West Bengal: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ कानून को लेकर फैली हिंसा के बीच कोलकाता हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए हिंसाग्रस्त इलाकों में केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया है। यह फैसला नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति राजा बसु चौधरी की विशेष खंडपीठ ने सुनाया। अदालत ने कहा कि राज्य पुलिस के साथ मिलकर केंद्रीय बल इलाके में कानून-व्यवस्था बनाए रखने का काम करेंगे।
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West Bengal: अदालत की कड़ी टिप्पणी
सुनवाई के दौरान अदालत ने स्पष्ट किया कि जब राज्य में इस प्रकार की हिंसात्मक घटनाएं होती हैं तो न्यायपालिका आंखें मूंद नहीं सकती। न्यायमूर्ति सौमेन सेन ने कहा कि असली दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि आम जनता की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
राज्य की आपत्तियों को किया खारिज
याचिका के विरोध में राज्य सरकार की ओर से वकील कल्याण बनर्जी ने दलील दी कि यह मामला पूरी तरह से राजनीतिक हित साधने के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही डीजीपी राजीव कुमार को मुर्शिदाबाद भेज दिया है और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की सहायता भी मांगी गई है। हालांकि अदालत ने राज्य की इन आपत्तियों को दरकिनार करते हुए केंद्रीय बलों की तत्काल तैनाती का आदेश दिया।
West Bengal: याचिकाकर्ताओं का पक्ष
भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी के वकीलों ने अदालत को बताया कि मुर्शिदाबाद एक अत्यंत संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्र है, जहां हिंसा के चलते नागरिकों की जान-माल को गंभीर खतरा है। वकील सौम्या मजूमदार ने कहा कि धुलियान नगर पालिका के वार्ड नंबर 6 में बमबारी की घटनाएं हो रही हैं और पुलिस की नाकामी के चलते हालात नियंत्रण से बाहर हैं। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 355 का हवाला देते हुए कहा कि केंद्र सरकार को ऐसी स्थिति में हस्तक्षेप का अधिकार है।
केंद्रीय बलों की तैनाती को लेकर राजनीतिक बहस
राज्य सरकार के वकील कल्याण बनर्जी ने कहा कि राज्य की पुलिस और बीएसएफ की छह कंपनियां पहले से ही तैनात हैं और 131 से अधिक गिरफ्तारियां की जा चुकी हैं। फिर भी यदि अदालत केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश देती है तो राज्य को कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि उन्होंने दोहराया कि यह मामला राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से उठाया गया है।
West Bengal: फैसले पर शुभेंदु ने जताई खुशी
कोर्ट के फैसले के बाद नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने खुशी जाहिर करते हुए इसे ममता बनर्जी सरकार के “गाल पर तमाचा” करार दिया। उन्होंने कहा कि अदालत ने जनता की आवाज सुनी है और यह फैसला आम लोगों के हित में है। शुभेंदु के वकीलों ने कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी चाहे राज्य की हो, लेकिन जब हालात बेकाबू हो जाएं, तो केंद्र की जिम्मेदारी बनती है कि वह हस्तक्षेप करे।
संवेदनशीलता बनी चिंता का विषय
मुर्शिदाबाद का इलाका न केवल राजनीतिक रूप से बल्कि साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से भी संवेदनशील माना जाता है। सीमावर्ती क्षेत्र होने के चलते यहां सुरक्षा व्यवस्था और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। अदालत का यह फैसला साफ संकेत देता है कि न्यायपालिका राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सक्रिय रूप से हस्तक्षेप करने को तैयार है। इस पूरे मामले से स्पष्ट है कि पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था पर सवाल उठते रहे हैं और इस बार कोलकाता हाईकोर्ट ने सीधे तौर पर हस्तक्षेप करते हुए एक मजबूत संदेश दिया है कि हिंसा के खिलाफ सख्त कदम उठाना आवश्यक है।
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