने उन्हें एक सफल एथलीट बना दिया, और आज वह एक प्रेरणा के रूप में उभरे हैं।