Madhya Pradesh: देश में आदिवासियों के उत्थान और राजनीतिक दृष्टि से उन्हें साधने की धुरी अब मध्यप्रदेश बनने जा रहा है। प्रदेश में नेशनल पेसा एक्सीलेंस इंस्टीट्यूट (National PESA Excellence Institute) की स्थापना की तैयारी पूरी हो गई है। यह इंस्टीट्यूट मध्यप्रदेश के अमरकंटक में खोला जाएगा और इसका उद्देश्य पेसा एक्ट को प्रभावी रूप से लागू करना और आदिवासी समुदायों को सशक्त करना रहेगा।
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Madhya Pradesh: 10 राज्यों पर होगा फोकस
यह सेंटर मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना सहित 10 आदिवासी बाहुल्य राज्यों पर फोकस करके काम करेगा। ओडिशा और झारखंड में पेसा एक्ट का ड्राफ्ट बन चुका है, जबकि बाकी 8 राज्यों में इसे लागू कर दिया गया है।
फिलहाल, पेसा एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए 9 मॉड्यूल तैयार किए गए हैं, जिन्हें आगे राज्यों में लागू करने में यह इंस्टीट्यूट सहयोग करेगा। इसके माध्यम से आदिवासी ग्राम सभाओं की ताकत बढ़ाई जाएगी, जिससे खनन और प्राकृतिक संसाधनों पर उनके अधिकार सुरक्षित रह सकें।
Madhya Pradesh: मध्यप्रदेश को क्यों मिला चयन
नेशनल पेसा एक्सीलेंस इंस्टीट्यूट के लिए केंद्र सरकार ने 16 राज्यों के बीच चयन प्रक्रिया चलाई थी। इसमें मध्यप्रदेश को तीन प्रमुख वजहों से चुना गया। पेसा एक्ट के क्रियान्वयन में देश में नंबर वन स्थिति। आदिवासी बाहुल्यता में मध्यप्रदेश सबसे आगे। राष्ट्रीय इंदिरा गांधी ट्राइबल यूनिवर्सिटी अमरकंटक का सर्वश्रेष्ठ प्रेजेंटेशन। इसी कारण यह इंस्टीट्यूट मध्यप्रदेश के अमरकंटक में बनेगा, जहां एक चेयरपर्सन और करीब दर्जनभर सदस्य इसके संचालन में भूमिका निभाएंगे।
Madhya Pradesh: आदिवासी क्यों अहम
- देश में करीब 10.42 करोड़ आदिवासी हैं, जो सियासी दृष्टि से महत्वपूर्ण वोट बैंक हैं।
- देश की 47 लोकसभा सीटें आदिवासी आरक्षित हैं।
- मध्यप्रदेश में 29 में से 6 लोकसभा सीटें आदिवासी बहुल हैं।
- देश में 4,123 में से 558 विधानसभा सीटें आदिवासी क्षेत्रों में हैं।
- मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में 47 आदिवासी आरक्षित हैं।
2018 के चुनाव में मध्यप्रदेश में भाजपा की सत्ता से दूर रहने का बड़ा कारण आदिवासी और दलित वोटों में पकड़ कमजोर होना माना गया था। ऐसे में 2029 की तैयारी और 2025-26 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा इस वर्ग में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।
क्या है पेसा एक्ट
पंचायतों के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 को ही पेसा एक्ट कहा जाता है। इसका उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्र के आदिवासियों को आत्मनिर्भर बनाना, उनके अधिकारों का संरक्षण करना और उत्थान के लिए ग्राम सभाओं को शक्तियां देना है। इसके तहत ग्राम सभाओं को खनन, जल-जंगल-जमीन, और प्राकृतिक संसाधनों पर निर्णय लेने का अधिकार मिलता है। यह आदिवासियों को उनकी जमीन और जंगल से जोड़े रखने, शोषण से बचाने और निर्णय में भागीदारी दिलाने का मजबूत माध्यम है।
क्यों महत्वपूर्ण है यह इंस्टीट्यूट
पेसा एक्ट के क्रियान्वयन में राष्ट्रीय स्तर पर मार्गदर्शक होगा। राज्यों में मॉड्यूल के माध्यम से ग्राम सभाओं को प्रशिक्षित करेगा। आदिवासियों को सरकारी योजनाओं से जोड़ने में सहयोग करेगा। सियासी तौर पर भाजपा के लिए आदिवासी समाज में पकड़ मजबूत करने में सहायक होगा। मध्यप्रदेश को राष्ट्रीय आदिवासी नीति केंद्र बनाने की दिशा में कदम होगा।
इस इंस्टीट्यूट के बनने से आदिवासी क्षेत्रों में विकास की गति बढ़ेगी और आदिवासी समुदायों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर सशक्त किया जा सकेगा। साथ ही, केंद्र सरकार के आदिवासी विकास के एजेंडे को जमीनी स्तर पर मजबूती मिलेगी।
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