Health Insurance : महामारी कोरोना काल के बाद से स्वास्थ्य बीमा को लेकर लोगों में जागरुकता बढ़ी है। इसी वजह से बीते एक साल में इस्वास्थ्य बीमा प्रीमियम का बोझ भी लगातार तेजी से बढ़ रहा है। बीमा नियमक इरडा ने हाल ही में स्वास्थ्य बीमा के कई नियमों में बदलाव किया है। इससे अब पॉलिसीधारकों की जेब ढीली होने वाली है। मौजूदा बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड कम करने के आदेश जैसी नई गाइडलाइंस के चलते अब बीमा कंपनियां हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम 10-15 प्रतिशत बढ़ाई जा रही है। बीते कुछ दिनों से कई बीमा कंपनियों ने तो प्रीमियम बढ़ने को लेकर ग्राहकों को लगातार मैसेज और ईमेल भेज रही है। ऐसे में किए गए नियमों में बदलाव के बाद अब ग्राहकों की जेब पर और ज्यादा असर पड़ेगा।
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7.5 से 12.5 प्रतिशत तक बढ़ेगा प्रीमियम
एक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनियां नए नियमों के बाद ग्राहकों की लोकेशन और उम्र के अनुसार प्रीमियम में बढ़ोतरी करने की बात कही है। एचडीएफ एर्गो ने अपने ग्राहकों को भेजे मेल में कहा कि प्रीमियम दरें औसतन 7.5 प्रतिशत से 12.5 प्रतिशत तक बढ़ाई जाएगी। इंश्योरेंस प्लेटफॉम एको के रिटेल हेल्थ वाइस प्रेजिडेंट रूपिंदरजीत सिंह के मुताबिक बीमा नियमों में बदलाव के बाद ज्यादातर इंश्योरेंस कंपनियां स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम में 10-20 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है।
बीपी – मधुमेह सहित इन बिमारियों को किया शामिल
पहले से मौजूद बीमारियों के लिए इरडा ने अधिकतम वेटिंग पीरियड को 4 साल से घटाकर 3 साल किया है। वेटिंग पीरियड का मतलब है कि यदि आप पहले से किसी बीमारी से पीड़ित हैं, तो बीमा क्लेम करने के लिए वेटिंग अवधि के खत्म होने तक इंतजार करना होगा। रिपोर्ट के अनुसार, इन बीमारियों में हाई बीपी, मधुमेह, थायराइड आदि सभी शामिल हैं।
जानिए कंपनियां क्यों कर रही है बढ़ोतरी
साथ ही इरडा ने मोरेटोरियम पीरियड को भी 8 साल से घटाकर 5 साल कर दिया है। अब 5 साल तक बीमा प्रीमियम जमा करने के बाद बीमा कंपनियां बीमारी की जानकारी छिपाने सहित किसी भी आधार पर क्लेम को रिजेक्ट नहीं कर देगी। इससे बीमा कंपनियों को लग रहा है कि उनका रिस्क बढ़ना होगा और अधिक लोगों के क्लेम देना होगा। ऐसे में बीमा कंपनियां प्रीमियम बढ़ाने जा रही है।
इरडा ने बदले हैं कई नियम
इंश्योरेंस से जुड़े कई नियमों में बदलाव करके इरडा ने नई गाइडलाइन जारी है। अब से पहले बीमा कंपनियों के लिए 65 साल तक के व्यक्ति को रेगुलेर हेल्थ कवर ऑफर करना जरूरी था। नए नियमों में हेल्थ पॉलिसी खरीदने के लिए मैक्सिम एज की शर्त हटा दी है। इससे कंपनियां अब 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को भी रेगुलर बीमा पॉलिसी खरीदने से नहीं रोक पाएंगी। पहले कंपनियां बुजुर्गों का स्वास्थ्य बीमा कर रही थीं, लेकिन वह स्पेशियलाइज्ड पॉलिसी होती थी। इरडा के इस फैसले के बाद अब बीमा कंपिनयां सीनियर सिटीजंस को ध्यान में रखकर पॉलिसी पेश करेंगी।