Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ गुजरात पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा किया जाना अनिवार्य है। यह मामला कथित रूप से एक संपादित वीडियो में उकसाने वाले गीत को पोस्ट करने से जुड़ा था।
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Supreme Court कोर्ट का फैसला
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और उज्जल भुयान की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि अदालत का यह दायित्व है कि वह नागरिकों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा करे। पीठ ने यह भी कहा कि यदि किसी व्यक्ति द्वारा व्यक्त किए गए विचारों को बड़ी संख्या में लोग नापसंद भी करें, तब भी उस व्यक्ति के विचार व्यक्त करने के अधिकार का सम्मान और संरक्षण किया जाना चाहिए।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, साहित्य, जिसमें कविता, नाटक, फिल्में, व्यंग्य और कला शामिल हैं, मानव जीवन को अधिक सार्थक बनाते हैं। ऐसे मामलों में अदालतों को मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए कदम उठाने चाहिए। कोर्ट के इस फैसले को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
Supreme Court: क्या है पूरा मामला?
इमरान प्रतापगढ़ी पर 3 जनवरी को एक सामूहिक विवाह समारोह के दौरान कथित रूप से भड़काऊ गीत वाले वीडियो को पोस्ट करने का आरोप था। इस वीडियो को लेकर गुजरात पुलिस ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था।
Supreme Court: इन धाराओं में दर्ज हुई थी एफआईआर
कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रतापगढ़ी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 196 (धर्म, जाति आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देना) और धारा 197 (राष्ट्र की एकता के लिए हानिकारक आरोप व कथन) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।
Supreme Court: 46 सेकंड का एक वीडियो क्लिप किया था अपलोड
एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि प्रतापगढ़ी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर 46 सेकंड का एक वीडियो क्लिप अपलोड किया था, जिसमें वह हाथ हिलाते हुए चलते नजर आ रहे थे और उन पर फूलों की वर्षा की जा रही थी। इस वीडियो के बैकग्राउंड में एक गीत बज रहा था, जिसके बोल कथित रूप से उत्तेजक थे और राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक होने के साथ-साथ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले बताए गए थे।
Supreme Court: गुजरात हाईकोर्ट ने खारिज की थी याचिका
इमरान प्रतापगढ़ी ने गुजरात हाईकोर्ट में इस एफआईआर को रद्द करने के लिए याचिका दायर की थी। लेकिन 17 जनवरी को हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि इस मामले की जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और इसे रोकने का कोई कारण नहीं है। इसके बाद कांग्रेस नेता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश को पलटते हुए एफआईआर को रद्द कर दिया।
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मायने
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को लेकर एक महत्वपूर्ण नजीर के रूप में देखा जा रहा है। यह फैसला यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी नागरिक को केवल उसकी अभिव्यक्ति के आधार पर कानूनी कार्यवाही का सामना न करना पड़े, जब तक कि वह स्पष्ट रूप से कानून का उल्लंघन न कर रहा हो।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला उन मामलों के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकता है, जहां राजनीतिक या वैचारिक मतभेदों के कारण किसी व्यक्ति पर कानूनी कार्यवाही की जाती है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कांग्रेस ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की जीत बताया है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, यह फैसला लोकतंत्र और मौलिक अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह दर्शाता है कि सरकार की आलोचना करने या अपनी विचारधारा व्यक्त करने पर किसी व्यक्ति को कानूनी कार्रवाई का सामना नहीं करना चाहिए। दूसरी ओर, बीजेपी ने इस फैसले पर संयमित प्रतिक्रिया दी है।
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