Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि 2024 आज यानी गुरुवार से शुरू हो गए है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा करके लोग व्रत रखते हैं। इस दिन मां दुर्गा की पूजा कैसे करें?, मां के किन रूपों की कब अर्चना करें और अंत में कन्या पूजन कैसे करें। आइए जानते है इनके विधि-विधान के बारें में।
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मां दुर्गा के रूप और उनकी पूजा
नवरात्रि का पर्व हर साल शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है, जो इस बार गुरुवार से आरंभ होगा। नवरात्रि में प्रतिदिन सुबह और शाम दोनों समय मां दुर्गा की पूजा करें। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। प्रत्येक दिन एक रूप की पूजा की जाती है। दिन मां दुर्गा का रूप पूजा विधि…
- शैलपुत्री- इस दिन मां की गोधूलि से पूजा करें।
- ब्रह्मचारिणी- सुबह स्नान के बाद मां की उपासना करें।
- चंद्रघंटा- इस दिन व्रत रखकर मां की आरती करें।
- कूष्माण्डा- इस दिन विशेष प्रसाद चढ़ाएं।
- स्कंदमाता- कलश स्थापना करें और मां की कृपा के लिए प्रार्थना करें।
- कात्यायनी- मां को लाल फूल अर्पित करें और भोग लगाएं।
- कालरात्रि- इस दिन रात्रि जागरण करें और भजन गाएं।
- महागौरी- इस दिन विशेष ध्यान और साधना करें।
- सिद्धिदात्री- मां को नौंवे दिन कन्याओं का पूजन करें।
पूजा सामग्री
नवरात्रि के इन नौ दिनों में श्रद्धा और भक्ति से पूजा करें। इस दौरान सच्चे मन से की गई पूजा से मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है और भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। पूजा के लिए आवश्यक सामग्री।
- कलश
- चावल
- फूल
- दीपक
- फल
- मिठाई
- लाल कपड़ा
कन्या पूजन की विधि
नौ कन्याओं का पूजन करें। उम्र में आमतौर पर 2 से 10 वर्ष तक की कन्याएं चुनी जाती हैं। कन्याओं को स्नान करवा कर उन्हें सुंदर वस्त्र पहनाएं। उन्हें सजाने के लिए चूड़ियाँ, बिंदिया और अन्य सजावटी सामान का उपयोग करें।
- नवरात्रि के आखिरी दिन, नौ कन्याओं को आमंत्रित करें।
- उन्हें स्नान करवा कर सजाएं।
- कन्याओं को सादा भोजन परोसें, जिसमें हलवा, चने और पूड़ी शामिल हो।
- कन्याओं को दक्षिणा और उपहार दें।
- उनकी आरती करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
कन्या पूजन का महत्व
कन्याओं को देवी का स्वरूप माना जाता है। उनका सम्मान और पूजा करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कन्या पूजन से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। मान्यता है कि कन्याओं को भोजन कराने और उनकी पूजा करने से पापों का नाश होता है और जीवन में समृद्धि आती है।
नवरात्रि में व्रत और इसका महत्व
उपवास का संबंध नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। यह न केवल एक धार्मिक अभ्यास है, बल्कि यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी हो सकता है। यहाँ उपवास से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें और सुझाव दिए गए हैं।
उपवास की विधि और नियम
उपवास का मुख्य उद्देश्य आत्म-नियंत्रण, ध्यान और आंतरिक शांति प्राप्त करना है। इसे आस्था और भक्ति के साथ किया जाना चाहिए। उपवास के दौरान अधिकांश लोग फल, सूखे मेवे, और जल का सेवन करते हैं। कुछ लोग सिंघाड़ा, आलू, कुट्टू का आटा, और समक जैसी चीजें खाते हैं। ये खाद्य पदार्थ शरीर को ऊर्जा देने के साथ-साथ स्वास्थ्यवर्धक भी होते हैं।
जल का सेवन
उपवास के दौरान जल का सेवन अत्यंत आवश्यक है। कुछ लोग केवल जल पीते हैं, जबकि अन्य फल, जूस, या नारियल पानी भी ले सकते हैं। पर्याप्त मात्रा में जल पीने से शरीर हाइड्रेटेड रहता है और इससे डिहाइड्रेशन की समस्या नहीं होती।
आहार
उपवास के दौरान हल्का और पोषक आहार लेना चाहिए। जैसे: फलों का सलाद, उपवास के स्नैक्स (जैसे भुने चने, मूंगफली), सूप या उबले आलू, दही या छाछ का इस्तेमाल कर सकते है। उपवास करते समय अपनी शारीरिक क्षमता का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। अगर किसी को लगता है कि उपवास रखने से उनकी सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, तो उन्हें उचित सावधानी बरतनी चाहिए।