Delhi Assembly: दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र में मंगलवार को एक नजारा देखने को मिला, जब विधानसभा अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुए विजेंद्र गुप्ता ने सदन में हंगामा कर रहे आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों को बाहर का रास्ता दिखाया। दिलचस्प बात यह है कि कभी खुद विजेंद्र गुप्ता को सदन से बाहर निकाला गया था और अब वही स्पीकर बनकर अनुशासन लागू करते नजर आए।
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दिल्ली विधानसभा में बदला समीकरण
तीसरी बार रोहिणी विधानसभा सीट से जीत दर्ज करने वाले भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता ने स्पीकर पद संभालते ही साफ कर दिया था कि वह सदन को अखाड़ा नहीं बनने देंगे और नियमों का पालन कराएंगे। मंगलवार को विशेष सत्र के दौरान उपराज्यपाल के अभिभाषण के बीच आप विधायकों ने हंगामा शुरू किया। गुप्ता ने पहले उन्हें शांत रहने की चेतावनी दी, लेकिन जब हंगामा जारी रहा, तो उन्होंने मार्शलों को बुलाकर 21 आप विधायकों को तीन दिनों के लिए निलंबित कर दिया।
तीन दिन के लिए बढ़ा सत्र, विपक्ष पर शिकंजा
दिल्ली विधानसभा का यह विशेष सत्र तीन दिनों के लिए बढ़ा दिया गया है। निलंबन के चलते आप विधायक अब सोमवार तक सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हो पाएंगे। हालांकि, आप विधायक अमानतुल्लाह खान उस दिन सदन में उपस्थित नहीं थे, इसलिए उन्हें निलंबित नहीं किया गया।
राजनीतिक सफर और पुराने विवाद
विजेंद्र गुप्ता का राजनीतिक सफर 1997 में एक पार्षद के तौर पर शुरू हुआ था। वह दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष रह चुके हैं और 2013 में नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनाव भी लड़े थे, हालांकि हार गए थे। 2015 से 2020 तक उन्होंने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाई। पिछले अगस्त से भी वह इस पद पर थे। गुप्ता डीडीए के सदस्य और एमसीडी स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन भी रह चुके हैं।
विजेंद्र गुप्ता के संघर्ष की कहानी
गुप्ता के संघर्ष की कहानी जून 2015 से शुरू होती है, जब वह चौथे दिल्ली वित्त आयोग की रिपोर्ट पेश करने की मांग करते हुए सदन में विरोध कर रहे थे। इस दौरान मार्शलों ने उन्हें घसीटकर बाहर निकाला था। अक्टूबर 2016 में भी सीएजी रिपोर्ट पेश करने की मांग को लेकर वह मेज पर चढ़ गए थे, जिसके चलते उन्हें फिर बाहर निकाला गया। 30 नवंबर 2015 को भाजपा विधायक ओपी शर्मा के खिलाफ कार्रवाई के दौरान भी गुप्ता को जबरन सदन से बाहर किया गया था।
27 साल बाद बदली सत्ता की तस्वीर
राष्ट्रीय राजधानी में करीब 27 साल बाद भाजपा सत्ता में लौटी है। पिछले 12 वर्षों में आम आदमी पार्टी का विधानसभा पर कब्जा था, जहां भाजपा के पास सीमित संख्या में विधायक थे। 2015 में पार्टी के केवल तीन विधायक थे, जिनमें से एक गुप्ता थे। तब आप सरकार बार-बार भाजपा विधायकों को सदन से बाहर कराती रही थी। 2020 के चुनाव में भी आप के पास 62 और भाजपा के पास केवल आठ विधायक थे, लेकिन सत्ता में वापसी के बाद भाजपा अब आक्रामक मुद्रा में है।
भाजपा का बदला हुआ रुख
सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद विजेंद्र गुप्ता को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने आप विधायकों को चेताया था कि उनका व्यवहार ठीक रहना चाहिए। मंगलवार को उपराज्यपाल के अभिभाषण के दौरान आप विधायकों ने जब हंगामा किया तो गुप्ता ने पहले समझाया, लेकिन जब बात नहीं बनी तो मार्शलों के जरिए कार्रवाई की। बाद में सीएम रेखा गुप्ता के सीएजी रिपोर्ट पेश करने के दौरान फिर हंगामा हुआ, जिसके बाद बचे हुए आप विधायकों को भी बाहर कर दिया गया।
इस घटनाक्रम ने साबित कर दिया कि भाजपा इस बार सदन में अराजकता बर्दाश्त नहीं करेगी। जिन विजेंद्र गुप्ता को कभी मार्शल बाहर ले जाते थे, वही अब स्पीकर बनकर सदन की मर्यादा कायम रखने के लिए कड़े कदम उठा रहे हैं।