Tahawwur Rana: मुंबई में 26/11 के भयानक आतंकी हमले को अंजाम देने वालों में शामिल तहव्वुर हुसैन राणा को आखिरकार 15 साल बाद भारत लाया गया है। यह भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक अहम मील का पत्थर माना जा रहा है। राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पण के बाद गुरुवार दोपहर करीब 2:30 बजे दिल्ली लाया गया। उसे दिल्ली के पालम एयरफोर्स स्टेशन पर उतारा गया, जहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।
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Tahawwur Rana: आसान नहीं था राणा का भारत आना
तहव्वुर राणा को भारत लाना आसान काम नहीं था। उसे अमेरिका से प्रत्यर्पित करने में कानूनी प्रक्रिया में कई अड़चनें आईं। खुद राणा ने अमेरिका की अदालत में अपील दायर कर भारत भेजे जाने का विरोध किया था। उसने यह तर्क दिया था कि भारत में उसे प्रताड़ना दी जा सकती है, जो अमेरिकी कानून और संयुक्त राष्ट्र के टॉर्चर विरोधी कन्वेंशन का उल्लंघन होगा। हालांकि अमेरिका की अदालत ने उसकी अपील खारिज कर दी।
Tahawwur Rana: ट्रंप ने राणा को बताया “बेहद खतरनाक आदमी”
रिपोर्ट्स के अनुसार, फरवरी में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वॉशिंगटन में मुलाकात के दौरान इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा हुई थी। ट्रंप ने राणा को “बेहद खतरनाक आदमी” बताते हुए भारत को सौंपे जाने की मंजूरी दी थी। इसके बाद कानूनी अड़चनों को दूर कर उसे भारत भेजने की प्रक्रिया पूरी की गई।
कौन है तहव्वुर राणा?
64 वर्षीय तहव्वुर हुसैन राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है। वह पहले सेना का डॉक्टर रह चुका है और बाद में अमेरिका में आकर मेडिकल वीजा कंपनी शुरू की। राणा, पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकी डेविड कोलमैन हेडली का करीबी रहा है, जिसने मुंबई हमले की रेकी की थी और पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर हमले की साजिश रची थी। हेडली अमेरिका में सजा काट रहा है और उसने राणा की भूमिका की पुष्टि की थी।
राणा को अमेरिका में भी आतंकी साजिशों के लिए सजा हो चुकी है, लेकिन मुंबई हमले में उसकी भूमिका के चलते भारत ने उसका प्रत्यर्पण मांगा था।
Tahawwur Rana: तिहाड़ जेल में रखा जाएगा राणा
भारत लाए जाने के बाद तहव्वुर राणा को दिल्ली की तिहाड़ जेल की हाई-सिक्योरिटी सेल में रखा जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, उसकी सुरक्षा के लिए जेल प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए हैं। यहां वह वर्चुअल माध्यम से कोर्ट में पेश होगा। अगर सुनवाई मुंबई शिफ्ट होती है, तो उसे आर्थर रोड जेल की उस बैरक में रखा जा सकता है, जहां अजमल कसाब को रखा गया था। कसाब को 2012 में फांसी दी गई थी।
NIA करेगी मामले की जांच
मुंबई हमले से जुड़ा यह मामला नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) के पास है। केंद्र सरकार ने NIA की ओर से पैरवी करने के लिए वरिष्ठ वकील नरेंद्र मान को स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर नियुक्त किया है। वह दिल्ली की स्पेशल NIA कोर्ट और अपीलीय अदालतों में एजेंसी का प्रतिनिधित्व करेंगे। उनका कार्यकाल तीन साल का होगा या जब तक इस केस की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती।
क्या है आगे की प्रक्रिया?
फिलहाल राणा की वर्चुअल पेशी दिल्ली कोर्ट में होगी और उसे सुरक्षा कारणों से आम जेल कैदियों से अलग रखा जाएगा। NIA राणा से पूछताछ कर हमले की साजिश, संपर्कों और भूमिका की कड़ियों को जोड़ने की कोशिश करेगी। भारत सरकार इस मामले में कड़े कदम उठाते हुए उसे न्याय के कटघरे में लाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
26/11 के हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया था। तहव्वुर राणा जैसे साजिशकर्ताओं को भारत लाना न सिर्फ पीड़ितों के लिए न्याय की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि यह भारत की आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति का भी संकेत देता है। अब देखना होगा कि NIA की जांच में राणा के खिलाफ कितने साक्ष्य सामने आते हैं और आगे कानूनी प्रक्रिया किस दिशा में जाती है।