Anta By-Election: राजस्थान के बाड़मेर जिले की अंता विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया ने शानदार जीत दर्ज की है। पिछले विधानसभा चुनाव में मात्र 5,861 वोटों से हारे भाया इस बार करीब तीन गुना मतों के अंतर से विजयी हुए। भाजपा की हार ने सत्तारूढ़ दल के लिए खतरे की घंटी बजा दी है, क्योंकि हाड़ौती क्षेत्र भाजपा का परंपरागत गढ़ माना जाता है। यह जीत कांग्रेस के लिए महीनों बाद मिली बड़ी सफलता है, जिसने पार्टी में नई जान फूंक दी है।
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Anta By-Election: जीत का अंतर तीन गुना, भाजपा को झटका
चुनाव आयोग के अंतिम परिणामों के अनुसार, प्रमोद जैन भाया ने भाजपा उम्मीदवार को भारी मतों से हराया। पिछले चुनाव में भाजपा ने यह सीट जीती थी, लेकिन उपचुनाव में जनता ने पलटवार किया। मतों की गिनती के दौरान कांग्रेस शुरू से आगे रही और अंत तक बढ़त बनाए रखी। यह जीत हाड़ौती के चार जिलों (बारां, कोटा, बूंदी, झालावाड़) में कांग्रेस की वापसी का संकेत दे रही है।
Anta By-Election: कांग्रेस की रणनीति कामयाब, गुटबाजी ने डुबोई भाजपा
कांग्रेस की जीत का राज बूथ स्तर तक फैला मजबूत अभियान रहा। पार्टी के वॉर रूम ने हर बूथ पर निगरानी रखी, स्थानीय मुद्दों को प्रमुखता दी और सभी गुटों को एकजुट किया। प्रमोद जैन भाया की व्यक्तिगत लोकप्रियता और जमीनी पकड़ ने भी बड़ा रोल अदा किया। वहीं भाजपा की हार की बड़ी वजह रही आंतरिक गुटबाजी और टिकट वितरण में गलती। हाड़ौती के दो प्रभावशाली कैबिनेट मंत्री (मदन दिलावर और हीरालाल नागर) को प्रचार से दूर रखा गया, जिससे कार्यकर्ता नाराज रहे। स्थानीय नेताओं को नजरअंदाज करने और प्रचार को सीमित रखने से भाजपा का संदेश जनता तक नहीं पहुंच सका।
Anta By-Election: भाजपा के अजेय किले में सेंध, सात उपचुनावों की लहर रुकी
भजनलाल सरकार बनने के बाद हुए उपचुनावों में भाजपा ने लगातार 7 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस सिर्फ दौसा में सफल हुई। अंता में हार ने भाजपा की जीत की लहर पर ब्रेक लगा दिया। यह हार सरकार की दो साल की उपलब्धियों पर सवाल उठाती है और संगठनात्मक कमजोरियों को उजागर करती है। जमीनी असंतोष, किसान-युवा मुद्दों पर ध्यान की कमी और ओवरकॉन्फिडेंस भाजपा को महंगा पड़ा।
Anta By-Election: कांग्रेस को मिली राजनीतिक ऑक्सीजन, निकाय चुनावों में बढ़ा जोश
कांग्रेस के लिए यह जीत किसी संजीवनी से कम नहीं। लंबे समय से उपचुनावों में हार का सामना कर रही पार्टी में अब नया उत्साह है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और सचिन पायलट गुट के नेता एकजुट नजर आए। यह जीत आने वाले निकाय चुनाव, पंचायत चुनाव और 2028 के विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को मजबूत आधार देगी। पार्टी अब हाड़ौती सहित पूरे राजस्थान में आक्रामक रुख अपनाएगी।
Anta By-Election: हाड़ौती की सियासत बदली, क्षेत्रीय समीकरण बने निर्णायक
अंता की जीत ने राजस्थान की राजनीति के समीकरण बदल दिए हैं। हाड़ौती, जो कभी भाजपा का अभेद्य किला था, अब प्रतिस्पर्धी क्षेत्र बन गया है। निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा के मैदान में उतरने से वोट बंटने की आशंका थी, लेकिन कांग्रेस ने रणनीति से इसे संभाल लिया। भाजपा अब स्थानीय नेताओं को मजबूत करने और गुटबाजी खत्म करने पर फोकस करेगी।
प्रमोद जैन भाया ने जीत के बाद कहा कि जनता ने विकास और सुशासन के नाम पर कांग्रेस को चुना। भाजपा नेताओं ने हार को स्वीकार करते हुए संगठनात्मक सुधार का वादा किया। यह उपचुनाव छोटा होने के बावजूद राजस्थान की सियासत में बड़ा बदलाव लाने वाला साबित हुआ है।
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