Cuff Syrup Dispute: राजस्थान चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने सीकर जिले के हाथीडह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के एक डॉक्टर डॉ. पलक और फार्मासिस्ट पप्पू सोनी के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई शुरू कर दी है। इन दोनों पर एक बच्चे को प्रतिबंधित डेक्सट्रोमेथॉर्फन (DXM) युक्त कफ सिरप देने का आरोप है, जो बच्चों के लिए प्रोटोकॉल के विरुद्ध है। विभाग के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह मामला अलग है और हाल की मौतों से जुड़ा नहीं। स्वास्थ्य निदेशक डॉ. रवि प्रकाश शर्मा ने कहा, बच्चों के लिए DXM सिरप की सिफारिश नहीं की जाती। प्रोटोकॉल का उल्लंघन पाया गया, इसलिए निलंबन की प्रक्रिया शुरू की गई।
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Cuff Syrup Dispute: भरतपुर और सीकर मौतों का सिरप से कोई संबंध नहीं
हाल ही में भरतपुर और सीकर में दो बच्चों की मौत की खबरों ने राज्य में हड़कंप मचा दिया था, लेकिन अधिकारियों ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि इनमें कफ सिरप का कोई हाथ नहीं था। मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (RM SCL) ने जांच में पाया कि डॉक्टरों ने इन मामलों में DXM सिरप निर्धारित नहीं किया था। मौतें अन्य कारणों से हुईं, जैसे निमोनिया। स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बच्चों की मौतों की खबरों पर तत्काल जांच के आदेश दिए थे, जिसके बाद 22 बैचों के कफ सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया गया। दवा के नमूने राज्य औषधि परीक्षण प्रयोगशाला भेजे गए हैं, और तीन सदस्यीय समिति जांच कर रही है।
Cuff Syrup Dispute: भरतपुर के गगन और सम्राट मामलों का विवरण
भरतपुर के कालसाडा गांव की 30 वर्षीय मोनू जोशी 25 सितंबर को खांसी, सर्दी और बुखार की शिकायत लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गईं। डॉक्टर ने उन्हें DXM हाइड्रोब्रोमाइड सिरप और अन्य दवाएं दीं। लेकिन मोनू ने बिना सलाह के यह सिरप अपने 3 वर्षीय बेटे गगन को दे दिया, जब उसे सर्दी और निमोनिया हुआ। गगन की हालत बिगड़ने पर डॉ. अशोक जैन ने उसे जयपुर के जेके लोन अस्पताल रेफर किया। 25 सितंबर दोपहर 2 बजे भर्ती गगन को 27 सितंबर को छुट्टी मिल गई।
Cuff Syrup Dispute: पहले से निमोनिया से पीड़ित था सम्राट जाटव
इसी तरह, 1 अक्टूबर की खबर में तीन भाई-बहनों द्वारा सिरप पीने और एक की मौत का जिक्र था। लेकिन तथ्य यह है कि 18 सितंबर को 50 वर्षीय नहनी मलाह उपकेन्द्र गईं, जहां उन्हें PCM दवा दी गई। सम्राट जाटव (2 वर्ष) पहले से निमोनिया से पीड़ित था और भरतपुर से जयपुर रेफर किया गया। 22 सितंबर को उसकी मौत हो गई। अधिकारियों ने पुष्टि की कि सिरप नहीं दिया गया था। एक अन्य घटना में भरतपुर के डॉ. तराचंद योगी ने सिरप की सुरक्षा साबित करने के लिए खुद और दो एम्बुलेंस स्टाफ को सिरप पिलाया, जिससे तीनों बेहोश हो गए। इससे चिंता बढ़ी और तत्काल प्रतिबंध लगा।
सीकर के नित्यांश की मौत: घरेलू सिरप का मामला
सीकर के खोरी गांव के महेश कुमार शर्मा के 5 वर्षीय बेटे नित्यांश की मौत सबसे चर्चित रही। 7 जुलाई को झुंझुनू के चिराना सीएचसी में बुखार-खांसी की जांच हुई, लेकिन पर्चे में DXM सिरप का जिक्र नहीं था। मां खुशबू शर्मा के अनुसार, 28 सितंबर रात 9 बजे हल्की खांसी पर उन्होंने घर पर रखे 5 मिली पुराने DXM सिरप का डोज दिया। रात 2 बजे बच्चा ठीक लग रहा था, लेकिन सुबह 5 बजे बेहोश पाया गया। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। यह सिरप सरकारी नहीं, बल्कि घरेलू था।
मुक्त दवा योजना पर शिकायतें, प्रतिबंध और जांच
राज्य सरकार ने मुफ्त दवा योजना के तहत वितरित कफ सिरप की शिकायतों को गंभीरता से लिया है। केसन फार्मा द्वारा निर्मित DXM युक्त सिरप पर संदेह होने से 22 बैच प्रतिबंधित कर दिए गए। ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक ने कहा कि सीकर, झुंझुनू और भरतपुर से नमूने लिए गए हैं, रिपोर्ट 3 दिनों में आएगी। अब तक 10 से अधिक बच्चे बीमार पड़े हैं, लेकिन मौतें सिरप से नहीं जुड़ीं।
भविष्य की चुनौतियां और सबक
यह विवाद राजस्थान की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों के लिए DXM सिरप की अनुशंसा नहीं होनी चाहिए। सरकार ने जागरूकता अभियान तेज करने और प्रोटोकॉल सख्ती से लागू करने का वादा किया है। स्वास्थ्य मंत्री ने परिवारों को न्याय का आश्वासन दिया। यह घटना दवा गुणवत्ता नियंत्रण की जरूरत पर जोर देती है, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी न हो।
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