Operation Mahadev: जम्मू-कश्मीर में चलाए गए ऑपरेशन महादेव ने आतंकवादियों के खिलाफ बड़ा तकनीकी और रणनीतिक सफलता का उदाहरण पेश किया है। इस ऑपरेशन में पहलगाम आतंकी हमले के कथित मास्टरमाइंड सुलेमान शाह (हाशिम मूसा) और दो अन्य आतंकियों को मार गिराया गया, जिसकी पहचान अभी पुष्टि योग्य है। इसमें प्रयोग किए गए सैटेलाइट फोन ने अभियान की दिशा तय की और आतंकियों की मौत सुनिश्चित की।
Table of Contents
Operation Mahadev: कैसे बनी सैटेलाइट फोन ट्रैकिंग?
सूत्रों के मुताबिक, आतंकियों के एक Huawei सैटेलाइट फोन (T82 UltraSat) के सक्रिय होने पर सुरक्षा एजेंसियों ने तकनीकी संकेत (technical signal) के आधार पर उन्हें ट्रैक करना शुरू किया। यह वही डिवाइस था जो पहलगाम हमले के समय आतंकी नेटवर्क द्वारा उपयोग किया गया था। 26 जुलाई को यह फोन सक्रिय हुआ, तब से सुरक्षा तंत्र अलर्ट हो गया और लोकेशन ट्रेस करने की कवायद शुरू हो गई। इसे एक निर्णायक सुराग माना जाता है।
Operation Mahadev: ऑपरेशन का प्रारंभ और तुरंत मुठभेड़
28 जुलाई की सुबह ड्रोन विजुअल से पहलगाम मॉड्यूल की लोकेशन सुनिश्चित की गई। राष्ट्रीय राइफल्स व 4 पैराशूट (Para) की विशेष यूनिटों ने जबबवान पर्वत (महादेव पीक) की ऊंचाई से मुठभेड़ का आगाज किया। सिर्फ 45 मिनट में पहला आतंकी ढेर हुआ, और उसके बाद दूसरा व तीसरा आतंकवादी भी मार गिराए गए। सुरक्षा बलों की सटीक कार्रवाई ने ऑपरेशन में सफलता दिलाई।
Operation Mahadev: तोड़ दिया आतंकी नेटवर्क का मर्म
इन आतंकियों की हनपारी की पहचान हुयी तो उनमें से एक था सुलेमान शाह, जो लश्कर-ए-तैयबा का वरिष्ठ कमांडर था और अप्रैल में पहलगाम घाटी में 26 पर्यटकों की नृशंस हत्या (पैदल धर्म पूछकर, कलमा पढ़वाकर और फिर हत्या) में प्रमुख था। दो अन्य आतंकियों की पहचान जिब्रान (सोनमर्ग सुरंग हमले से जुड़ा) और हमजा अफगानी के रूप में हुई है। घटनास्थल से भारी मात्रा में गोला-बारूद, M4 कार्बाइन और AK-47, ग्रेनेड बरामद हुए—जो साफ संकेत था कि वे एक बड़े आतंकी हमले की तैयारी में थे।
काउंटर-टेररिज्म में सैटेलाइट फोन्स का महत्व
विशेषकर पहलगाम जैसे ग्रामीण, घने जंगलों वाले इलाकों में आतंकियों की लोकेशन प्राप्त करना बेहद चुनौतीपूर्ण था। इस ऑपरेशन में इस तकनीकी डिवाइस की भूमिका ने यह स्पष्ट किया कि आधुनिक संचार उपकरणों द्वारा खुफिया संकेत मिलना कितना निर्णायक हो सकता है।
पीड़ितों के परिजन बोले— यह शुरुआत मात्र है
पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों के परिवारों ने सुरक्षाबलों की इस कार्रवाई का स्वागत किया है। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह केवल एक शुरुआत है। उन्होंने कहा कि पूरा न्याय तभी होगा जब इलाके में निहित आतंकियों को पूर्ण रूप से समाप्त कर दिया जाएगा और सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की जाएगी।
ऑपरेशन महादेव तकनीकी खुफिया, तेज़-तर्रार कार्रवाई और रणनीतिक सटीकता की मिसाल रहा। सैटेलाइट फोन ने आतंकियों की लोकेशन को उजागर किया और पहलगाम मॉड्यूल का ध्वस्त होना, ऑपरेशन का लक्ष्य पूरा कर गया। यह न केवल क्रियाशील सफलता है, बल्कि आतंकी मोड्यूलों के नेटवर्क पर सुरक्षा बलों की दिशा-धारित कार्रवाई की स्पष्टता भी दर्शाता है।
इस अभियान की सफलता जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद-विरोधी पहलों को गति प्रदान करती है और यह संदेश देती है कि तकनीकी निगरानी के साथ मिलकर आतंक का मुकाबला कैसे प्रभावी रूप से किया जा सकता है।
पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड सुलेमान शाह कौन था?
- एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, सुलेमान शाह, जिसे हाशिम मूसा के नाम से भी जाना जाता है, 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का मास्टरमाइंड था, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी, जिनमें ज़्यादातर पर्यटक थे।
- रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सुलेमान शाह पहले पाकिस्तानी सेना में सेवा दे चुका था।
वह पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से जुड़ा था। - बैसरन में हुए हमले के बाद, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उसके ठिकाने की विश्वसनीय जानकारी देने वाले को 20 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की थी।
- ऐसा माना जाता है कि हमले के बाद के हफ़्तों में सुलेमान शाह मध्य कश्मीर के गंदेरबल ज़िले में छिपा हुआ था।
यह भी पढ़ें:-
हरिद्वार के बाद अब बाराबंकी में बड़ा हादसा: महादेव मंदिर में भगदड़, दो श्रद्धालुओं की मौत 29 घायल