MP Liquor Policy: मध्य प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के 19 पवित्र क्षेत्रों में शराबबंदी के फैसले पर अमल शुरू हो गया है। इन क्षेत्रों में एक अप्रैल से शराब दुकानें बंद कर दी जाएंगी। इसके लिए अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। राज्य सरकार का यह कदम धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों को मदिरा मुक्त बनाने की दिशा में उठाया गया एक अहम फैसला माना जा रहा है। मध्य प्रदेश में 1 अप्रैल से लागू होने वाली यह शराबबंदी नीति एक बड़ा सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव लाने का प्रयास है। सरकार के इस कदम से न केवल धार्मिक क्षेत्रों की पवित्रता बनी रहेगी, बल्कि स्थानीय समाज को भी सकारात्मक प्रभाव मिलेगा।
Table of Contents
राज्य सरकार का फैसला और अधिसूचना
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हाल ही में राज्य के 19 नगरीय और ग्रामीण इलाकों में पूर्ण शराबबंदी की घोषणा की थी। इस फैसले को लागू करने के लिए शुक्रवार को राजभवन से अधिसूचना जारी कर दी गई। अधिसूचना के अनुसार, राज्य के 13 नगरीय और 6 ग्रामीण निकायों में संचालित शराब दुकानें एक अप्रैल 2025 से बंद कर दी जाएंगी।
राजभवन द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, इन 19 पवित्र क्षेत्रों में किसी भी प्रकार के बार और वाइन आउटलेट के नए लाइसेंस जारी नहीं किए जाएंगे और न ही इनके संचालन की अनुमति दी जाएगी। इतना ही नहीं, इन निकायों में बंद की जाने वाली शराब दुकानों को किसी अन्य स्थान पर विस्थापित नहीं किया जाएगा। यह शराबबंदी 31 मार्च 2026 तक लागू रहेगी।
किन क्षेत्रों में होगी शराबबंदी?
राज्य सरकार ने जिन 19 पवित्र क्षेत्रों को शराबबंदी के दायरे में शामिल किया है, उनमें धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण स्थल शामिल हैं। इनमें शामिल हैं:
- उज्जैन नगर निगम
- ओंकारेश्वर नगर पंचायत
- महेश्वर नगर पंचायत
- मंडलेश्वर नगर पंचायत
- ओरछा नगर पंचायत
- मैहर नगर पालिका
- चित्रकूट नगर पंचायत
- दतिया नगर पालिका
- पन्ना नगर पालिका
- मंडला नगर पालिका
- मुलताई नगर पालिका
- मंदसौर नगर पालिका
- अमरकंटक नगर पंचायत
- सलकनपुर ग्राम पंचायत
- बरमान कला ग्राम पंचायत
- लिंगा ग्राम पंचायत
- बरमान खुर्द ग्राम पंचायत
- कुंडलपुर ग्राम पंचायत
- बांदकपुर ग्राम पंचायत
इन क्षेत्रों में मदिरा की बिक्री और खपत को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।
सरकार के फैसले का उद्देश्य और प्रभाव
सरकार ने इस फैसले को धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। राज्य सरकार का मानना है कि इन पवित्र क्षेत्रों में शराबबंदी से समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और वहां आने वाले श्रद्धालुओं को स्वच्छ और आध्यात्मिक वातावरण मिलेगा। यह निर्णय न केवल धार्मिक आस्थाओं की रक्षा करेगा, बल्कि सामाजिक और नैतिक मूल्यों को भी मजबूत करेगा।
स्थानीय लोगों और संगठनों की प्रतिक्रिया
सरकार के इस फैसले का विभिन्न धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने स्वागत किया है। उज्जैन, ओंकारेश्वर और चित्रकूट जैसे तीर्थ स्थलों में शराबबंदी की लंबे समय से मांग की जा रही थी। विभिन्न साधु-संतों और स्थानीय संगठनों ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताया है।
हालांकि, इस फैसले से शराब व्यवसाय से जुड़े लोग और दुकान संचालक प्रभावित होंगे। सरकार ने अभी तक उनके पुनर्वास या वैकल्पिक व्यवसायों के लिए किसी विशेष योजना की घोषणा नहीं की है।
कानूनी प्रवर्तन और शराबबंदी का पालन
सरकार ने इस अधिसूचना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए स्थानीय प्रशासन और पुलिस को सख्त निर्देश दिए हैं। इस संबंध में निगरानी बढ़ाई जाएगी और अवैध शराब बिक्री पर रोक लगाने के लिए विशेष टीमें गठित की जाएंगी।
आगे की रणनीति
सरकार का कहना है कि यदि यह पहल सफल होती है तो भविष्य में अन्य धार्मिक स्थलों और पर्यटन क्षेत्रों में भी शराबबंदी लागू करने पर विचार किया जाएगा। राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि इन क्षेत्रों में शराबबंदी के आदेशों का कड़ाई से पालन हो और किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधियों को रोका जाए।