Rajasthan political: राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को जिलों के परिसीमन को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच जबरदस्त घमासान देखने को मिला। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और कांग्रेस विधायकों ने सदन के बाहर प्रदर्शन करते हुए भाजपा सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। कांग्रेस का आरोप है कि पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार द्वारा बनाए गए नए जिलों को भजनलाल शर्मा की भाजपा सरकार ने बिना किसी ठोस कारण के निरस्त कर दिया, जिससे जनता को भारी नुकसान हुआ है।
Table of Contents
कांग्रेस का आरोप– जनहित की अनदेखी कर रही सरकार
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकार जिलों के गठन को लेकर जनहित की अनदेखी कर रही है और पूरी तरह राजनीति से प्रेरित निर्णय ले रही है। उन्होंने कहा, अगर नए जिले बनाने का आधार भौगोलिक दूरी और जनसंख्या है, तो फिर कुछ जिलों को क्यों निरस्त किया गया? क्या जयपुर जैसे बड़े शहर, जिसकी जनसंख्या 75 लाख से अधिक हो चुकी है, को एक जिला रखना उचित है?
जूली ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने जिला पुनर्गठन पर कोई पारदर्शी नीति नहीं अपनाई और बिना किसी स्पष्ट तर्क के कांग्रेस सरकार के निर्णयों को पलट दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने जनता की मांग और प्रशासनिक सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए नए जिलों का गठन किया था, लेकिन भाजपा सरकार इसे राजनीतिक लाभ के लिए बदल रही है।
भाजपा का जवाब– कांग्रेस फैला रही भ्रामक प्रचार
कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने कहा कि कांग्रेस के पास जनता के बीच उठाने के लिए कोई वास्तविक मुद्दा नहीं है, इसलिए वह इस तरह के विवाद खड़े कर रही है। उन्होंने कहा, भाजपा सरकार ने जनहित को प्राथमिकता दी है और जिलों के परिसीमन की समीक्षा कर रही है। कांग्रेस ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए जिलों का बंटवारा किया था, जबकि हमारी सरकार जनता की सुविधा को ध्यान में रखकर यह फैसला ले रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में जिलों के पुनर्गठन की समीक्षा का वादा किया था, और उसी के अनुरूप यह कार्रवाई की जा रही है। बेढम ने गंगापुर जिले का उदाहरण देते हुए कहा कि इसमें करौली जिले का हिस्सा भी शामिल किया गया था, लेकिन स्थानीय जनता ने इसका कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा, हमारी सरकार ने जनता की मांग को प्राथमिकता देते हुए जिलों के पुनर्गठन का निर्णय लिया है।
कांग्रेस-भाजपा के बीच तीखी बहस, सदन में हंगामा
विधानसभा में यह मुद्दा उठते ही कांग्रेस और भाजपा विधायकों के बीच तीखी बहस शुरू हो गई। कांग्रेस के विधायकों ने सरकार पर निशाना साधते हुए जिलों के परिसीमन को जनविरोधी करार दिया, जबकि भाजपा विधायकों ने कांग्रेस पर झूठी राजनीति करने का आरोप लगाया। सदन में नारेबाजी और हंगामे के कारण कुछ समय के लिए कार्यवाही रोकनी पड़ी।
कांग्रेस के विधायकों ने विधानसभा के बाहर भी प्रदर्शन किया और भाजपा सरकार के खिलाफ नारे लगाए। उनका कहना था कि भाजपा सरकार जानबूझकर जिलों की संख्या कम कर रही है ताकि प्रशासनिक सुविधाएं आम जनता तक न पहुंचें और केवल कुछ खास इलाकों को ही फायदा मिले।
आगे क्या होगा?
जिलों के परिसीमन को लेकर दोनों दलों के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर राज्यभर में आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दी है, वहीं भाजपा सरकार अपने निर्णय पर अडिग है। माना जा रहा है कि इस विवाद के चलते राजस्थान में आगामी नगर निकाय और पंचायत चुनावों पर भी असर पड़ सकता है।
राज्य सरकार ने संकेत दिए हैं कि यदि किसी जिले के पुनर्गठन से जनता को परेशानी हो रही है, तो उस पर पुनर्विचार किया जाएगा। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार कितने जिलों की सीमाओं में बदलाव करेगी।
जनता की राय क्या?
राजस्थान के विभिन्न जिलों में इस मुद्दे पर जनता की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है। कुछ लोग भाजपा सरकार के फैसले को सही मानते हैं और जिलों के पुनर्गठन को प्रशासनिक सुधार का हिस्सा बताते हैं, जबकि कुछ इसे कांग्रेस सरकार के विकास कार्यों पर रोक लगाने की साजिश करार दे रहे हैं।
जिलों के परिसीमन पर यह राजनीतिक घमासान अभी और तेज होने की संभावना है, क्योंकि कांग्रेस इसे बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में है और भाजपा अपने फैसले को जनता के हित में बता रही है। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में सरकार इस विवाद को कैसे सुलझाती है।
यह भी पढ़ें:-
Exit Poll: दिल्ली में खिलेगा कमल या फिर चलेगा ‘आप का झाड़ू’, जानें एग्जिट पोल में किसकी बनेगी सरकार