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Sunday, November 16, 2025
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रिटायर शिक्षक को दूल्हे की तरह रथ पर विदाई, गांव ने बनाई मिसाल; 26 जनवरी से ज्यादा भीड़

MP News: रिटायर होने पर शिक्षक को फूलों से सजे रथ पर दूल्हे की तरह बैठाया गया। बैंड-बाजे के साथ पूरे गांव में घुमाया गया और फूलों की वर्षा के बीच अलविदा कहा गया।

MP News: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के तामिया विकासखंड के धोबीवाड़ा गांव में गुरुवार को एक ऐतिहासिक विदाई का नजारा देखने को मिला। प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक मेघराज पराड़कर के रिटायरमेंट पर ग्रामीणों, छात्रों, शिक्षकों और जनप्रतिनिधियों ने मिलकर ऐसा सम्मान दिया कि हर आंख नम हो गई। शिक्षक को फूलों से सजे रथ पर दूल्हे की तरह बैठाया गया, बैंड-बाजे के साथ पूरे गांव में घुमाया गया और फूलों की वर्षा के बीच अलविदा कहा गया। यह दृश्य किसी शादी से कम नहीं था, बल्कि एक शिक्षक के प्रति समाज की कृतज्ञता का प्रतीक बन गया।

MP News: दूल्हे जैसी सजावट, बैंड-बाजे और नाच-गाना

कार्यक्रम की शुरुआत सुबह से ही हो गई। स्कूल परिसर में फूलों की मालाएं, रंग-बिरंगे गुब्बारे और बैनर लगे थे। मेघराज सर को लाल रंग की पगड़ी पहनाई गई, गले में दर्जनों फूलमालाएं डाली गईं। उनकी गाड़ी को दूल्हे की बारात की तरह फूलों से सजाया गया। फिर उन्हें रथ पर बैठाकर जुलूस निकाला गया। बैंड की धुन पर ग्रामीण नाचते-गाते चल रहे थे। बच्चे “सर, आप हमेशा हमारे दिल में रहेंगे” के नारे लगा रहे थे। महिलाएं आरती उतार रही थीं, बुजुर्ग आशीर्वाद दे रहे थे। पूरा गांव उत्सव में डूबा था।

जनपद सदस्य हरीश उईके ने नेतृत्व किया। उन्होंने कहा, “मेघराज सर ने 38 साल तक गांव के बच्चों को सिर्फ पढ़ाया नहीं, उन्हें इंसान बनाया। यह विदाई उनके योगदान का छोटा सा सम्मान है।” कार्यक्रम में स्थानीय सरपंच, पूर्व छात्र, शिक्षक संघ के पदाधिकारी और सैकड़ों ग्रामीण शामिल हुए। स्कूल की दीवारों पर बच्चों ने “थैंक यू सर” के पोस्टर चिपकाए थे।

MP News: 38 साल की निष्ठा: एक ही स्कूल, एक ही मिशन

मेघराज पराड़कर की नियुक्ति 1 अक्टूबर 1987 को धोबीवाड़ा प्राथमिक विद्यालय में हुई थी। तब से लेकर 31 जुलाई 2025 तक उन्होंने यहीं सेवा दी – कुल 38 वर्ष 10 माह। गांव की साक्षरता दर 45% से बढ़कर 92% तक पहुंची, इसका श्रेय सर को जाता है। वे सुबह 6 बजे स्कूल पहुंचते, देर शाम तक बच्चों को अतिरिक्त कक्षाएं देते। गरीब बच्चों को अपनी जेब से किताबें, यूनिफॉर्म दिलवाते। गांव में कोई बच्चा स्कूल न छोड़े, इसके लिए घर-घर जाकर अभिभावकों को समझाते।

पूर्व छात्र रामसिंह उइके (अब इंजीनियर) ने बताया, “सर ने मुझे 5वीं में फेल होने से बचाया। आज मैं जो हूं, सर की वजह से हूं।” एक अन्य छात्रा ने कहा, “सर ने लड़कियों को पढ़ाने पर जोर दिया; आज गांव में 60% लड़कियां हाईस्कूल पास हैं।”

MP News: भावुक विदाई, 26 जनवरी से ज्यादा भीड़

रथ से उतरते समय मेघराज सर की आंखें भर आईं। माइक थामकर उन्होंने कहा, “मुझे बहुत खुशी है कि इतने लोग मेरे सम्मान में जुटे। शायद 26 जनवरी और 15 अगस्त पर भी इतनी भीड़ नहीं होती। मैंने कभी सोचा नहीं था कि मेरा गांव मुझे ऐसे विदा करेगा।” उन्होंने अभिभावकों से अपील की, “सभी माता-पिता अपने बच्चों को नियमित स्कूल भेजें। बच्चों की उपस्थिति ही गांव के उज्ज्वल भविष्य की कुंजी है। मैं रिटायर हो रहा हूं, लेकिन मेरा सपना जारी रहेगा।” उनके शब्दों पर तालियां गूंजीं। कई ग्रामीण रो पड़े। स्कूल की प्रधानाध्यापिका ने कहा, “सर की जगह कोई नहीं ले सकता। वे शिक्षक नहीं, गांव के अभिभावक थे।”

MP News: सामाजिक संदेश: शिक्षक सम्मान की मिसाल

यह आयोजन सिर्फ विदाई नहीं, बल्कि शिक्षक सम्मान की मिसाल बन गया। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहा है। लोग लिख रहे हैं – ऐसी विदाई हर शिक्षक को मिलनी चाहिए। जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा, ‘यह प्रेरणा पूरे जिले के लिए है। हम इसे ‘शिक्षक सम्मान अभियान’ का हिस्सा बनाएंगे।’

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