Vijay Krishna Resign: बिहार के दिग्गज नेता और पूर्व सांसद विजय कृष्ण ने बुधवार को अचानक अपनी राजनीतिक यात्रा और RJD से पूरी तरह दूरी लेने का ऐलान कर दिया। 74 वर्षीय विजय कृष्ण ने अपनी प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफा पत्र भेजकर कहा कि वे अब सक्रिय राजनीति से संन्यास ले रहे हैं। उन्होंने यह पत्र पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को भेजा है।
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Vijay Krishna Resign: राजनीतिक करियर: संघर्ष, जीत और विवाद
विजय कृष्ण का राजनीतिक सफर सत्तर के दशक में शुरू हुआ। उन्होंने 1977 में जनता पार्टी के बिहार महासचिव के रूप में राजनीति में कदम रखा। बाद में जनता दल के विधायक बने, और 1990 व 1995 में बाढ़ विधानसभा सीट से लगातार जीत दर्ज की।
2004 में उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक सफलता आई, जब उन्होंने बारह (Barh) लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जनता दल-यूनाइटेड (JD(U)) के उम्मीदवार नीतीश कुमार को हराकर देश में सुर्खियाँ बटोरीं। यह जीत उस वक्त राजनीतिक हलचल ला देने वाली थी।
Vijay Krishna Resign: RJD से टिकट नहीं मिला तो जॉइन की नीतीश की पार्टी
हालाँकि, 2009 में RJD से टिकट न मिलने पर उन्होंने थोड़ी देर के लिए नीतीश की पार्टी में शामिल होने का फैसला किया। लेकिन महज एक साल बाद ही वह वापस RJD में लौट आए। उनका राजनीतिक करियर विवादों से भी खाली नहीं रहा। 2009 में पटना के कृष्णापुरी थाना क्षेत्र में हत्या मामले में उनका नाम आरोपी के रूप में आया। 2013 में उन्हें और उनके पुत्र सहित अन्य आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। 2022 में पटना हाईकोर्ट ने उन्हें इस मामले में न्याय प्रदान करते हुए रिहा कर दिया।
Vijay Krishna Resign: इस्तीफे के पीछे क्या वजह?
अखबारों की रिपोर्ट्स के अनुसार, विजय कृष्ण ने अपनी विदाई का फैसला “दलगत राजनीति तथा सक्रिय राजनीति से दूरी” की भावना बताकर किया है। उन्होंने कहा है कि अब उन्हें पहले की तरह सक्रिय राजनीति में शामिल नहीं रहना है। विश्लेषकों का मानना है कि यह इस्तीफा इस समय RJD के लिए बहुत बड़ा झटका है, क्योंकि पार्टी पहले से ही विधानसभा चुनाव में मिली हार और आंतरिक असंतुष्टता से जूझ रही है।
RVijay Krishna Resign: JD के लिए राजनीति में खालीपन
विजय कृष्ण RJD के पुराने और प्रभावशाली नेताओं में से एक थे। उनकी विदाई से पार्टी की संगठनात्मक संरचना व किसान-जातीय (राजपूत) वोट बैंक पर असर पड़ सकता है। इस फैसले से साफ है कि RJD को फिर से अपने चेहरे, नेतृत्व और संगठन सुधारने की चुनौती का सामना करना होगा। साथ ही, यह भी देखने वाली बात होगी कि आगामी चुनावों में उनका राजनीतिक बूता और हस्तक्षेप किस प्रकार रहेगा।
नव दौर की शुरुआत या विदाई का अंत?
विजय कृष्ण की राजनीति में वापसी की संभावना फिलहाल कम लग रही है। उनके इस निर्णय को एक तरह से राजनीतिक विदाई के रूप में देखा जा रहा है। लेकिन बिहार की राजनीति काफी गतिशील रही है — कोई भी गठबंधन, रुख या गठजोड़ अस्थायी नहीं। इसलिए, यह कहना मुश्किल है कि भविष्य में वे पूरी तरह से सक्रिय राजनीति से दूर रहेंगे या फिर किसी नई शुरुआत के संकेत देंगे।
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