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Friday, November 22, 2024
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Lok Sabha Election 2024: पहले और दूसरे के मतदान के अंतिम आकंड़ों में देरी पर विपक्ष ने उठाए आयोग पर सवाल

Lok Sabha Election 2024: इन आंकड़ों के अनुसार, जो रिपोर्ट्स पहले आई थीं, उनके मुकाबले वोटिंग प्रतिशत बढ़ा हुआ बताया गया है। ऐसे में विपक्षी पार्टियों ने चुनाव आयोग के इन आंकड़ों पर सवाल उठाए हैं।

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के तहत दो चरणों के लिए मतदान हो चुका है। पहले खबरें आ रही थीं कि दोनों चरणों में पिछली बार की अपेक्षा कम वोटिंग हुई है। लेकिन मंगलवार को निर्वाचन आयोग ने पहले चरण के मतदान और दूसरे चरण के मतदान के आधिकारिक आंकड़े जारी किए। इन आंकड़ों के अनुसार, जो रिपोर्ट्स पहले आई थीं, उनके मुकाबले वोटिंग प्रतिशत बढ़ा हुआ बताया गया है।

ऐसे में विपक्षी पार्टियों ने चुनाव आयोग के इन आंकड़ों पर सवाल उठाए हैं। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी, तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओब्रायन और राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव ने इन आंकड़ों पर प्रश्न उठाते हुए पूछा है कि मूल आंकड़ों से इतना अधिक वोटिंग प्रतिशत कैसे हुआ और मतदाताओं की संख्या क्यों नहीं दी गई?

पहले और दूसरे चरण में इतना हुआ मतदान:

चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पहले चरण के तहत 66.14 प्रतिशत मतदान हुआ है। वहीं दूसरे चरण में 66.71 प्रतिशत मतदान हुआ। निर्वाचन आयोग के अनुसार, लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में रजिस्टर्ड ट्रांसजेंडर मतदाताओं में से 31.32 प्रतिशत ने वोटिंग की। इसके अलावा पहले चरण में 66.22 प्रतिशत पुरुष मतदाता और 66.07 प्रतिशत महिला मतदाताओं ने वोट डाले।

पहले चरण में कुल 102 लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ। वहीं दूसरे चरण के लिए मतदान 26 अप्रैल को हुआ था। चुनाव आयोग के अनुसार, दूसरे चरण में 66.99% पुरुष मतदाताओं और 66.42% महिला मतदाताओं ने वोट डाले। दूसरे चरण के तहत 88 सीटों के लिए मतदान हुआ। वहीं दूसरे चरण में रजिस्टर्ड ट्रांसजेंडर मतदाताओं में से 23.86% ने मतदान दिया।

विपक्ष ने उठाए सवाल:

चुनाव आयोग के इन आंकड़ों पर विपक्षी दलों के नेताओं ने सवाल उठाए हैं। माकपा नेता सीताराम येचुरी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर लिखा कि निर्वाचन आयोग ने आखिरकार लोकसभा चुनाव 2024 के पहले दो चरणों के लिए हुए मतदान के अंतिम आंकड़े पेश कर दिए हैं।

येचुरी ने आगे लिखा कि ये आंकड़े मामूली नहीं, बल्कि प्रारंभिक आंकड़ों से कहीं अधिक हैं। साथ ही उन्होंने सवाल पूछा कि दोनों चरणों के तहत प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में वोटरों की कुल संख्या क्यों नहीं बताई गई। साथ ही येचुरी ने कहा कि यह आंकड़ा अज्ञात है ऐसे में मतदान फीसद निरर्थक है।

नतीजों में हेराफेरी की आशंका जताई:

साथ ही ही सीताराम येचुरी ने आशंका जताई कि नतीजों में हेरफेर हो सकता है। उन्होंने आशंका जताई कि गिनती के समय मतदान की संख्या में बदलाव किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को आकंड़ों के मामले में पारदर्शी होना चाहिए और आकंड़े भी सार्वजनिक होने चाहिए। येचुरी ने बताया कि पहले चुनाव आयोग की वेबसाइट पर वर्ष 2014 तक प्रत्येक नर्वाचन क्षेत्र में मतदादाओं की कुल संख्या देखी जा सकती थी।

चुनाव आयोग से मांगा जवाब:

इसके साथ ही सीताराम येचुरी ने एक और पोस्ट लिखते हुए चुनाव आयोग से इस बारे में जवाब मांगा है। येचुरी ने अपनी दूसरी पोस्ट में लिखा कि वह प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में पंजीकृत मतदाताओं की पूर्ण संख्या की बात कर रहे हैं ना कि डाले गए वोटों की संख्या की। उन्होंने आगे लिखा कि डाले गए वोटो की संख्या तो डाक मतपत्रों की गिनती के बाद ही पता चल पाएगी। उन्होंने लिखा कि चुनाव आयोग को जवाब देना चाहिए कि मतदाताओं की कुल संख्या क्यों नहीं दी जाती है।

वोटिंग प्रतिशत 5.75 प्रतिशत बढ़ा:

तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओब्रायन ने भी चुनाव आयोग के इन आंकड़ों पर सवाल उठाए हैं। ओब्रायन ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा कि दूसरे चरण के समाप्त होने के चार दिन बाद निर्वाचन आयोग की ओर से अंतिम मतदान आंकड़े जारी कर दिए गए हैं। साथ ही उन्होंने लिखा कि इन आंकड़ों में चुनाव आयोग द्वारा चार दिन पहले घोषित की गई संख्या से 5.75% की बढ़ोतरी हई है, क्या यह आम है? ओब्रायन ने लिखा कि वह इस बात को समझ नहीं पाए।

योगेंद्र यादव ने क्या लिखा:

वहीं, राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव ने भी चुनाव आयोग के इन आंकड़ों को लेकर अपने एक्स पर लिखा कि उन्होंने 35 वर्षों से भारतीय चुनावों को देखा है। आगे उन्होंने लिखा कि मतदान के अंतिम आंकड़े 24 घंटों के भीतर प्राप्त हो जाते थे। वहीं जबकि प्रारंभिक आंकड़े (मतदान दिवस शाम) और अंतिम आंकड़ों के बीच 3 से 5 फीसदी का अंतर असामान्य था।

इस बार पहले और अंतिम आंकड़े जारी करने में ग्यारह दिन की देरी है, जो असाधारण और चिंताजनक है। इसके साथ ही उन्होंने दूसरा मुद्दा उठाया कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र और उसके हिस्सों में मतदाताओं और डाले गए वोटों की वास्तविक संख्या नहीं बताई गई। योगेन्द्र यादव का कहना है कि चुनावी ऑडिट में मतदान फीसदी काम नहीं करता।

यद्यपि प्रत्येक बूथ के लिए फार्म 17 में सूचीबद्ध जानकारी प्रत्येक उम्मीदवार के एजेंट को उपलब्ध है, चुनाव आयोग ही पूरी जानकारी दे सकता है और देनी चाहिए, ताकि डाले गए वोटों और गिने गए वोटों के बीच हेराफेरी को रोका जा सके। इसके साथ ही आकंड़े जारी करने में हुआ इतना विलंब और रिपोटिंग प्रारूप में बदलाव पर भी आयोग को स्पष्टीकरण देना चाहिए।

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