Patanjali Case: अब सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) को भी फटकार लगाई है। कोर्ट ने IMA प्रमुख के इंटरव्यू को लेकर कहा कि वे इससे बिल्कुल खुश नहीं हैं और इतनी आसानी से माफी नहीं दी जा सकती। इधर, योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को पतंजलि से जुड़े मामले में कोर्ट में पेश होने से छूट दे दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज योगगुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना मामले पर सुनवाई की। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने इस केस को सुना। रामदेव ने न्यायाधीश असानुद्दीन अमानुल्लाह को प्रणाम किया। जस्टिस अमानुल्लाह ने भी उत्तर “हमारा भी प्रणाम,” कहा।
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फैसला सुरक्षित, पेशी से छूट:
फ़िलहाल बाबा रामदेव, बालकृष्ण और अन्य के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है। लेकिन योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को बड़ी रहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले में उन्हें प्रत्यक्ष रूप से उपस्थिति रहने से छूट दी है। वहीं शीर्ष न्यायालय ने IMA अध्यक्ष आर वी अशोकन के इंटरव्यू पर आपत्ति जताई है।
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि डॉक्टर अशोकन एक अनुभवी व्यक्ति है और उनसे हमे एक जिम्मेदार रवैया रखने की उम्मीद थी। इंटरव्यू को लेकर अशोकन ने भी माफी मांगी। जस्टिस कोहली ने इस पर अशोकन से कहा अपने माफी तो मांग ली पर मुद्दा यह है की क्या हम इसे स्वीकार करेंगे। जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि उन्हें इस बात का बेहद दुःख है कि आप जैसे अनुभवी और समझदार व्यक्ति ने भी उन लोगों की तरह ही व्यवहार किया और कोर्ट के आदेश के बाद आपने उस पर अपनी टिप्पणी भी दी|
इतनी आसानी से माफ नहीं करेंगे:
जस्टिस कोहली ने आईएमए प्रमुख अशोकन से कहा कि उनकी माफी के लिए कोर्ट के पास कहने को वही है जो उन्होंने पतंजलि के लिए कहा था। जस्टिस कोहली ने कहा कि मामला कोर्ट में है और उसमें वह पार्टी हैं। साथ ही कोर्ट ने अशोकन से कहा कि टिप्पणीयों को हटाने के लिए उनके वकीन कह सकते थे लेकिन वह तो प्रेस के पास चले गए। कोर्ट ने कहा कि अशोकन के इस रवैये से कोर्ट बिल्कुल खुश नही है और इतनी आसानी से उन्हें माफ नहीं किया जा सकता।
सार्वजनिक रूप से माफी क्यों नहीं मांगी:
इसके साथ ही जस्टिस अमानुल्लाह ने आईएमए अध्यक्ष से सार्वजनिक माफी की बात भी कही। जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि शुरू में ही विरोध करने के लिए उन्होंने माफी मांगकर अच्छा किया लेकिन सार्वजनिक रूप से माफी क्यों नहीं मांगी। साथ ही कोर्ट ने उनसे पूछा कि उन्होंने इसके लिए क्यों इंतजार किया। कोर्ट ने आईएमए अध्यक्ष से यह भी पूछा कि उनकी बात को चैनलों ने उठाया इसके लिए उन्होंने क्या किया और वे उसी एजेंसी के पास क्यों नहीं गए।
उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण (एसएलए) ने पहले शीर्ष अदालत को बताया कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के चौबीस उत्पादों के विनिर्माण लाइसेंस को “तत्काल प्रभाव से निलंबित” कर दिया गया है। शीर्ष अदालत 2022 में आईएमए द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें पतंजलि को आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों और कोविड टीकाकरण अभियान के खिलाफ बदनाम करने का आरोप लगाया गया था।