Chhindwara News: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में कथित तौर पर दूषित कफ सिरप के सेवन से किडनी फेलियर का शिकार होकर छह मासूम बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह सतर्क हो गया है। घटना के बाद शक के घेरे में आए दो कफ सिरपों- कोल्ड्रिफ और नेक्सट्रॉस-डीएस- की बिक्री पर तत्काल प्रभाव से पूर्ण रोक लगा दी गई है। भोपाल स्थित राज्य स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया है कि जांच रिपोर्ट आने तक इन सिरपों की कोई भी बिक्री या वितरण नहीं होगा। यह फैसला न केवल छिंदवाड़ा बल्कि पूरे प्रदेश में लागू किया गया है, जिससे दवा कंपनियों पर सवालों की बौछार हो रही है। जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. मनीष शर्मा ने बताया कि एहतियात के तौर पर प्राइवेट मेडिकल स्टोर्स पर भी इन सिरपों की बिक्री बंद कर दी गई है।
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Chhindwara News: बीपीआई जांच में डायथाइलीन ग्लाइकॉल की मौजूदगी का खुलासा
घटना की तह तक पहुंचने के लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की बेंगलुरु शाखा ने सिरपों के नमूने जांच के लिए भेजे हैं। प्रारंभिक बायोप्सी रिपोर्ट्स में किडनी ऊतकों में डायथाइलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) नामक विषाक्त रसायन की मौजूदगी पाई गई है, जो एंटीफ्रीज में इस्तेमाल होता है और दवा दूषण के लिए कुख्यात है।
यह रसायन 2008-09 में भारत में कई बच्चों की मौत का कारण बना था। छिंदवाड़ा कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने बताया कि सभी प्रभावित बच्चे पांच वर्ष से कम उम्र के थे और खांसी-जुकाम के इलाज के लिए स्थानीय डॉक्टरों या मेडिकल स्टोर्स से ये सिरप खरीदे गए थे।
मृतकों में से अधिकांश को कोल्ड्रिफ और नेक्सट्रॉस-डीएस दिए गए थे, जिसके बाद उनकी हालत बिगड़ती गई। बच्चे पहले सामान्य सर्दी-खांसी से पीड़ित थे, लेकिन कुछ दिनों में पेशाब रुक गया और कमजोरी बढ़ गई। परिवारों ने उन्हें पहले परासिया और छिंदवाड़ा के अस्पतालों में भर्ती कराया, फिर नागपुर रेफर किया, लेकिन बचाया नहीं जा सका।
Chhindwara News: प्रतिबंध का दायरा: सरकारी और निजी दोनों स्तर पर रोक
डॉ. शर्मा ने कहा, सरकारी अस्पतालों में इन सिरपों की सप्लाई पहले से नहीं होती थी, लेकिन प्राइवेट सेक्टर में बिक्री की जांच की जा रही है। कंपनी के उत्पादों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। पहले कितनी मात्रा बिकी, इसका डेटा एकत्र किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों के सीएमएचओ को निर्देश जारी किए हैं कि वे स्थानीय स्तर पर स्टॉक चेक करें और कोई भी अवशेष नष्ट कर दें। साथ ही, डॉक्टरों और फार्मासिस्टों को सलाह दी गई है कि बच्चों को केवल मानक सिरप दें। भोपाल के सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर भी इन सिरपों की अनुपस्थिति की पुष्टि हुई है, लेकिन पूरे शहर में सतर्कता बरती जा रही है। कलेक्टर सिंह ने एयर एंबुलेंस सेवा को अलर्ट कर दिया है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं में त्वरित इलाज सुनिश्चित हो।
Chhindwara News: घटना का क्रम: 15 दिनों में छह मौतें, वायरल संक्रमण की आशंका खारिज
यह दर्दनाक घटनाक्रम 22 अगस्त से शुरू हुआ जब परासिया क्षेत्र में बच्चों में बुखार की शिकायतें बढ़ीं। 4 सितंबर को पहली मौत हुई, उसके बाद 6 सितंबर को दूसरी, और 26 सितंबर तक कुल छह बच्चे किडनी फेलियर से अकाल मृत्यु के शिकार हो गए। प्रारंभ में जापानी इंसेफेलाइटिस या चंदीपुरा वायरस का संदेह हुआ, लेकिन ब्लड सैंपल और सीएसएफ टेस्ट ने इन्हें नकार दिया। पानी और चूहों के नमूनों की जांच भी निगेटिव आई। अब फोकस दवाओं पर है। विशेषज्ञों का मानना है कि डीईजी दूषण से किडनी क्षति होती है, जो बच्चों के लिए घातक साबित होता है।
प्रदेशव्यापी दहशत, दवा नियंत्रण पर सवाल
पूरे मध्य प्रदेश में यह खबर दहशत फैला रही है। अभिभावक सतर्क हो गए हैं और स्थानीय डॉक्टरों पर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं। विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार पर स्वास्थ्य सेवाओं की लचीलापन का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई होगी। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि दवा निर्माण प्रक्रिया में गुणवत्ता नियंत्रण सख्त करने की जरूरत है। कंपनी के बैच नंबर, निर्माण तिथि और वितरण चेन की गहन जांच चल रही है। जब तक रिपोर्ट नहीं आती, सिरप पूरी तरह बंद रहेंगे।
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