UCC: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) के लागू होने के बाद अब गुजरात सरकार ने भी इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने मंगलवार को घोषणा की कि राज्य में यूसीसी लागू करने के लिए एक पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। इस समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना देसाई करेंगी। समिति को 45 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
Table of Contents
मुख्यमंत्री पटेल ने किया बड़ा ऐलान
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री पटेल ने कहा कि गुजरात सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध है। सभी नागरिकों को समान अधिकार दिलाने के उद्देश्य से यह समिति गठित की गई है। संविधान की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर यह कदम ऐतिहासिक महत्व रखता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भाजपा सरकार ने आर्टिकल 370, वन नेशन-वन इलेक्शन और ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों पर अपने वादों को सफलतापूर्वक पूरा किया है।
पांच सदस्यीय समिति का गठन
समिति के सदस्यों में रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सीएल मीणा, अधिवक्ता आरसी कोडेकर, पूर्व कुलपति दक्षेश ठाकर और सामाजिक कार्यकर्ता गीता श्रॉफ शामिल हैं। मुख्यमंत्री पटेल ने बताया कि समिति का मुख्य उद्देश्य विभिन्न समुदायों, धर्मों और सामाजिक समूहों के साथ विचार-विमर्श कर एक सर्वसम्मत रिपोर्ट तैयार करना है। यह रिपोर्ट यूसीसी के मसौदे के लिए आधार बनेगी।
सभी नागरिकों के लिए समान कानून होंगे लागू
गृह मंत्री हर्ष संघवी ने कहा, “यूसीसी के तहत सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू होंगे, जिसमें विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और गोद लेने जैसे मुद्दे शामिल होंगे। समिति इस पर विस्तृत शोध करेगी और विभिन्न धर्मों के गुरुओं और समुदायों के नेताओं से बातचीत करेगी।” उन्होंने यह भी बताया कि समिति आदिवासी समाज के रीति-रिवाजों और परंपराओं को सुरक्षित रखते हुए रिपोर्ट तैयार करेगी।
उत्तराखंड के यूसीसी मॉडल की तारीफ
उत्तराखंड के यूसीसी मॉडल की सराहना करते हुए संघवी ने कहा कि यह कानून देश के लिए एक उत्कृष्ट उदाहरण है। गुजरात सरकार भी उसी दिशा में आगे बढ़ते हुए, सभी पक्षों की राय को ध्यान में रखते हुए यूसीसी लागू करेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की नीतिगत निर्णय लिए जाएंगे।
मसौदा तैयार करेगी समिति
राज्य में यूसीसी लागू करने के इस कदम को विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक हलकों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह निर्णय राज्य के सभी नागरिकों को एक समान अधिकार देने और सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यूसीसी पर गुजरात सरकार के इस फैसले से यह स्पष्ट है कि देश में समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में भाजपा सरकार लगातार प्रयासरत है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि समिति की रिपोर्ट के आधार पर सरकार किस प्रकार के कानूनी प्रावधानों को अपनाती है और इसका समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है।
उत्तराखंड में UCC लागू, बदल गए कई पुराने कानून
उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को औपचारिक रूप से लागू कर दिया गया है। इस कोड के लागू होने के साथ ही विवाह, तलाक, संपत्ति के अधिकार और लिव-इन रिलेशनशिप जैसे कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में पुराने कानूनों में बदलाव किए गए हैं। यह कदम समानता और सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा परिवर्तन माना जा रहा है। UCC के तहत अब उत्तराखंड में सभी धर्मों के लिए विवाह और तलाक के नियम समान होंगे। पहले जहां अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग विवाह कानून लागू थे, वहीं अब हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, जैन और बौद्ध समुदायों के लिए एक समान विवाह कानून लागू किया गया है। इससे विवाह पंजीकरण प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और सरल हो जाएगी।
- शादी और तलाक के लिए समान कानून
- लिव-इन रिलेशनशिप के लिए अनिवार्य रजिस्ट्रेशन
- संपत्ति में बेटा-बेटी को बराबरी का अधिकार
- आदिवासी समाज के रीति-रिवाज का संरक्षण
यह भी पढ़ें-
Maha Kumbh: लाशों से दूषित हो गया महाकुंभ का पानी, SP सांसद जया बच्चन का विवादित बयान