Kedarnath By Election 2024: उत्तराखंड की केदारनाथ विधानसभा सीट पर बुधवार को संपन्न हुए उपचुनाव में 57.64% मतदान दर्ज किया गया। मतगणना 23 नवंबर को होगी। कुल 173 मतदान केंद्रों पर शांतिपूर्ण ढंग से मतदान संपन्न हुआ। किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली। अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. विजय कुमार जोगदंडे ने शांतिपूर्ण चुनाव प्रक्रिया के लिए मतदाताओं का आभार व्यक्त किया। केदारनाथ उपचुनाव का परिणाम आगामी 23 नवंबर को घोषित होगा, जिससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि इस सीट पर किस पार्टी का वर्चस्व रहेगा।
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महिलाओं ने वोटिंग में फिर मारी बाजी
केदारनाथ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार: कुल मतदाता: 90,875 है। इनमें महिला मतदाता 45,956 और पुरुष मतदाता 44,919 है। इस उपचुनाव में कुल 57.64% मतदान हुआ, जोकि शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ।
भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर
केदारनाथ विधानसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। यह सीट दोनों दलों के लिए सम्मान और राजनीतिक प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है। इस सीट पर उपचुनाव भाजपा विधायक शैला रानी रावत के निधन के बाद कराए गए हैं। शैला रानी रावत ने भाजपा के लिए यह सीट जीती थी, और अब यह सीट भाजपा के लिए अपनी पकड़ बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
भाजपा की रणनीति
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल के लिए प्रचार में पूरी ताकत झोंकी। मंत्री और वरिष्ठ नेता: उत्तराखंड सरकार के मंत्रियों और पार्टी नेताओं ने भी इस सीट पर मतदाताओं को रिझाने के लिए लगातार दौरे किए। पार्टी ने विकास कार्यों और सरकारी योजनाओं को प्रमुख मुद्दा बनाया।
भाजपा की प्रत्याशी: आशा नौटियाल
आशा नौटियाल वर्तमान में भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष हैं। संगठन और महिला मुद्दों पर काम करने के कारण उनकी छवि मजबूत है। उन्हें भरोसा है कि जनता शैला रानी रावत की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें मौका देगी। क्षेत्र में विकास कार्यों और पार्टी की राज्य एवं केंद्र सरकार की योजनाओं को प्रमुख मुद्दा बनाकर मैदान में है।
कांग्रेस की चुनौती
केदारनाथ विधानसभा सीट पर कांग्रेस के मनोज रावत ने चुनाव लड़ा है। कांग्रेस ने भी इस सीट पर जोरदार प्रचार अभियान चलाया। पार्टी ने भाजपा सरकार की नीतियों और कामकाज को मुद्दा बनाते हुए मतदाताओं को साधने की कोशिश की। कांग्रेस जनता को स्थानीय समस्याओं और भाजपा सरकार के कार्यकाल में विकास में कथित कमी को लेकर अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रही है।
सियासी महत्व
यह सीट उत्तराखंड के राजनीतिक परिदृश्य में अहम मानी जाती है। चुनाव प्रचार के दौरान दोनों पार्टियों ने इसे अपनी प्रतिष्ठा की सीट मानते हुए हर संभव प्रयास किया। केदारनाथ विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास भाजपा और कांग्रेस के बीच करीबी मुकाबले का गवाह रहा है। अब तक तीन बार भाजपा के प्रत्याशी विजयी रहे हैं और दो बार कांग्रेस के प्रत्याशी। इस उपचुनाव के परिणाम न केवल केदारनाथ सीट के लिए बल्कि पूरे उत्तराखंड के सियासी समीकरणों के लिए भी महत्वपूर्ण होंगे। 23 नवंबर को यह तय होगा कि भाजपा अपनी विरासत को बरकरार रख पाती है या कांग्रेस यहां वापसी करती है।
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