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Chaitra Navratri: जानिए घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधी, इन मंत्रों से करें माता रानी को प्रसन्न

Chaitra Navratri: नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित होता है| मां शैलपुत्री का वाहन बैल है तथा वो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं। मां शैलपुत्री का यह रूप सौम्य, करुणा, स्नेह और धैर्य का प्रतीक है।

Chaitra Navratri: 9 अप्रैल, यानि कल मंगलवार को चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ होगा| मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की इन नौ दिनों में पूजा की जाती है। भक्त नौ दिनों तक माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु व्रत रखते हैं| नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार माँ दुर्गा ही सृष्टि का सृजन, पालन और संहार करती हैं।

देवी पार्वती ने भगवान शिव के कहने पर रक्तबीज, शुंभ-निशुंभ, मधु-कैटभ और अन्य दानवों को मार डालने के लिए कई रूप धारण किए, लेकिन उनकी पूजा केवल नौ रूपों में की जाती है: मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री। आइए जानें घट स्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि ….

नवरात्रि पर मां दुर्गा की पूजा:

नवरात्रि के दिन सुबह घर को साफ-सुथरा करने बाद सुख-समृद्धि के लिए दरवाजे पर आम और अशोक के ताजे पत्तों का तोरण लगाएं। साथ ही मुख्य द्वार पर दोनों तरफ स्वास्तिक बनाएं| उसके पश्चात माता दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर को लकड़ी की चौकी या आसन पर स्वास्तिक लगाकर रखना चाहिए। श्री गणेश की मूर्ति को मां दुर्गा की मूर्ति के बाईं तरफ रखें। तत्पश्चात माता के सामने मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं|

माना जाता हैं कि यह जौ समृद्धि व खुशहाली का प्रतीक होता है| यदि आपको मां की पूजा करते समय कोई भी मंत्र नहीं आता तो दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र, ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे, पढ़ते हुए पूजन सामग्री अर्पित करें।

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त:

08 अप्रैल को रात 11 बजकर 50 मिनट से चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू होगी और 09 अप्रैल को रात 8 बजकर 30 मिनट पर इसका समापन होगा। इसलिए सुबह के मुहूर्त के हिसाब से चैत्र नवरात्रि 09 अप्रैल से मानी जाएगी। सुबह 06 बजकर 02 मिनट से लेकर 10 बजकर 16 मिनट तक घटस्थापना का शुभ मुहूर्त है। साथ ही सुबह 11 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक घटस्थापना का अभिजित मुहूर्त है।

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा विधि:

मां शैलपुत्री दुर्गा का एक स्वरूप है। नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित होता है| मां शैलपुत्री का वाहन बैल है तथा वो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं। मां शैलपुत्री का यह रूप सौम्य, करुणा, स्नेह और धैर्य का प्रतीक है। नवरात्रि के पहले के पहले दिन सुबह शुभ मुहूर्त में घट स्थापना करें और अखंड ज्योति जलाएं।

अब पूर्व की ओर मुख कर चौकी पर माता का चित्र रखकर लाल वस्त्र बिछाएं। पहले गणपति का आह्वान करें, फिर मां शैलपुत्री का आह्वान करें| इस दिन माता शैलपुत्री का विधि-विधान से पूजने करें | मान्यता हैं कि मां शैलपुत्री के माथे पर एक अर्धचंद्र है, जिसका पूजन विधिपूर्वक किया जाए तो व्यक्ति की कुंडली में चंद्र दोष दूर होता है।

पूजा मंत्र:

मां शैलपुत्री की पूजा के समय इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं-

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः ।।
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:।
या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सभी जानकारियाँ सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। विभिन्न माध्यमों से एकत्रित करके ये जानकारियाँ आप तक पहुँचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज़ सूचना पहुँचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज़ सूचना समझकर ही लें। किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि का होना संयोग मात्र है। Bynewsindia. com इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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